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Last Modified: रविवार, 28 जुलाई 2024 (08:49 IST)

पाकिस्तान की खूनी टुकड़ी BAT, किस तरह भारत में करती है घुसपैठ?

पाकिस्तान की खूनी टुकड़ी BAT, किस तरह भारत में करती है घुसपैठ? - pakistan bat attack
Pakistan BAT : रक्षाबलों ने कुपवाड़ा के माच्छिल सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बैट हमले को नाकाम कर एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया है। हमले में शामिल 2 अन्य आतंकी घने अंधेरे का फायदा उठा पीओके भाग निकलने में सफल रहे। कौन है पाकिस्तान की खूनी टुकड़ी BAT, किस तरह LOC में करती है घुसपैठ? ALSO READ: फिर भारतीय सेना के लिए सिरदर्द बना LOC का मच्छेल सेक्टर
 
  • बैट अर्थात बार्डर एक्शन टीम कह लिजिए या फिर बार्डर रेडर्स, एलओसी पर छापामार युद्ध में माहिर है। ये पाकिस्तान सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप के साथ काम करती है।
  • पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इसे सूचनाएं मुहैया करवाती है।
  • बैट एलओसी या सीमा पर भारत के इलाके में एक से तीन किमी अंदर जाकर हमले करती है।
  • चार हफ्ते हवाई युद्ध के साथ ही इनकी कुल ट्रेनिंग करीब 8 महीनों की होती है।
  • इस टीम का मकसद सीमा पार जाकर छोटे छोटे हमलों को अंजाम देकर भारतीय सीमा में दहशत फैलाना है। हमलों के दौरान बैट इनाम के तौर पर भारतीय सिपाहियों का सिर काट कर अपने साथ ले जाती है।
भारतीय सीमा में पाकिस्तानी बैट टीम की बर्बरता 
  • एक मई 2017 को कृष्णा घाटी में भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम पर हमला किया गया। दो जवान शहीद हुए। नायब सूबेदार परमजीत सिंह और हेड कांस्टेबल प्रेम सागर के शवों को क्षत-विक्षप्त किया गया।
  • 22 नवम्बर 2016 को मच्छेल सेक्टर में बैट के हमले में 3 भारतीय जवान शहीद हुए और एक जवान का सिर काट लिया गया और सिर को वह अपने साथ ले गई।
  • 28 अक्टूबर 2016 को एलओसी पर बीएसएफ के सिपाही मनदीप के शव के साथ बर्बरता की गई और फिर वही घटनाक्रम दोहराया गया।
  • 8 जनवरी 2013 को पुंछ में एलओसी के पास लांसनायक हेमराज सिंह तथा सुधाकर सिंह की हत्या की गई। बैट टीम हेमराज का सिर काट का अपने साथ ले गई।
  • 30 जुलाई 2011 को कुपवाड़ा की गुलदार चोटी पर बैट का हमला हुआ, 6 जवान शहीद हो गए। हमलावर बैट टीम हवलदार जयपाल सिंह तथा देवेंदर सिंह के सिर काट कर अपने साथ ले गई।
  • जून 2008 को 2/8 गोरखा राइफल के जवान को केल सेक्टर में पकड़ा गया और फिर उसका सिर काट कर अपने साथ ले गई।
  • मई व जून 1999 को करगिल में तैनात कैप्टन सौरभ कालिया और उनके 5 साथियों को बंदी बनाया गया था। करीब 22 दिनों तक जवानों को यातनाएं दी गई थीं और बाद में क्षत-विक्षप्त शवों को भारतीय इलाके में फैंक दिया गया था।
Edited by : Nrapendra Gupta