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थाईलैंड के मनमौजी और अय्याश राजा की कहानी, 5 पत्‍नियां, कई रखैल और 13 बच्‍चे

king of Thailand
थाइलैंड के राजा और उनकी प्रजा के लिए 5 मई का दिन एक बहुत बड़े उत्सव का दिन था। नए राजा, महा वजिरालोंगकोर्न के राज्याभिषेक की उस दिन 5वीं वर्षगांठ थी। सार्वजनिक छुट्टी थी, इसलिए राजा और प्रजा ने धूमधाम से खुशियां मनाने के इस समारोह में कोई कमी नहीं छोड़ी।

The story of Thailand capricious and debauched king:1782 में थाइलैंड में 'चक्री' राजवंश की स्थापना के बाद से हर राजा भगवान राम का अवतार माना जाता है। उसे 'रामा' कहा जाता है। इस परंपरा के अनुसार, महा वजिरालोंगकोर्न थाइलैंड के 10वें 'रामा' हैं। उनके पूरे नाम 'महा वजिरालोंगकोर्न द्रादेबाया वारांकुन' का अर्थ है, 'वज्रधारी इंद्र जैसा सभी महाबली देवताओं का वंशज।'

राज्याभिषेक में हिंदुत्व का महत्वः 2019 के 6 अप्रैल से 6 मई तक चला भव्य राज्याभिषेक, हिंदू और बौद्ध रीतियों वाला एक महा-अनुष्ठान था। उससे एक फिर यह सिद्ध होता दिखा कि राम और रामायण का थाइलैंड में आज भी जो उच्च स्थान है, वह भारत में भगवान राम के प्रति आस्था व सम्मान से भी बढ़-चढ़ कर है।

महा वजिरालोंगकोर्न के पिता, भूमिबोल अदुल्यदेय (भूमिबल अतुल्यतेज) नौवें राजा राम (रामा) थे। उनका राज्याभिषेक भी ठीक 70 वर्ष पूर्व, 5 मई 1950 के दिन ही हुआ था। 88 वर्ष की आयु में 13 अक्टूबर 2016 को उनका देहान्त हो गया। उनकी याद में 50 दिनों के शोककाल के बाद 1 दिसंबर 2016 को महा वजिरालोंगकोर्न नये राजा घोषित किए गए थे।

सनातनी रीतियों के लिए ब्राह्मण पंडितः राजधानी बैंकॉक के 'वाट सुथात' मंदिर के पास के ही 'देवस्थान' या 'ब्राह्मण मंदिर' कहलाने वाले हिंदू मंदिर के ब्राह्मण पंडित भी महा वजिरालोंगकोर्न के राज्याभिषेक के औपचारिक कर्मकांड का एक अनिवार्य अंग थे। उन्होंने भी अपना शुभ आशीर्वाद दिया। इन पंडितों के पूर्वज तमिलनाडु के रामेश्वरम में रहने वाले ब्राह्मण पंडित थे। वे भी थाइलैंड के 'चक्री राजवंश' के सभी राजाओं के महत्वपूर्ण धार्मिंक अनुष्ठानों में पुरोहितों का काम करते हैं। 1782 में 'चक्री' राजवंश के संस्थापक 'रामा प्रथम' ने दो ही वर्षों बाद 1784 में बैंकॉक के 'देवस्थान' मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर के पंडित उसी समय से थाइलैंड के हर राजा के राज्याभिषेक के भी पंडित होते हैं।

28 जुलाई 1952 को जन्मे महा वजिरालोंगकोर्न का कोई भाई नहीं, केवल दो बहनें हैं, इसलिए वे शुरू से ही राजसिंहासन के उत्तारधिकारी थे। 1972 में उन्हें विधिवत युवराज घोषित किया गया। उनकी पढ़ाई-लिखाई इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में हुई है। ऑस्ट्रेलिया में ही उन्होंने सैन्य शिक्षा भी पाई है। सुर,सुरा और सुन्दरियों वाली ऐय्याशी-भरी रंगरेलियों के कारण चर्चा में भी कुछ कम नहीं रहे हैं। उनकी अब तक कम से कम पांच विवाहिता पत्नियां और कई अविवाहित रखैलें रही हैं। उनसे मिले  कम से कम 13 बच्चों के वे पिता हैं।

