मुद्रास्फीति रिकॉर्ड निचले स्तर पर, ब्याज दरों में कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक
नई दिल्ली। खुदरा मुद्रास्फीति के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आने के बीच भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत कटौती की उम्मीद है। विशेषज्ञों और बैंकरों ने यह राय जताई है।
बैंकरों को उम्मीद है कि मूल्य के मोर्चे पर राहत के चलते केंद्रीय बैंक अपने मौद्रिक रुख में बदलाव कर सकता है और यहां तक कि आक्रामक तरीके से ब्याज दर में कटौती कर सकता है। केंद्रीय बैंक ने लगातार 4 बार रेपो दर को 6.25 प्रतिशत पर कायम रखा है।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रबंध निदेशक आरपी मराठे ने कहा कि मुद्रास्फीति नीचे आई है और औद्योगिक वृद्धि भी कमजोर बनी हुई है। ऐसे में ब्याज दरों में कम से कम चौथाई प्रतिशत कटौती की गुंजाइश बनती है। दरों में कटौती से ऋण की वृद्धि भी बढ़ेगी, जो पिछली कई तिमाहियों से कमजोर बनी हुई है। इसी तरह की राय जताते हुए इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक किशोर खारत ने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक कम से कम 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा।
खरात ने कहा कि केंद्रीय बैंक नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) या सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) से छेड़छाड़ नहीं करेगा, क्योंकि बाजार में तरलता की स्थिति ठीकठाक है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय मौद्रिक समिति (एमपीसी) मौद्रिक नीति के परिणामों की 2 अगस्त को दोपहर में घोषणा करेगी।
एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती का मामला हमेशा रहता है लेकिन समिति में कई सदस्य हैं, जो इसकी समीक्षा करेंगे। मुद्रास्फीति नीचे आई है, लेकिन क्या यह इसी स्तर पर रहेगी? हम सभी जानते हैं कि आधार प्रभाव में बदलाव की वजह से यह कुछ बढ़ेगी। क्या ब्याज दरों में कटौती का मामला बनता है? ज्यादातर लोग ऐसा मानते है लेकिन क्या होगा इसका मुझे अंदाज नहीं है।
निजी क्षेत्र के कोटक बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त की बैठक में एमपीसी ब्याज दरों में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकती है। वैश्विक अनुसंधान कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच का भी मानना है कि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा।
भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति के ज्यादातर जोखिम नीचे की ओर हैं। अगले महीने खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत से नीचे रहेगी। अगस्त-सितंबर में 3 प्रतिशत से नीचे, अक्टूबर-नवंबर में 4 प्रतिशत के अंदर और दिसंबर से मार्च के दौरान 4 से 4.5 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। (भाषा)