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Last Updated : रविवार, 24 अक्टूबर 2021 (18:09 IST)

इस्लाम छोड़ हिंदू बनेगीं इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति की बेटी, आखिर क्यों लिया ये फैसला?

इस्लाम छोड़ हिंदू बनेगीं इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति की बेटी, आखिर क्यों लिया ये फैसला? - Sukmawati Sukarnoputri Sukarno Daughter, Conversion
इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो की बेटी सुकमावती सुकर्णोपुत्री  अपना धर्म बदल रही हैं। वह अब इस्लाम धर्म को छोड़ हिंदू धर्म अपनाने जा रही हैं। इसके लिए वह 26 अक्टूबर को एक पूजा में शामिल होंगी, तभी हिंदू धर्म अपना लेंगी।

सीएनए इंडोनेशियन की रिपोर्ट के अनुसार, धर्मांतरण के लिए मंगलवार को बाली द्वीप के बुलेलेंग रीजेंसी के सेंटर हेरिटेज एरिया में एक अनुष्ठान समारोह आयोजित किया जाएगा। 70 साल की सुकर्णोपुत्री के इस फैसले से देशभर में हैरानी जताई जा रही है। इंडोनेशि‍या एक मुस्‍लिम देश है, ऐसे में यह फैसला एक चर्चा बना हुआ है।

सुकर्णोपुत्री की दिवंगत दादी को उनके इस फैसले के पीछे की वजह माना जा रहा है। मीडिया को सुकर्णोपुत्री के फैसले के बारे में बताते हुए उनके वकील ने कहा कि उन्हें (सुकर्णोपुत्री) हिंदू धर्म का काफी ज्ञान है। वह हिंदू धर्मशास्त्र के सभी सिद्धांतों और अनुष्ठानों से भी अवगत हैं।

सुकमावती सुकर्णोपुत्री सुकर्णो की तीसरी बेटी हैं और पूर्व राष्ट्रपति मेगावती सुकर्णोपुत्री की छोटी बहन हैं। वह इंडोनेशियाई नेशनल पार्टी की संस्थापक रह चुकी हैं।

सुकर्णोपुत्री की शादी कंजेंग गुस्ती पंगेरन आदिपति आर्य मंगकुनेगारा से हुई थी, लेकिन 1984 में उनका तलाक हो गया। फिर 2018 में सुकर्णोपुत्री की एक कविता काफी वायरल हुई। उन पर इस्लाम को बदनाम करने का आरोप भी लगा था। देश में कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों ने उनके खिलाफ ईशनिंदा की शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके चलते पूर्व राष्ट्रपति की बेटी को आगे आकर माफी मांगनी पड़ गई थी।

सुकमावती सुकर्णोपुत्री का ये फैसला इसलिए भी काफी चर्चा में है, क्योंकि दुनिया के सबसे ज्यादा मुसलमान इंडोनेशिया में ही रहते हैं। इंडोनेशिया में इस्लाम सबसे बड़ा धर्म है। सुकर्णोपुत्री बाली की यात्रा के दौरान अकसर हिंदू धार्मिक समारोहों में शामिल होती रही हैं। वह हिंदू धार्मिक हस्तियों से भी बातचीत करती हैं।

अब ‘शुद्धि वदानी’ नाम के कार्यक्रम में वह अपना धर्म परिवर्तन करेंगी। उनके रिश्तेदारों को भी इस फैसले से कोई आपत्ति नहीं है। रिश्तेदारों का कहना है कि सुकर्णोपुत्री काफी समय से हिंदू धर्म अपनाना चाह रही थीं।
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