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Last Updated : गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022 (15:25 IST)

Russia-Ukraine crisis : रूस के साथ विवाद के बीच यूक्रेन का बयान- अतीत की गलतियां दोहराने से बचे दुनिया

Russia-Ukraine crisis : रूस के साथ विवाद के बीच यूक्रेन का बयान- अतीत की गलतियां दोहराने से बचे दुनिया - ukraine foreign minister says we need to use this last chance to stop russia
रूस और यूक्रेन के बीच जारी संभावित लड़ाई के बीच यूक्रेन के विदेश मंत्री ने कहा कि हमें रूस को रोकने के लिए इस आखिरी मौके का इस्तेमाल करने की अवश्यकता है। स्पष्ट है कि राष्ट्रपति पुतिन स्वयं नहीं रुकेंगे। यूक्रेन में बड़े पैमाने पर युद्ध की शुरुआत विश्व में मौजूदा व्यवस्था का अंत होगी।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के विदेश मंत्री ने कहा कि हम वर्तमान में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप सबसे बड़े सुरक्षा संकट का सामना कर रहा है। यह संकट रूस द्वारा एकतरफा बढ़ाया जा रहा है। रूस के यूक्रेन पर आरोप बेबुनियाद हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के विदेश मंत्री ने आगे कहा कि हम वर्तमान में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप सबसे बड़े सुरक्षा संकट का सामना कर रहा है। यह संकट रूस द्वारा एकतरफा बढ़ाया जा रहा है। रूस के यूक्रेन पर आरोप बेबुनियाद हैं. दुनिया को अतीत की गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए। हम स्वतंत्र विश्व की शक्ति और यूरोप में एक नई विनाशकारी तबाही को टालने की हमारी संयुक्त क्षमता में विश्वास करते हैं। 4 करोड़ यूक्रेन नागरिक केवल शांति और एकजुटता से रहना चाहते हैं।
 
दूतावास खाली करवा रहा है रूस : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को देश के बाहर सैन्य बल के उपयोग की अनुमति मिलने और इसके प्रतिक्रिया स्वरूप पश्चिमी देशों द्वारा पाबंदियां लगाए जाने की पृष्ठभूमि में रूस ने कीव स्थित अपना दूतावास खाली करना शुरू कर दिया है वहीं यूक्रेन ने अपने नागरिकों से रूस छोड़ने की अपील की है।
 
यूरोप में नये सिरे से युद्ध छिड़ने की आशंकाओं के बीच इस संकट का कूटनीतिक समाधान निकलने के सारे रास्ते जैसे बंद हो गए हैं। मंगलवार को अमेरिका और उसके महत्वपूर्ण यूरोपीय सहयोगियों ने यूक्रेन के मामले में रूस पर लक्षमण रेखा पार करने का आरोप लगाया।
 
सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ की खबर के अनुसार, रूस ने यूक्रेन में स्थित अपने राजनयिक मिशनों से कर्मचारियों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि विदेश मंत्रालय ने खतरों का संदर्भ देते हुए एक दिन पहले ही लोगों को वहां से निकालने की योजना घोषित की थी। बुधवार दोपहर में कीव स्थित दूतावास पर रूसी झंडा फहराते हुए नहीं दिख रहा था और परिसर के चारों ओर पुलिस की घेराबंदी थी।

इयू ने लगाए प्रतिबंध : यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा रूस के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, कई कंपनियों और दक्षिण पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी हिस्सों की स्वतंत्रता को मान्यता देने के पक्ष में मतदान करने वाले सैकड़ों सांसदों को निशाना बनाकर लगाए गए प्रतिबंध बुधवार से प्रभावी हो गए।
 
इन प्रतिबंधों के तहत सूची में शामिल लोगों एवं कंपनियों की संपत्तियां फ्रीज की गई हैं और उनके ईयू के 27 देशों में यात्रा करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यदि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के खिलाफ और कोई कार्रवाई करते हैं या उसमें और भीतर तक बलों को भेजते हैं तो प्रतिबंध और कड़े किए जा सकते हैं।
 
ईयू मुख्यालय ने कहा कि ईयू स्वघोषित दोनेत्स्क और लुहान्स्क गणराज्यों की स्वतंत्रता को मान्यता देने की राष्ट्रपति पुतिन की अपील के समर्थन में 15 फरवरी को मतदान करने वाली रूसी स्टेट ड्यूमा के 351 सदस्यों पर लागू होने वाले प्रतिबंधात्मक कदमों का विस्तार करेगा।’’
 
इसने कहा कि इनके अलावा ‘यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और स्वतंत्रता को कमजोर करने या खतरे में डालने वाले सरकारी अधिकारियों, बैंकों, कारोबारियों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों समेत 27 बड़े लोगों एवं संस्थाओं पर प्रतिबंध’लगाए गए हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने तनाव करने की अपील की : संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ते संकट को लेकर बुधवार को गहरी चिंता व्यक्त की और सभी पक्षों से तनाव कम करने तथा यूक्रेन एवं उससे परे भी लोगों को युद्ध के संकट से बचाने के लिए वार्ता के मार्ग पर लौटने का आग्रह किया।
 
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने यूक्रेन को लेकर बुधवार को हुई संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कहा कि संपर्क रेखा के पार से संघर्षविराम उल्लंघन की बढ़ती घटनाओं और जमीनी स्तर पर तनाव और बढ़ने समेत यूक्रेन संबंधी हालिया घटनाक्रम ‘बड़ी चिंता’का विषय है।
 
उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में एक बात स्पष्ट है : ‘दोनेत्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों की तथाकथित स्वतंत्रता’’ को मान्यता देने का रशियन फेडरेशन का फैसला और उसके बाद के कदम यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का उल्लंघन हैं तथा ये संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं हैं।’

महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने उन माध्यमों का इस्तेमाल करने की अपील की, ‘‘जो विवादों को सुलझाने के लिए हमारे पास हैं।’उन्होंने सभी से बातचीत तेज करने और तनाव कम करने के लिए प्रयास करने की अपील की।
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