अर्नेस्ट एंड यंग ने दिया भारत को इस्पाती सुझाव
अनुसंधान फर्म अर्नेस्ट एंड यंग का सुझाव है कि भारत को आने वाले दशकों में विकास को गति देने के लिए अपने यहाँ अल्ट्रा मेगावाट बिजली परियोजनाओं की तर्ज पर बड़ी-बड़ी इस्पात परियोजनाएँ लगानी चाहिए।उल्लेखनीय है कि अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना की क्षमता 4000 मेगावाट की होती है। अर्नेस्ट एंड यंग के अंजनी अग्रवाल ने कहा कि मेगा इस्पात परियोजनाएँ स्थापित करने में अल्ट्रा मेगावाट बिजली परियोजनाओं का मॉडल अपनाया जा सकता है। हम सभी भागीदारों को साथ लेकर बड़ी परियोजनओं के लिए जगह आदि का चयन करना चाहिए।उन्होंने कहा कि भारत की इस्पात उत्पादन क्षमता में धीमी बढ़ोतरी को देखते हुए फर्म ने यह विचार पेश किया है। भारत 2007 से ही इस्पात का आया तक है। उन्होंने कहा कि सरकार बड़ी इस्पात परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए वैसे ही विशेष उद्देश्यीय कोष (एसपीवी) बना सकती है जैसा उसने अल्ट्रा मेगा परियोजनाओं के लिए किया है।वैश्विक स्तर पर 60 लाख टन उत्पादन से अधिक क्षमता वाली इस्पात परियोजनाओं को 'मेगा परियोजना' माना जाता है। अग्रवाल ने हालाँकि इस बारे में टिप्पणी नहीं की कि भारत में कितनी क्षमता की इस्पात परियोजना को 'मेगा' श्रेणी में रखा जाए। (भाषा)