एक बालगीत : वरदानों की झड़ी
भोले बाबा के नंदी ने,
कहा कान में जाने क्या।
मैंने पूछा तो वह बोला,
गुप्त बात मैं क्यों बोलूं।
नंदीजी से जो बोला है,
भेद आप पर खोलूं क्यों।
मैंने तो उनसे जो मांगा,
तुरत उन्होंने मुझे दिया।
शिव मंदिर में अक्सर बच्चे,
नंदीजी से मिलते हैं।
उन्हें देखकर नन्हे मुखड़े,
कमल सरीखे खिलते हैं।
मन की बात कान में उनके,
कहते, आता बहुत मजा।
बातें अजब-गजब बच्चों की,
सुनकर नंदी मुस्काते।
मांगों वाले ढेर पुलंदे,
शंकरजी तक ले जाते।
फिर क्या! शिवजी वरदानों की,
झटपट झड़ी लगा देते।