Last Modified: न्यूयॉर्क ,
गुरुवार, 21 सितम्बर 2017 (11:56 IST)
संयुक्त राष्ट्र में पाक ने फिर छेड़ा कश्मीर राग
न्यूयॉर्क। पाकिस्तान ने कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के घोषणापत्र को लागू करने की मांग करते हुए कहा है कि वह जम्मू कश्मीर में आत्म निर्णय के अधिकार का समर्थन करता रहेगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने अपने पूर्वी पड़ोसी के साथ कश्मीर को अहम मुद्दा बताते हुए भरोसा जताया कि इस घोषणापत्र से इस विवादित मुद्दे को हल करने में मदद मिलेगी।
अब्बासी ने न्यूयॉर्क में विदेश संबंधों की परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, 'मुझे लगता है कि मूल मुद्दा कश्मीर है। सुरक्षा परिषद के घोषणापत्र को लागू करना एक बड़ी शुरुआत होगी जिससे एक-दूसरे की चिंताओं को हल करने और इस क्षेत्र तथा पाकिस्तान और भारत के बीच शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी। यह दोनों देशों के बीच अहम मुद्दा है।'
अब्बासी कांग्रेस की सांसद कैरोलिन मैलोनी के एक सवाल का जवाब दे रहे थे जो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से जानना चाहती थीं कि भारत और पाकिस्तान को शांति कायम करने के लिए क्या करने की जरुरत है?
उन्होंने एक अन्य सवाल पर कहा, 'नियंत्रण रेखा पर भारत का आक्रामक रूख है ताकि कश्मीरी लोगों के सच्चे संघर्ष से ध्यान हटाया जा सकें। कश्मीरी लोग आज वहां भारत के कब्जे के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं।'
अब्बासी ने विश्व समुदाय से जम्मू कश्मीर के लोगों के आत्म निर्णय के मौलिक अधिकार का सम्मान करने और उसकी रक्षा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह से आत्म निर्णय के अधिकार का समर्थन करते हैं। हम वर्ष 1948 के बाद से हर मंच पर इसका पूरी तरह समर्थन करते रहे हैं और हम समर्थन करना जारी रखेंगे। इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के घोषणापत्र के अनुसार हल करना चाहिए। इसे लेकर कोई दो राय नहीं है। हम कश्मीरी लोगों के आत्म निर्णय के अधिकार का पूर्ण समर्थन करते हैं और हम विश्व समुदाय से इसका सम्मान और रक्षा करने का आह्वान करते हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि भारतीय सेनाओं ने वहां अत्याचार किए और हम विश्व समुदाय से उम्मीद करते हैं कि वे उन अत्याचारों पर संज्ञान लें। ये उस क्षेत्र में मानवता के खिलाफ बहुत गंभीर अपराध हैं।
अब्बासी ने आरोप लगाया कि भारत ने अपना आक्रामक रूख बनाया हुआ है। हालांकि उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसी देशों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत करने की जरुरत है और वह भारत के साथ सामान्य संबंध चाहते हैं। (भाषा)