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Last Modified: रविवार, 22 सितम्बर 2024 (11:54 IST)

क्वाड ने चीन को दिया कड़ा संदेश, संयुक्त बयान में क्या है खास?

quad summit
Quad Summit : क्वाड के नेताओं की बैठक के बाद संयुक्त रूप से जारी एक घोषणा पत्र में कहा गया कि चार देशों का यह समूह अच्छे मकसद से बनाया गया है और रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट है। चीन का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए घोषणा पत्र में कहा गया है कि समूह किसी भी ऐसी अस्थिरकारी या एकतरफा कार्रवाई का दृढ़ता से विरोध करता है, जो बल या दबाव के जरिए यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है।
 
क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने डेलावेयर में अपने गृहनगर विलमिंगटन में शनिवार को की जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भाग लिया। ALSO READ: क्वाड समिट में पीएम मोदी बोले, हम किसी के खिलाफ नहीं
 
क्वाड की इस चौथी बैठक के बाद जारी विलमिंगटन घोषणापत्र में कहा गया कि क्वाड को नेता-स्तरीय प्रारूप में उन्नत किए जाने के चार साल बाद यह समूह रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट है। क्वाड अच्छे मकसद से बनाया गया समूह है जो हिंद-प्रशांत के लिए वास्तविक, सकारात्मक और स्थायी प्रभाव छोड़ता है।
 
घोषणापत्र में कहा गया कि हम इस तथ्य का जश्न मनाते हैं कि केवल चार साल में ‘क्वाड’ एक महत्वपूर्ण और स्थायी क्षेत्रीय समूह बन गया है जो आगामी कई दशकों तक हिंद प्रशांत को मजबूत करेगा। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चार प्रमुख समुद्री लोकतांत्रिक देशों के रूप में हम इस गतिशील क्षेत्र में उस शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए स्पष्ट रूप से खड़े हैं जो वैश्विक सुरक्षा एवं समृद्धि के लिए अनिवार्य है।
 
इसमें चीन का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि समूह किसी भी ऐसी अस्थिरकारी या एकतरफा कार्रवाई का दृढ़ता से विरोध करता है, जो बल या दबाव के जरिए यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है। चीन का दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में कई देशों से विवाद है। वह पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है। दूसरी ओर, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी इस क्षेत्र पर अपने-अपने दावे करते हैं।
 
घोषणापत्र में कहा गया कि हम क्षेत्र में हाल में किए गए उन अवैध मिसाइल प्रक्षेपणों की निंदा करते हैं जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हैं। हम समुद्री क्षेत्र में हाल में की गई खतरनाक और आक्रामक कार्रवाइयों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। हम एक ऐसा क्षेत्र चाहते हैं, जहां कोई भी देश किसी भी देश पर हावी न हो, जहां सभी देश दबाव से मुक्त हों और अपने भविष्य को निर्धारित करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकें।
 
चारों राष्ट्र एक ‘‘स्थिर और मुक्त’’ अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें मानवाधिकारों, स्वतंत्रता के सिद्धांत, कानून के शासन, लोकतांत्रिक मूल्यों, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान एवं बल प्रयोग या धमकाने पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत रोक के प्रति प्रबल समर्थन शामिल है।
 
‘क्वाड’ राष्ट्रों ने हिंद-प्रशांत में प्रशिक्षण के लिए एक नई क्षेत्रीय समुद्री पहल (मैत्री) की घोषणा की, ताकि क्षेत्र में उनके साझेदार हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र जागरूकता (आईपीएमडीए) और ‘क्वाड’ के साझेदारों की अन्य पहलों के माध्यम से प्रदान किए गए उपकरणों का अधिकतम लाभ उठा सकें जिसकी मदद से वे अपने जलक्षेत्र की निगरानी एवं सुरक्षा कर सकें, अपने कानूनों को लागू कर सकें और गैरकानूनी व्यवहार को रोक सकें।
 
घोषणापत्र में कहा गया है कि हम 2025 में भारत की मेजबानी में पहली ‘मैत्री’ कार्यशाला को लेकर उत्सुक हैं। इसके अलावा, हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बनाए रखने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए ‘क्वाड’ समुद्री कानूनी वार्ता की शुरुआत का स्वागत करते हैं। ‘क्वाड’ साझेदार आगामी वर्ष में आईपीएमडीए में नई तकनीक और डेटा जोड़ने के इच्छुक हैं ताकि क्षेत्र को अत्याधुनिक क्षमता और जानकारी प्रदान करना जारी रखा जा सके।
 
‘क्वाड’ राष्ट्रों ने यह भी घोषणा की कि अमेरिकी तटरक्षक बल, जापान तटरक्षक बल, ऑस्ट्रेलियाई सीमा बल और भारतीय तटरक्षक बल 2025 में पहली बार ‘क्वाड-एट-सी शिप ऑब्जर्वर मिशन’ शुरू करने की योजना बना रहे हैं, ताकि अंतर-संचालन क्षमता में सुधार हो, समुद्री सुरक्षा मजबूत हो सके और भविष्य के वर्षों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्य मिशन जारी रखे जा सकें।
 
उन्होंने चारों देशों के बीच हवाई मार्ग के जरिए लोगों और वस्तुओं को लाने-ले जाने की साझा क्षमता बढ़ाने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कार्रवाई को तेज करने के मकसद से साजो-सामान संबंधी सामूहिक ताकत का लाभ उठाने के लिए ‘क्वाड इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क पायलट’ परियोजना की शुरुआत की घोषणा की।
 
घोषणा पत्र में क्षेत्रीय भागीदारों के सहयोग से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बंदरगाह संबंधी टिकाऊ और लचीले बुनियादी ढांचे के विकास के लिए समूह की विशेषज्ञता का लाभ उठाने हेतु ‘क्वाड पोर्ट्स ऑफ द फ्यूचर पार्टनरशिप’ की घोषणा करते हुए कहा गया कि सदस्य देशों की मुंबई में भारत की मेजबानी में एक क्वाड क्षेत्रीय बंदरगाह और परिवहन सम्मेलन आयोजित करने की इच्छा है।
 
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि इस नई साझेदारी के जरिए ‘क्वाड’ साझेदार देश समन्वय करना, सूचनाओं का आदान-प्रदान करना, क्षेत्र में साझेदारों के साथ सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को साझा करना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बंदरगाह संबंधी बुनियादी ढांचे में सरकारी और निजी क्षेत्र के निवेश को जुटाने के लिए संसाधनों का लाभ उठाना चाहते हैं।
 
‘क्वाड इन्फ्रास्ट्रक्चर फेलोशिप’ के 2,200 से अधिक विशेषज्ञों तक विस्तार की सराहना करते हुए घोषणापत्र में कहा गया कि पिछले वर्ष शिखर सम्मेलन में इस पहल की घोषणा के बाद से ‘क्वाड’ साझेदारों ने अब तक 1,300 से अधिक फेलोशिप प्रदान की हैं।
 
यह शिखर सम्मेलन पहले भारत में आयोजित होने वाला था, लेकिन राष्ट्रपति बाइडन इस कार्यक्रम को अपने गृहनगर में आयोजित करने के इच्छुक थे।
Edited by : Nrapendra Gupta 
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