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Last Updated :जम्‍मू , सोमवार, 11 सितम्बर 2023 (17:38 IST)

बारामुल्‍ला क्षेत्र को IED से दहलाने की कोशिश नाकाम, आतंकियों के भर्ती मॉड्यूल का भंडाफोड़

बारामुल्‍ला क्षेत्र को IED से दहलाने की कोशिश नाकाम, आतंकियों के भर्ती मॉड्यूल का भंडाफोड़ - Recruitment module of terrorists busted in Kashmir
Jammu and Kashmir News : सुरक्षाबलों ने कश्‍मीर में आतंकियों के एक भर्ती मॉड्यूल का भंडाफोड़ कर 3 मददगारों को पकड़ा है, जबकि आतंकियों ने बारामुल्‍ला मार्ग पर आईईडी प्‍लांट कर क्षेत्र को दहलाने की कोशिश की, जिसे नाकाम बना दिया गया। पुलिस ने बारामुल्‍ला जिले में एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है और कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 3 मददगारों को पकड़ा है। इनके पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं। तीनों जिले के 4 युवकों को लश्कर में शामिल कराने वाले थे।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ऑपरेशन की जानकारी देते हुए बताया कि आतंकियों के पास से 3 हैंड ग्रेनेड और 30 एके-47 लाइव राउंड सहित आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है। गिरफ्तार तीनों आतंकियों में दो पुरुष और एक महिला है, जिनकी पहचान लतीफ अहमद डार, शौकत अहमद लोन और और इशरत रसूल के रूप में हुई है। ये तीनों चार स्थानीय युवकों का ब्रेनवॉश कर उन्‍हें आतंक की राह पर लाने की तैयारी में थे।

बारामुल्‍ला पुलिस ने बताया कि तीनों आतंकियों से पूछताछ में पता चला कि वे काफी समय से पाक पोषित आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के साथ बतौर मददगार जुड़े हुए हैं। वे सीमा पार बैठे आतंकवादियों उमर लोन और एफटी उस्मान के संपर्क में रहते थे और उनसे मिलने वाले आदेशों के मुताबिक काम करते थे। उन्हें के आदेश पर क्रेरी के चार युवकों की पहचान कर उन्हें लश्कर में शामिल करने की तैयारी थी। गिरफ्तार तीनों आतंकियों के खिलाफ यूएपीए और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

इस बीच हंजीवेरा पट्टन इलाके में श्रीनगर बारामुल्‍ला राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक आईईडी मिला। सुरक्षाबलों ने तुरंत बम निरोधक दस्ते को इसकी सूचना दी। वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एहतियातन सड़क पर यातायात रोक दिया। इसके बाद बम को निष्क्रिय करने की कार्रवाई शुरू की गई। सुरक्षाबलों ने कुछ देर में इसे सुरक्षित रूप से निष्क्रिय कर दिया। जम्मू कश्मीर पुलिस, सेना और सीमा सुरक्षा बल के जवाव मौके पर मौजूद रहे।

रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और सूखे ने सेब की उम्मीदों को सूखा दिया : दशकों बाद कश्मीर फिर से रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और भीषण सूखे की मार को सहन करने को मजबूर हैं। नतीजा सामने है। कश्मीर के किसान लंबे समय से शुष्क मौसम की स्थिति के कारण चिंतित हैं, उनका कहना है कि इससे सेब की गुणवत्ता में गिरावट आई है।

दरअसल कश्मीर में अगस्त से न्यूनतम वर्षा के साथ शुष्क मौसम की स्थिति देखी जा रही है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मानकीकृत वर्षा सूचकांक (एसपीआई) से संबंधित आंकड़ों के अनुसार, कश्मीर क्षेत्र का लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र (10 में से 8 जिले) 3 अगस्त से 30 अगस्त के बीच मध्यम से अत्यधिक शुष्कता से प्रभावित हुआ है।

हालांकि मौसम विभाग ने अब अगले 10 दिनों तक मौसम शुष्क रहने का अनुमान जताया है। ऐसे में लंबे समय तक सूखे रहने से सेब की गुणवत्ता पर असर पड़ा है, जिससे किसानों का दावा है कि इससे बागवानी क्षेत्र को भारी नुकसान हो सकता है।

उत्तरी कश्मीर के सोपोर के किसान सज्जाद अहमद मीर का कहना था कि अगस्त और सितंबर सेब की फसल के लिए दो महत्वपूर्ण महीने हैं। इन दो महीनों के दौरान नियमित बारिश से फलों को आकार और रंग प्राप्त करने में मदद मिलती है।

मीर कहते थे कि दुर्भाग्य से हम पिछले एक महीने से सूखे का दौर देख रहे हैं, जबकि उच्च घनत्व वाले सेब की किस्म बाजारों में आ गई है। उत्पादकों का दावा है कि पारंपरिक किस्मों को कटाई से पहले नियमित बारिश की आवश्यकता होती है।

जबकि बारामुल्ला के उत्पादक फैयाज अहमद खान का कहना था कि लगभग 80 प्रतिशत किसान सेब की फसल की पारंपरिक किस्में उगाते हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण कश्मीर तक सेब की गुणवत्ता अभी तक अच्छी नहीं है, जबकि पुलवामा के सेब उत्पादक मोहम्मद शफी भट के भी विचार कुछ इसी तरह के थे जिसका कहना था कि वर्षा की कमी के बाद उत्पादक अब अपने बगीचों की सिंचाई का प्रबंधन कर रहे हैं, लेकिन इतना पर्याप्त नहीं है। यहां तक कि हमारे बगीचों की सिंचाई के लिए नहरों और झरनों में भी प्रचुर पानी नहीं है। स्थिति ऐसी है कि पत्तियां मुरझा रही हैं और सेब का आकार सामान्य से छोटा है।

नार्थ कश्मीर फ्रूट ग्रोअर एसोसिएशन के अध्यक्ष फैयाज अहमद मलिक कहते थे कि लंबे समय तक मौसम शुष्क रहने से सेब की कटाई में भी देरी हो सकती है। उनके बकौल, अभी बहुत कम मात्रा में सेब फल मंडियों तक पहुंच रहा है। हम पहले ही ओलावृष्टि के कारण भारी नुकसान देख चुके हैं और अब यह सूखा हमारी फसल को और नुकसान पहुंचा रहा है। अगर सूखा जारी रहा तो संभावना है कि सेब पेड़ों से गिर सकते हैं।

मलिक कहते थे कि उन्होंने सरकार से निम्न श्रेणी के सेब की खरीद के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) लागू करने की मांग की है। अभी तक सरकार ने योजना लागू नहीं की है। यदि इसे लागू किया जाता है, तो यह हमारे उत्पादकों के घाटे को सीमित कर सकता है।

प्रासंगिक रूप से बागवानी कश्मीर की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और घाटी की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था 10000 करोड़ रुपए का सेब उद्योग है, जो क्षेत्र में लगभग 3.5 मिलियन लोगों को आजीविका प्रदान करता है और यह याद रखने योग्य तथ्य है कि जम्मू-कश्मीर के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में बागवानी का योगदान आठ प्रतिशत है।
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