दूर हुई अमेरिका की चिंता, विदेशी विनिमय निगरानी सूची से हटेगा भारत का नाम
वॉशिंगटन। अमेरिका भारत को विदेशी विनिमय निगरानी सूची से हटा सकता है। अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत में ऐसी कुछ प्रगति हुई है और सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जो उसकी कुछ बड़ी चिंताएं दूर हुई हैं।
अमेरिका उन देशों को निगरानी सूची में रखता है, जिनकी विनिमय दर नीतियों पर उसे शक है। अप्रैल में अमेरिका ने भारत के साथ चीन, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया और स्विट्जरलैंड को इस सूची में डाला था।
वित्त मंत्रालय ने बुधवार को जारी अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत को इस सूची में बनाए रखा है। हालांकि उसने कहा कि भारत पिछले छह महीने में जिस दिशा में बढ़ा था वैसे आगे भी चलता रहा तो अगली द्वि-वार्षिक रिपोर्ट में उसका नाम सूची से हटाया जा सकता है।
वित्त मंत्रालय ने अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की वृहत आर्थिक एवं मुद्रा विनिमय नीतियों पर जारी छमाही रिपोर्ट में यह बात कही।
मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'भारत की परिस्थितियों में स्पष्ट बदलाव आया है। उसका केंद्रीय बैंक 2018 की पहली छह महीने में शुद्ध बिकवाल रहा जिससे जून 2018 में समाप्त चार तिमाहियों में डॉलर की शुद्ध खरीद कम होकर 4 अरब डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.2 प्रतिशत के बराबर रही।'
उसने कहा कि वहां की स्थिति में 2017 की तुलना में इसमें काफी बदलाव आया है। उस दौरान पहली तीन तिमाहियों (सितंबर तक) में उसकी विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद जीडीपी के दो प्रतिशत से अधिक थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल के पहले छह महीने के दौरान विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजार से निकासी की। पहले छह महीने में रुपया डॉलर के मुकाबले करीब सात प्रतिशत और वास्तविक आधार पर चार प्रतिशत से अधिक गिर गया है।
अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष (यानी अमेरिका का व्यापार घाटा) जून 2018 तक 23 अरब डॉलर है लेकिन भारत के चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.9 प्रतिशत हो गया है।
वित्त मंत्रालय ने कहा, 'भारत तीन में से सिर्फ एक मानदंड को पूरा कर पाया है। यदि अगली रिपोर्ट तक भारत का यह रुख बरकरार रहता है तो उसे निगरानी सूची से हटा दिया जाएगा।'
उन्होंने कहा कि भारत का चालू खाते का घाटा बड़े और लगातार उत्पाद व्यापार घाटे से बढ़ा है, जिसमें सोना और पेट्रोलियम पदार्थों का आयात शामिल है। तेल की आसमान छूती कीमतों के चलते उत्पाद व्यापार घाटा पहली छमाही में बढ़कर जीडीपी के 6.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
मंत्रालय ने भारत के विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप नहीं करने की प्रशंसा की है। उसने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि रुपए की विनिमय दर में गिरावट बाजार-आधारित है और अनुचित उतार-चढ़ाव की स्थिति में ही हस्तक्षेप किया जाएगा। (भाषा)