तहव्वुर राणा ने प्रत्यर्पण पर रोक के लिए लगाई नई अर्जी, भारत नहीं आना चाहता मुंबई हमले का आरोपी
राणा ने 27 फरवरी को अमेरिका की शीर्ष अदालत के एसोसिएट जस्टिस और नौवें सर्किट की सर्किट जस्टिस एलेना कागन के समक्ष बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने के लिए आपात आवेदन प्रस्तुत किया था। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर छह मार्च को प्रकाशित एक नोट में कहा गया अर्जी... न्यायमूर्ति कागन ने अस्वीकार की।
राणा के वकीलों की ओर से गुरुवार को दायर की गई अर्जी के अनुसार राणा ने पहले न्यायमूर्ति कागन के समक्ष पेश बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने संबंधी अपनी आपात अर्जी अब नवीनीकृत की है। नवीनीकृत अर्जी मुख्य न्यायाधीश रॉबर्ट्स के समक्ष पेश करने की मांग की गई है।
उस याचिका में राणा ने तर्क दिया था कि भारत को उसका प्रत्यर्पण अमेरिकी कानून और यातना के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का उल्लंघन है, क्योंकि यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि यदि उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो याचिकाकर्ता को यातना दिए जाने का खतरा होगा।
याचिका में कहा गया कि इस मामले में प्रताड़ित किए जाने की संभावना और भी अधिक है, क्योंकि याचिकाकर्ता मुंबई हमलों में आरोपी पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है। याचिका में यह भी कहा गया है कि उसकी गंभीर चिकित्सा स्थिति के कारण उसे भारतीय हिरासत केंद्रों में प्रत्यर्पित करना इस मामले में वास्तव में मौत की सजा है।
उल्लेखनीय है कि जनवरी में अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने राणा की याचिका खारिज कर दी थी और उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी। फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी राणा को भारत प्रत्यर्पित किए जाने का एलान किया था।
edited by : Nrapendra Gupta