युवराज नहीं, बिगड़ैल छैला बाबू: थाइलैंड के बहुत ही रंगीन तबीयत महामहीम, राज्याभिषेक से पहले और उसके बाद भी, अधितर समय अपने देश में नहीं,जर्मनी में बिताते रहे हैं। अपने पिता, राजा भूमिबोल के जीवनकाल के अंतिम वर्षों में उन्होंने जर्मनी के बवेरिया प्रांत के टुत्सिंगन नगर की मनोरम  'स्टार्नबेर्गर' झील से सटी, एक राजसी विला खरीदी। 5,600 वर्गमीटर बड़े पार्क वाली इस विला का मूल्य उस समय क़रीब चार करोड़ यूरो आंका गया था। टुत्सिंगन की सड़कों पर लोग उन्हें बिना बांहों वाले तंग टी-शर्ट पहने, अक्सर साइकल चलाते  देखा करते थे। टी-शर्ट भी इतना ऊपर चढ़ा होता था कि रंग-बिरंगे गुदनों (टैटू) से भरा उनका पूरा पेट भी दिखाई पड़ता था। जीन्स की उनकी ढीली-ढाली पैंट भी कमर से कहीं नीचे तक लटती नज़र आती थी। उन्हें देख कर कोई भी यही कहता कि यह आदमी कोई युवराज नहीं, बिगड़ैल छैला बाबू होना चाहिए।

'स्टार्नबेगर्र' झील वाली राजसी विला में महा वजिरालोंगकोर्न अपनी एक नई संगिनी, सुतीदा के साथ रहते थे। सुतीदा पहले एक विमान परिचारिका (एयर होस्टेस) हुआ करती थी। मनचले युवराज ने 2014 में उसे अपने अंगरक्षक दस्ते का कमांडर बना दिया। कुछ ही समय बाद कर्नल, मेजर जनरल और लेफ्टिनेन्ट जनरल तक का पद दे दिया। अपने नाम के साथ कुलनाम के तौर पर 'वजिरालोंगकोर्न' लिखने की अनुमति और 'अयुत्थया' नाम की एक पदवी भी उसे मिल गई। इस पदवी का अर्थ राजकुमारों की ऐसी सहचरियां होता है, जिनके साथ उनका विधिवत विवाह नहीं हुआ है।

उसमें ड़ॉन ख़ुआन जैसा कुछ है: थाईलैंड की इस समय 91 वर्षीय राजमाता सिरीकित ने अपने इस मनचले पुत्र के बारे में एक बार कहा, 'उसमें ड़ॉन ख़ुआन जैसा कुछ है। औरतें उसे दिलचस्प पाती हैं और वह औरतों को और अधिक दिलचस्प पाता है।' इस पारस्परिक दिलचस्पी का ही परिणाम है कि थाइलैंड के नए राजा के कम से कम 13 बच्चों की कम से कम पांच माताएं बताई जाती हैं। उनकी तीसरी पत्नी रही श्रीरश्मी सुवादी से इस समय 19 साल का एक बेटा है, दीपांगकोर्न रश्मिज्योती। वही अपने पिता का भावी 'प्रथम' उत्तराधिकारी है।  वह स्टार्नबेगर्र झील वाले जर्मन शहर टुत्सिंगन के ही एक स्कूल में पढ़ाई कर रहा बताया जाता है।

दुनिया का सबसे धनी राजा: थाइलैंड के इस नए राजा को विश्व का सबसे धनी राजा माना जाता है। उनकी संपत्ति 75 अरब डॉलर तक आंकी जाती है। टुत्सिंगन की नगरपालिका के अनुसार वहां उनकी विला से संबंधित सभी करों आदि का बिल थाइलैंड का दूतावास चुकाता है, हालांकि दो वर्ष पूर्व यह भी सुनने में आया था कि नगरपालिका के बिल समय पर भरे नहीं जाते। थाइलैंड की सरकार पूरा ध्यान रखती है कि राजा या राजघराने के लोगों के बारे में कहीं भी कोई अभद्र या आलोचनात्मक बातें कही या लिखी न जाएं। ऐसे लोगों को 15 वर्षों तक जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

