शुक्रवार, 2 अगस्त 2024
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शीत युद्ध के बाद यूरोप में क़ैदियों की सबसे बड़ी अदला-बदली

State prisoners China
एक अगस्त का दिन अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों के लिए एक ऐसी बड़ी खुशी लेकर आया, जो बहुत अनपेक्षित ही नहीं, असंभव सी लगती थी। 1989 मे बर्लिन दीवार गिरने और उसके परिणामस्वरूप 1991 में सोवियत संघ के विघटन से पहले तक जब यूरोप में शीत युद्ध की तनातनी चला करती थी, उन दिनों जब-तब सुनने में आया करता था कि रूस और पश्चिमी देशों ने अपने यहां वर्षों से गिरफ्तार इस या उस जासूस की अदला-बदली की है।

हर बार केवल इक्के-दुक्के क़ैदियों की ही अदलाबदली होती थी। किंतु इस बार 7 देशों ने एक-दूसरे के एक साथ 26 ऐसे क़ौदियों का आदान-प्रदान किया है, जो ग़लत या सही, जासूसी ही नहीं, हत्या तक के अपराधों का बोझ ढो रहे थे।

कहा जा रहा है कि इस बार की अपूर्व अदला-बदली के लिए तुर्की ने बिचौलिये का काम काम किया है। सभी पक्ष तुर्की के माध्यम से आपस में गोपनीय वार्ताएं कर रहे थे। तदनुसार, जर्मनी के रिको के. नाम के एक ऐसे युवक को रिहाई मिल गई, जिसे बेलारूस में हाल ही में मौत की सजा सुनाई गई थी। उस पर आरोप था लगाया गया था कि वह यूक्रेन के लिए बोलारूस में जासूसी कर रहा था।

अधिकरियों के आदेश पर हत्या : बदले में जर्मनी ने अपने यहां एक हत्या के दोषी रूसी नागरिक वादिम क्रासिकोव को रूस के हाथों में सौंप दिया। वह दिसंबर 2021 में बर्लिन में एक जॉर्जियाई की हत्या का दोषी ठहराया गया था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन उसकी रिहाई में विशेष रुचि ले रहे थे। कहा जाता है कि क्रासिकोव ने रूस के सरकारी अधिकरियों के आदेश पर उस जॉर्जियाई की हत्या की थी।

रूस ने अपने यहां गिरफ्तार अमेरिकी पत्रकार इवान गेर्शकोविच तथा एक पूर्व अमेरिकी नौसैनिक पॉल व्हेलन को रिहा कर दिया। गेर्शकोविच रूसी मूल के अमेरिकी नागरिक हैं। तुर्की के राष्ट्रपति रज़ब तैयब एर्दोआन के कार्यालय के अनुसार इस अदलाबदली में अमेरिका, जर्मनी, पोलैंड, स्लोवेनिया, नॉर्वे, रूस और बेलारूस के कुल 26 क़ैदी शामिल हैं। 1990 वाले दशक में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से इसीलिए यह यूरोप में क़ैदियों की सबसे बड़ी अदला-बदली है। कुल 13 लोगों को जर्मनी, तीन को अमेरिका और वापसी में दस लोगों को रूस ले जाया जाएगा। तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि रिहा किए गए 26 लोगों में दो नाबालिग भी शामिल हैं।

सौदेबाज़ी : जर्मन सरकार ने रूस और बेलारूस के 16 लोगों की रिहाई की पुष्टि की है। एक वक्तव्य में सरकार ने कहा कि अपने साझेदारों के साथ मिलकर ‘रूस में अवैध रूप से कै़द 15 लोगों के साथ-साथ बेलारूस में मौत की सज़ा पाए एक जर्मन नागरिक की रिहाई भी प्राप्त करना संभव हो पाया है।‘ जर्मन सरकार ने माना कि रूसी हत्यारा वादिम क्रासिकोव इस सौदेबाज़ी का हिस्सा था। उसकी रिहाई का निर्णय बहुत तर्क-वितर्क के बाद ही लिया गया है। उसे नहीं रिहा रिहा करने पर न केवल जर्मनी का अन्य सहयोगी देशों का भी सारा बना-बनाया खेल बिगड़ सकता था।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक लिखित बयान में 16 कैदियों की एकसाथ रिहाई को ‘कूटनीति की उत्कृष्ट कृति’ बताया। उन्होंने लिखा कि रिहा किए गए लोगों में ‘पांच जर्मन और सात रूसी नागरिक हैं, जो अपने ही देश में राजनीतिक कै़दी थे।‘ व्हाइट हाउस में एक भाषण के दौरान, बाइडन ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ शोल्त्स को इस आदान-प्रदान में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, 'मैं चांसलर का विशेष रूप से आभारी हूं।' रूस की मांगों को देखते हुए हमें जर्मनी से भारी रियायतें मांगनी पड़ीं।

सात विमान शामिल थे : तुर्की की गुप्तचर सेवा AMIT के अनुसार इस आदान-प्रदान को कार्यान्वित करने में कुल सात विमान शामिल थे। तुर्की की राजधानी अंकारा में सभी कैदियों की अदला-बदली की गई। रिहा किए गए रूसियों में व्लादिमीर कारा-मुर्सा और इल्या यशिन जैसे प्रमुख विपक्षी राजनेता भी थे। बदले में रूस को पश्चिमी देशों में क़ैद कुछ अपने लोग भी मिले।

बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्सांदर लुकाशेंको ने इस अदला-बदली को संभव बनाने के लिए दो ही दिन पहले मंगलवार 30 जुलाई को मौत की सज़ा पाए जर्मनी के रिको की सज़ा हटा ली। रिको ने इससे पहले बेलारूस के सरकारी टेलीविजन द्वारा दिखाई गई एक रिकॉर्डिंग में क्षमा मांगी थी। 29 वर्षीय इस जर्मन को अन्य बातों के अलावा, यूक्रेनी गुप्तचर सेवा SBU की ओर से कथित तौर पर भाड़े के सैनिक जैसी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए पिछले जून महीने में मौत की सज़ा सुनाई गई थी। अमेरिकी प्रत्रकार इवान गेर्शकोविच 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' के रूस में रिपोर्टर थे। जासूसी के आरोप में उन्हें 19 जुलाई को 16 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

गेर्शकोविच ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया था। पूर्व अमेरिकी सैनिक व्हेलन को भी जासूसी के आरोप में 16 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी। रूसी राष्ट्रपति पूतिन ने क़ैदियों के विनिमय की हाल ही में बार-बार इच्छा व्यक्त की थी। उनकी आलोचना होती थी कि वे पश्चिमी देशों की जेलों से रूसियों को मुक्त कराने के लिए अपने यहां राजनीतिक कैदियों को बंधक के रूप में इस्तेमाल करते हैं।