Last Modified: नई दिल्ली ,
शनिवार, 10 अप्रैल 2010 (08:54 IST)
सब्सिडी घटाने के उपाय बताए कैग-प्रणब
PTI
खाद्यान्नों, पेट्रोलियम और उर्वरक पर बढ़ते सब्सिडी बोझ से चिंतित सरकार ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) से इन उत्पादों पर दी जा रही भारी सब्सिडी में कमी लाने के सुझाव देने को कहा है।
वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने महालेखाकारों के 25वें सम्मेलन को यहाँ संबोधित करते हुए कहा कि पेट्रोलियम, उर्वरक और खाद्यान्न पर दी जा रही प्रत्यक्ष और परोक्ष सभी तरह की सब्सिडी से सरकारी वित्त पर काफी बोझ पड़ रहा है। इससे विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त धन नहीं बच पाता। उन्होंने कहा ऐसे में मैं चाहता हूँ कि कैग इस बारे में सुझाव दे कि सब्सिडी से लाभान्वित लोगों पर कोई प्रतिकूल असर डाले बिना समूचे सब्सिडी खर्च का बोझ कैसे कम किया जा सकता है।
सरकार का सब्सिडी बोझ साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। वर्ष 2008-09 में यह एक लाख करोड़ रुपए को पार कर गया था तो पिछले वित्त वर्ष में एक लाख 31 हजार करोड़ रुपए तक पहुँच गया। चालू वित्तवर्ष के बजट में सब्सिडी को एक लाख 16 हजार करोड़ रुपए तक सीमित रखने का लक्ष्य है। सरकार उर्वरक, खाद्यान्न और पेट्रोलियम पदार्थों पर भारी सब्सिडी देती है। कुल सरकारी व्यय का दस प्रतिशत सब्सिडी के रूप में चला जाता है।
मुखर्जी ने कैग को व्यय की गुणवत्ता पर भी एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। सितंबर 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट गहराने के बाद सरकार ने विभिन्न परियोजनाओं और विकास कार्यों पर व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि की थी। (भाषा)