कश्मीर में जल प्रदूषण वाट लगा रहा प्रसिद्ध नदरू की पैदावार को
Water pollution due to Nadru production in Kashmir: कश्मीर में प्रसिद्ध नदरू (Nadru) की पैदावार को जल प्रदूषण (Water pollution) वाट लगाने लगा है। नतीजतन इसके उत्पादन (production) में भारी गिरावट देखी जा रही है। इसकी पैदावार (growers) करने वाले इसके लिए जल निकायों में बहने वाले नालों से होने वाले जल प्रदूषण को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
नदरू व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि व्यापक प्रदूषण और पानी की गुणवत्ता में गिरावट ने विभिन्न जल निकायों में नदरू के उत्पादन को काफी प्रभावित किया है। उत्पादकों का कहना था कि हर गुजरते साल उत्पादन में और कमी देखी जा रही है, क्योंकि बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है।
उत्पादन में लगातार गिरावट : श्रीनगर के संगम इलाके के अनुभवी नदरू उत्पादक 60 वर्षीय मोहम्मद मकबूल बताते थे कि पिछले 16-18 वर्षों में उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है और वे इसे लेकर चिंतिंत हैं। उनकी नजर में 'इस लापरवाही के लिए जनता और सरकार दोनों जिम्मेदार हैं।'
नालियों से प्रदूषित हो रहा पानी : वे कहते थे कि नालियां लगातार जल निकायों में प्रवाहित हो रही हैं जिससे पानी प्रदूषित हो रहा है और नदरू उत्पादन में गिरावट में योगदान दे रहा है। डल झील जैसे जल निकाय हजारों परिवारों के लिए आजीविका का स्रोत हैं और 2014 की विनाशकारी बाढ़ के बाद से नदरू को उत्पादन में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है। मकबूल कहते थे कि हम बाढ़ से पहले झील से सैकड़ों किलोग्राम नदरू की कटाई करते थे। उसके बाद से हम संघर्षरत हैं।
नदरू पैदा करने वाले अन्य उत्पादक कहते थे कि बड़े पैमाने पर प्रदूषण, पानी की गुणवत्ता में गिरावट और झील में अतिक्रमण के कारण पिछले कुछ वर्षों में उत्पादन में गिरावट जारी है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि जब तक जल निकायों को बहाल करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए जाते, तब तक नदरू को डल झील से पूरी तरह से गायब होने का खतरा है।
नावों की जीर्ण-शीर्ण स्थिति पर चिंता : नदरू उत्पादकों ने नदरू को जल निकायों से निकालने के लिए आवश्यक उपलब्ध नावों की जीर्ण-शीर्ण स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि नावों की मरम्मत के लिए देवदार की लकड़ी की अनुपलब्धता ने उनकी चुनौतियों को बढ़ा दिया है। अन्य कृषकों ने अत्यधिक जलस्तर के प्रभाव पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कारण कमल के तने लंबे समय तक पानी में डूबे रहते हैं जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और पैदावार कम हो जाती है।
वे कहते थे कि इसके अतिरिक्त पानी और प्रदूषण दोनों के परिणामस्वरूप डल और अन्य जल निकायों में पानी की गुणवत्ता में गिरावट ने नदरू के पौधों को बीमारियों और कवक के विकास के लिए उजागर कर दिया है जिससे वे उपभोग के लिए अनुपयुक्त हो गए हैं।
कश्मीरी खाद्य उद्योग के लिए चिंता का विषय : यह सच है कि नदरू का गिरता उत्पादन न केवल स्थानीय किसानों के लिए बल्कि समृद्ध कश्मीरी खाद्य उद्योग के लिए भी चिंता का विषय है। कमल के तने की अनूठी बनावट और स्वाद नदरू मोंजे और नदरू यखनी सहित विभिन्न कश्मीरी व्यंजनों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस बीच अधिकारियों ने कहा कि सरकार नदरू के पुनरुद्धार के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जल निकायों में बड़े पैमाने पर सफाई की पहल चल रही है,और जनता से झीलों में कचरा फैलाने और अपशिष्ट पदार्थों को फेंकने से परहेज करने की अपील की गई है।
Edited by: Ravindra Gupta