तीसरी पत्नी का परिवार जेल में: संभवतः ऐसी ही किसी अप्रिय  घटना के कारण 2014 में उस समय युवराज रहे महा वजिरालोंगकोर्न की तीसरी परित्यक्त पत्नी, श्रीरश्मी के माता-पिता और भाई-बहनों को जेल में डाल दिया गया। 2015 में युवराज के अंतरंग लोगों की मंडली के तीन सदस्यों की रहस्यमय ढंग से मृत्यु हो गई। कहा तो यह भी जाता है कि अक्टूबर 2016 में अपने पिता, राजा भूमिबोल के देहांत के बाद युवराज महा वजिरालोंगकोर्न दृश्यपटल से ग़ायब हो गए।

अब तक फक्कड़मस्त मनमौजी रहे महा वजिरालोंगकोर्न, थाइलैंड के 10वें 'रामा' बनने के बाद कुछ ऐसी चिंताओं से घिर गए हैं, जिनसे वे पहले मुक्त रहा करते थे। उनका इकलौता बेटा दीपांगकोर्न 'ऑटिस्टिक' बताया जाता है। 'ऑटिज़्म' भाषा और बुद्धिमत्ता के विकास में गड़बड़ी की एक बीमारी के समान है। इसका मतलब यह हो सकता है कि वह अब सिंहासन पाने के योग्य नहीं है, हालांकि राजमहल ने कभी इसकी पुष्टि नहीं की है। उनकी 45 वर्षीय चहेती बेटी बज्रकितियाभा एक हार्ट अटैक (हृदयाघात) के बाद से 18 महीनों से कॉमा (बेहोशी) में है। उसके बारे में कहा तो यह भी जाता है वह 'ब्रेन डेड' है, यानी दिमाग़ी तौर पर मर चुकी है। उसे बहुत पढ़ी-लिखी और जनता के बीच बहुत लोकप्रिय माना जाता था। थाइलैंड के लोग राजकुमारी बज्रकितियाभा को देश की भावी महारानी के तौर पर देखते थे।

चार बेटे युवराज नहीं बन सकतेः राजा महा वजिरालोंगकोर्न के चार ऐसे बेटे भी हैं, जिन में से कोई एक भावी युवराज और फिर राजा बन सकता था। लेकिन वे सभी ऐसी माताओं की संतानें हैं, जो उनकी विधिवत विवाहित पत्नियां नहीं रही हैं। पहली पत्नी के साथ उनका विवाह 16 वर्षों तक चला था, पर केवल कागज़ी तौर पर। दूसरी पत्नी से विवाह तब किया, जब पहले ही 5 बच्चे पैदा हो चुके थे। यह विवाह भी नहीं चला। तीसरी पत्नी श्रीरश्मी से दीपांगकोर्न मिला, पर अब उसका ऑटिज़्म उसकी राह का रोड़ा बनने जा रहा है। यही नहीं, श्रीरश्मी के परिवार को जेल में डाल दिया गया था। बताया जाता है कि वर्तमान राजा के युवराज वाले दिनों में कभी उनकी चहेती पत्नी रही श्रीरश्मी अब एक दीन-हीन महिला के तौर पर अपने ही घर में नज़रबंद है।

चाहे 'राम' कहलाता हो या रावण: अपनी वर्तमान पत्नी सुतीदा के साथ विवाह के कुछ ही सप्ताह बाद राजा साहब ने कथित तौर पर एक नई संतान की आशा में एक नया विवाह रचा लिया। इस नई दूसरी पत्नी के भी सैन्य और शाही अलंकरण छीन कर उसे भी जेल में डाल दिया गया। बाद में उसे क्षमा भी कर दिया गया। किसी देश का कोई ऐय्याश राजा जब स्वयं ही इतना दिग्भ्रमित हो कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं, तब तो कभी भी कुछ भी हो सकता है, चाहे वह 'राम' कहलाता हो या रावण!

देश के राजा की अवमानना या उसके खिलाफ़ कुछ बोलना थाइलैंड में दंडनीय अपराध है। ऐसा भी नहीं है कि थाइलैंड के राजा का केवल नाम ही 'राम' होता है। वहां के समाज में वहां का रामायण पढ़ने और रामलीला करने का भी प्रचलन है। किंतु आज के ज़माने में थाइलैंड के हर राजा का काम भी भारत के मर्याद पुरुषोत्तम रहे राम जैसा ही हो, यह संभव नहीं लगता।
Edired by navin rangiyal
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