डॉलर, पाउंड, येन और यूरो की तरह अब भारतीय मुद्रा 'रुपया' को भी प्रतीकात्मक पहचान मिल गई। हाल ही में भारत सरकार के कैबिनेट द्वारा इसके प्रतीक को स्वीकृति दी गई है। सरकार का कहना है कि देश में इसे 6 महीने के अंदर अपना लिया जाएगा जबकि इसे वैश्विक पहचान मिलने में अभी 18 से 24 माह का समय लग सकता है। रुपए को पहचान मिलने से भारतीय अर्थ के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की अंतर्राष्ट्रीय पहचान और मजबूत होगी।
रुपए के प्रतीक चिह्न के अस्तित्व में आते ही इसे कागज पर छापने के प्रयासों को भी तेज कर दिया गया है। सरकार अब रुपए के चिह्न को टापराइटरों और कंप्यूटर के कीबोर्ड में जोड़ने की कोशिश करेगी। हालाँकि इस चिह्न को रुपए के नोट और सिक्को पर प्रकाशित नहीं किया जाएगा।
भारतीय मुद्रा के इस चिह्न को रोमन लिपि के 'आर' और देवनागरी लिपि के 'र' से मिलाकर तैयार किया गया है। हो सकता है कि रुपए के चिह्न को प्रकाशित करने के लिए कुछ तकनीकी दिक्कतों का समाना करना पड़े। कारण ये है कि इस चिह्न को कंप्यूटर कीबोर्ड में अंतर्राष्टीय स्तर पर जोड़ना इतना आसान काम नहीं हैं क्योंकि कीबोर्ड की इस 'की' या कुंजी का उपयोग ज्यादातर सिर्फ भारत में ही होगा।
सरकार इसे यूनिकोड मानक और विश्व की अन्य स्क्रिप्ट्स में जोड़ने की भी कोशिश कर रही है जिससे इसे आसानी से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रकाशित किया जा सके। अभी तक सिर्फ पाउंड ही ऐसी मुद्रा है जिसके चिह्न को उसके नोट पर प्रकाशित किया जाता है।
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क्या है यूनिकोड यूनिकोड एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय मानक है जो टेक्स्ट डेटा को ग्लोबली इंटरचेंज करता है। यह ऐसा मानक है जिस पर देश-विदेश की प्रमुख आईटी कंपनियों, संगठनों, संस्थाओं और सरकारों ने अपनी सहमति की मुहर लगा दी है। अंग्रेजी, हिन्दी, जापानी, चीनी, अरबी, जर्मन, इतालवी, रूसी आदि हर भाषा के मर्ज की सिर्फ एक दवा, यूनिकोड। यूनिकोड में दुनियाभर की भाषाओं के प्रत्येक 'केरैक्टर' के लिए एक 'कोड' तय कर दी जाती हैं। फिर चाहे कंप्यूटर का 'ऑपरेटिंग सिस्टम', सॉफ्टवेयर या भाषा कोई भी क्यों न हो।
कंप्यूटर मूल रूप से 'बाइनरी' (अंकीय) फोरमैट पर काम करता है। इसमें प्रत्येक 'केरेक्टर' के लिए एक निश्चित अंक निर्धारित कर दिया जाता है। यूनिकोड से पहले कोई एक सर्वमान्य प्रणाली न होने के कारण इन केरेक्टर के लिए सैकड़ों प्रकार की विभिन्न प्रणालियाँ थीं। इनमें से कई में तो एक ही केरेक्टर के लिए अलग-अलग कोड या अलग-अलग केरेक्टर के लिए एक ही कोड दे दिया जाता था।
यूनिकोड में प्रत्येक भाषा के केरेक्टर के लिए एक निश्चित कोड निर्धारित कर दिया जाता है। जिससे किसी भी तरह के दोहराव या गलती की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती और प्रत्येक भाषा के केरेक्टर को स्थान भी मिल जाता है।
यूनिकोड में संसार की सभी लिखी जा सकने वाली भाषाओं में प्रयुक्त होने वाले केरेक्टर समेटने की क्षमता है। तकनीकी रूप में यूनिकोड 16 बिट की एनकोडिंग पर काम करता है। यह एक लाख से भी ज्यादा के केरेक्टर कोड उपलब्ध करवा सकता है जो कि विश्व की सभी भाषाओं की आवश्यकता से भी कहीं ज्यादा है।
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इनमें से 65536 केरेक्टर के तो कोड निर्धारित भी किए जा चुके हैं। यूनिकोड से पहले 7 (8) बिट वाली 'आस्की' (अमेरिकन स्टैंडर्ड कोड फोर इंफॉर्मेशन इंटरचेंज) एनकोडिंग बहुत चलन में रही, पर इसकी क्षमता 128 केरेक्टर तक ही सीमित थी। जिसे अब यूनिकोड ने समाप्त कर दिया है।
ऐसे शामिल होगा रुपया यूनिकोड में रुपए को कीबोर्ड पर लाने में एक साल का समय लग सकता है और उसे अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति मिलने में 2 साल का समय लग सकता है। रुपए के चिह्न को यूनिकोड फॉर्मेट में लाने के लिए उसे पहले यूनिकोड सहायता संघ की कमेटी के पास भेजा जाएगा ताकि उसे यूनिकोड के डेटाबेस में शामिल किया जा सके।
इस प्रतीक को भारतीय मानक 13194:1991 - इंडियन स्क्रिप्ट कोड फॉर इंफॉर्मेशन इंटरचेंज (ISCII) में भी शामिल किया जाएगा। इसके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्ड्स की मौजूदा सूची में परिवर्तन किया जाएगा।
इंडियन स्क्रिप्ट कोड फॉर इंफॉर्मेशन इंटरचेंज भारतीय भाषाओं को कंप्यूटर पर लिखने के लिए कीबोर्ड के लेआउट सहित बहुत से कोड निर्धारित करता है। भारत सरकार हार्डवेयर निर्माताओं के लिए कीबोर्डो में रुपए के प्रतीक को शामिल करना अनिवार्य बना सकती है। यूनिकोड संघ के अनुमोदन के बाद असाइन किए गए कीबोर्ड संयोजन या ऑपरेटिंग सिस्टम के कैरेक्टर मैप से भी इस चिह्न को बनाया जा सकेगा।
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माइक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि यूनिकोड संघ की स्वीकृति मिलने के बाद और वेंडर्स को इसकी सूचना मिलने के बाद ही वो अपने अगले उत्पाद में रुपए के इस प्रतीक को शामिल करेगी। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्ड्स द्वारा प्रतीक को कीबोर्ड मानक के रूप में सूचिबद्ध किए जाने के बाद मेन्यूफेक्चररर्स एसोसिएशन ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (मेट) अपने सदस्यों से अपनी उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव किए जाने पर विचार-विमर्श करने के बाद ही प्रतीक को कीबोर्ड पर लाने के बारे में निर्णय लेगी।
फिलहाल, यह समस्त भारतीयों के लिए गौरव और रुपए की गरिमा का विषय है कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर रुपया अपनी एक अनूठी पहचान के साथ दमकेगा और डॉलर के समकक्ष कंप्यूटर पर सज कर अपनी सुनहरी उपस्थिति दर्ज करेगा। देखना है कि भारत इस एक और शान व पहचान का परचम कब लहराता है।