गुरु पूर्णिमा पर हाइकु रचना...
हाइकु 100
गुरु की कृपा
अनंत आशीर्वाद
जीवन धन।
गुरु का ज्ञान
अनमोल संपत्ति
कभी न घटे।
गुरु का मान
जीवन से अमूल्य
शिष्य का धर्म।
जीवन ज्योति
गुरु से प्रकाशित
चमके सदा।
तमस दूर
जगमग जीवन
गुरु की कृपा।
शिष्य की शान
गुरुवर महान
ब्रह्म समान
गुरु वरण
तेजोमय संस्कार
आत्म प्रदीप्त।
गुरु शरण
आत्मोन्नति चरित्र
ऊंचा व्यक्तित्व।
शिष्य संस्कार
मूलाधार है गुरु
पुण्य उदय।
गुरु का स्पर्श
चरित्र उत्कृष्टता
शिष्य समग्र।
प्रखर बुद्धि
गुरु मार्गदर्शन
जिज्ञासा शांत।
गुरु संयुक्त
सा विद्या या विमुक्त
अहम रिक्त।