बैंकिंग प्रणाली को 3 साल में 18 अरब डॉलर की जरूरत
नई दिल्ली। भारत में वृहद स्तर पर बैंकों के पास पूंजी की कमी की समस्या अभी बनी रहेगी और से जूझती रहेगी। एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की बैंकिंग प्रणाली को अगले तीन साल में 1.2 लाख करोड़ रुपए या 18 अरब डॉलर की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी।
प्रबंधन सलाहकार कंपनी ओलिवर वेमैन की रिपोर्ट में कहा गया है, संसाधन की कमी से जूझ रही दुनिया में बैंकों को अपनी पूंजी तथा जोखिम रिटर्न प्रोफाइल के प्रबंधन के लिए मजबूती से प्रयास करना होगा। इसमें कहा गया है कि अगले तीन साल में बैंकिंग प्रणाली को 1.2 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी।
संपत्ति गुणवत्ता की मान्यता, ॠण की मांग और नए नियमन (आईएफआरएस 9 तथा बासेल) के प्रभाव की वजह से अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि बैंक सफलतापूर्वक मौजूदा दबाव को झेल जाते हैं तथा अपने कारोबारी मॉडल को नए सिरे से तय करते हैं, तो उनके लिए भारी अवसर होंगे।
इसमें कहा गया है कि आमदनी में कमी तथा पूंजी की अड़चन की वजह से बैंक नई प्रौद्योगिकियों में निवेश नहीं कर पा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा अवसर लघु एवं मझोले उपक्रमों के साथ हैं जो अनुमानत: 140 अरब डॉलर के हैं। ऊंची लागत की वजह से अभी इस क्षेत्र का पूरा दोहन नहीं हो पा रहा है। (भाषा)