'कश्मीर में मौत का अखरोट', 3 साल में ले ली 16 लोगों की जान
Jammu and kashmir News : यह जानकर आप हैरान होंगे कि कश्मीर में पेड़ भी कश्मीरियों की जान ले रहे हैं। यह सच है कि अखरोट के पेड़ अक्सर जानलेवा बन जाते हैं और उन पर चढ़ने वाले कश्मीरी जमीन पर गिरकर जान गंवा रहे हैं। आज भी अनंतनाग में एक कश्मीरी साहिल बट की इसी तरह जान चली गई है। वैसे यह कोई पहला हादसा नहीं था कश्मीर में, बल्कि पिछले तीन सालों में अखरोट के पेड़ों से गिरकर जान गंवाने वालों की संख्या 16 को पार कर चुकी है।
सबसे अधिक मौतें वर्ष 2021 में हुई थी। जब 6 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। अखरोट के पेड़ से गिरकर कश्मीरी सिर्फ जान ही नहीं गंवा रहे हैं बल्कि कइयों के सिर भी फूट चुके हैं, कइयों की हडि्डयां भी टूट चुकी हैं और कई बिस्तर पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।
दरअसल कश्मीर में प्रतिवर्ष 2.66 लाख मीट्रिक टन अखरोट 90 हजार हेक्टर भूमि पर उगाया जाता है। कश्मीर में जितना भी ड्रायफ्रूट पैदा होता है उसमें 98 प्रतिशत स्थान अखरोट का है और इस समय अखरोट के पेड़ों से फलों को एकत्र करने का सीजन चल रहा है।
करीब सवा सौ करोड़ के अखरोट के बाजार में अखरोट को एकत्र करना कोई आसान कार्य नहीं है। तीस से 40 फुट की ऊंचाई वाले पेड़ों पर बिना किसी रस्सी और सुरक्षा उपकरणों के चढ़कर फलों को एकत्र करने का जोखिम ही अब कश्मीरियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
हालांकि कश्मीर में नए बने हुए इस व्यावसायिक खतरे से निपटने के लिए बागवानी विभाग कई बार कार्यशालाओं का भी आयोजन कर चुका है तथा कश्मीरियों को सुरक्षा प्रबंध करने की ताकीद भी कर चुका है, पर किसी ने भी विभाग की चेतावनियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजतन पेड़ों से गिरकर होने वाली मौतों और चोटों का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है।