सड़कों पर गड्ढे तो टोल कैसा, हाईकोर्ट ने दिया 80 प्रतिशत कटौती का निर्देश
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अगर सड़कें टूटी हुईं हो तो टोल वसूलना अनुचित होगा। जम्मू की रहने वाली 29 साल की सुगंधा ने इस मामले में केंद्र सरकार, एनएचएआई और जम्मू कश्मीर केंद्र शासित राज्य को प्रतिवादी बनाकर जनहित याचिका दायर की थी। अदालत ने नेशनल हाइवे-44 पर स्थित दो टोल प्लाजाओं पर टोल शुल्क में 80 प्रतिशत कटौती का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि जब तक सड़क निर्माण पूरा नहीं होता, तब तक शुल्क में कटौती रहेगी। अदालत के मुताबिक, टोल शुल्क का मूल सिद्धांत है कि उपयोगकर्ताओं को एक सुचारू, सुरक्षित और अच्छी तरह से रखरखाव वाली सड़क के बदले शुल्क देना चाहिए।
नियमों की धज्जियां : अदालत ने यह भी पाया कि राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। इनके अनुसार दो पास के टोल प्लाजाओं के बीच की दूरी 60 किलोमीटर होनी चाहिए। कोर्ट ने नोट किया कि सरोरे टोल प्लाजा और बान टोल प्लाजा के बीच की दूरी सिर्फ 47 किलोमीटर है। इससे गंभीर नियम उल्लंघन हो रहा है। कोर्ट के अनुसार माता वैष्णो देवी मंदिर में लाखों तीर्थयात्रियों से पैसा वसूलने के उद्देश्य से, डोमेल से पहले जानबूझकर बान टोल प्लाजा को स्थापित किया गया है।
खराब सड़कों पर टोल लेना अन्याय : याचिका में मांग की गई कि दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे परियोजना के तहत पठानकोट से उधमपुर तक का राष्ट्रीय राजमार्ग जब तक पूरी तरह से सुचारू रूप से इस्तेमाल योग्य नहीं बन जाता, तब तक लखनपुर टोल प्लाजा (कठुआ), ठंडी खूई टोल प्लाजा और बान टोल प्लाजा (नगरोटा, जम्मू) पर टोल कर से छूट दी जाए। कोर्ट ने 25 फरवरी को दिए अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति खराब है, जिससे टोल वसूली अनुचित और अव्यवहारिक हो गई है। खराब सड़क पर टोल लेना जनता के साथ अन्याय है। Edited by : Sudhir Sharma