राजन को हटाने की मांग के पीछे संभवत: यारबाज पूंजीवादी : पई
हैदराबाद। प्रौद्योगिकी क्षेत्र के निवेशक टीवी मोहनदास पई ने संकेतों में कहा कि रिजर्व बैंक के गनर्वर रघुराम राजन को हटाने की मांग के पीछे संभवत: निहित स्वार्थी तत्व और यारबाज पूंजीवादी ताकतें सक्रिय हैं।
इन्फोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी, एचआर प्रमुख तथा बोर्ड के सदस्य रहे पई ने कहा कि ‘बाजार सूत्रों का कहना है कि निहित स्वार्थी तत्व तथा साठगांठ से काम करने वाले पूंजीबादी संभवत: इन सबके पीछे हैं, क्योंकि बैंक उन पर ऋण लौटाने का दबाव डाल रहें हैं और वही सब राजन के खिलाफ इन बातों को उकसावा दे रहे हैं।
राजन पर भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी तथा कुछ अन्य वर्गों द्वारा लगातार हमला किया जा रहा है। उधर रघुराम राजन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक चिट्ठी लिखकर अपना एकेडमिक करियर जारी रखने का अनुरोध किया है। राजन ने यह भी लिखा है कि वे अब रिर्जव बैंक के गर्वनर नहीं बनना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक के गर्वनर का कार्यकार सितंबर में समाप्त हो रहा है।
स्वामी ने आरोप लगाया है कि राजन अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए ब्याज दरों को कम करने में विफल रहे हैं। पई ने कहा कि राजन की वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकर के रूप में पहचान है। वित्तीय और आर्थिक समुदाय उनका सम्मान करता है। रिजर्व बैंक उन लोगों के पीछे पड़े हैं जिन्होंने बैंक का कर्ज नहीं चुकाया है।
पई ने कहा कि राजन ने बैंकों से अपने बहीखाते को साफ-सुथरा करने को कहा है। अब बैंक डिफाल्टरों पर दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में बैंक अपने दबाव वाले कर्ज की पहचान नहीं कर रहे थे और उसे छिपा रहे थे। वे उम्मीद कर रहे थे कि चीजें दुरस्त हो जाएंगी। उन्हें इस बात का भय था कि यदि जनता को इन सब चीजों के बारे में पता चलेगा तो इससे उनकी छवि प्रभावित होगी। राजन ने साबित किया है कि ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है। (भाषा)