Elon Musk on H-1B Visa : एच-1बी वीजा कार्यक्रम के बचाव में किसी भी हद तक जाने का संकल्प लेने वाले प्रौद्योगिकी अरबपति एलन मस्क ने इस मुद्दे पर अपना रुख नरम करते हुए कुशल विदेशी श्रमिकों को अमेरिका लाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली त्रुटिपूर्ण प्रणाली में सुधार का आह्वान किया है। अमेरिका में H-1B वीजा दूसरे देशों से वहां जाकर काम करने वालों को दिया जाता है। यह व्यवस्था भारत के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिका में काम करते हैं।
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मस्क और भारतीय-अमेरिकी प्रौद्योगिकी उद्यमी विवेक रामास्वामी को अपने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) का नेतृत्व करने के लिए चुना है। पिछले हफ्ते मस्क ने तर्क दिया था कि उनकी स्पेसएक्स और टेस्ला जैसी तकनीकी कंपनियों के लिए विदेशी कर्मचारियों की जरूरत है।
मस्क ने एक्स पर क्या लिखा : मस्क ने पिछले सप्ताह एक्स पर लिखा था, मैं उन कई महत्वपूर्ण लोगों के साथ अमेरिका में हूं, जिन्होंने अमेरिका को मजबूत बनाने वाली स्पेसएक्स, टेस्ला और सैकड़ों अन्य कंपनियों का निर्माण किया है, इसका कारण एच-1बी है।
मस्क ने एक एक्स यूजर के पोस्ट के जवाब में अपने पहले के बयान को वापस ले लिया, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका को दुनिया की सबसे श्रेष्ठ प्रतिभाओं के लिए एक गंतव्य बनना चाहिए, लेकिन तर्क दिया कि वर्तमान एच-1बी प्रणाली समाधान नहीं है।
मस्क ने रविवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, न्यूनतम वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि करके और एच-1बी को बनाए रखने के लिए वार्षिक लागत जोड़कर इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है, जिससे घरेलू स्तर की तुलना में विदेशों से भर्ती करना अधिक महंगा हो जाएगा। मैं इस बात पर बहुत स्पष्ट हूं कि यह कार्यक्रम त्रुटिपूर्ण है और इसमें बड़े सुधार की आवश्यकता है।
एच-1बी वीजा एक गैर प्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता वाले विशेष तरह के व्यवसायों में विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए एच-1बी वीजा पर निर्भर करती हैं।
प्रौद्योगिकी उद्योग लंबे समय से अमेरिका में अत्यधिक कुशल श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए अधिक एच-1बी वीजा की मांग कर रहा है। मस्क कभी एच-1बी वीजा पर निर्भर थे और उनकी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी टेस्ला ने इस कार्यक्रम का उपयोग करके श्रमिकों को काम पर रखा है। उन्होंने प्रौद्योगिकी उद्योग की विदेशी श्रमिकों को काम पर रखने की आवश्यकता का बचाव किया।
उन्होंने 28 दिसंबर को एक्स पर लिखा, अमेरिका आने वाला कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या राष्ट्रीयता का हो और उसने इस देश के लिए योगदान देने में कड़ी मेहनत की है तो मैं उसका हमेशा सम्मान करूंगा। अमेरिका आजादी और अवसरों की भूमि है। इसे ऐसे ही बनाए रखने के लिए अपने पूरे अस्तित्व के साथ लड़ें।
डोनाल्ड ट्रंप से भी समर्थन : मस्क के बयान को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी समर्थन मिला, जिनके पहले प्रशासन ने 2020 में यह कहकर इस कार्यक्रम को प्रतिबंधित कर दिया था कि यह व्यवसायों को अमेरिकियों की जगह कम वेतन वाले विदेशी श्रमिकों को रखने की अनुमति देता है।
हालांकि, ट्रंप ने हाल में कहा, मुझे हमेशा से वीजा पसंद रहा है, मैं हमेशा से वीजा के पक्ष में रहा हूं। इसलिए हमारे पास ये (एच-1बी वीजा) है। मस्क लगातार कार्यक्रम के पक्ष में एक्स पर पोस्ट करते रहे हैं। आव्रजन पर बहस के बीच ट्रंप के कई समर्थक और आव्रजन विरोधी एच-1बी वीजा कार्यक्रम को समाप्त करने के लिए दबाव बना रहे हैं।
क्यों शुरू हुई बहस : यह बहस तब शुरू हुई जब दक्षिणपंथी विचारधारा वाली इन्फ्लुएंसर (सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बातों से लोगों को प्रभावित करने वाले लोग) लॉरा लूमर ने ट्रंप द्वारा अपने आगामी प्रशासन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) नीति पर सलाहकार के रूप में भारतीय-अमेरिकी उद्यमी श्रीराम कृष्णन के चयन की आलोचना की। कृष्णन अमेरिका में अधिक कुशल अप्रवासियों को लाने की क्षमता के पक्षधर हैं। लूमर ने इसे अमेरिका प्रथम नीति के विपरीत बताया और कहा कि ट्रंप के साथ जुड़े सभी उद्यमी इसके (एच-1बी) के पक्षधर हैं।
बहस तब और तेज हो गई जब रामास्वामी ने अमेरिकी संस्कृति की आलोचना करते हुए कहा कि यह शैक्षणिक उत्कृष्टता और योग्यता के आधार पर सफलता पर ध्यान देने के बजाय सामान्यता को बढ़ावा देती है। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma