Bangladesh Violence : हिंदुओं पर हमले के आरोप पर जमात ए इस्लामी ने दिया यह जवाब
Jamaat-e-Islami's statement on the allegations of attack on Hindus : जमात-ए-इस्लामी पार्टी शफीकुर रहमान ने कहा है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों में उनकी पार्टी शामिल नहीं थी और उन्होंने अपनी पार्टी की नकारात्मक छवि के लिए दुर्भावनापूर्ण मीडिया अभियान को जिम्मेदार ठहराया।
रहमान ने उन आरोपों का भी खंडन किया कि उनकी पार्टी बांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल थी। उन्होंने भारत से कहा कि अगर कोई सबूत है तो वह पेश करे। बांग्लादेश में जमात कार्यकर्ताओं द्वारा हिंदुओं पर हमले के आरोपों को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए रहमान ने आरोपों को निराधार बताया।
उन्होंने कहा, हम अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक धारणा में विश्वास नहीं करते हैं, हम एकता में विश्वास करते हैं। हम हिंदुओं को अल्पसंख्यक नहीं मानते हैं, वे बांग्लादेश में हमारे भाई और मित्र हैं। हम अपने हिंदू भाइयों के साथ हैं और हम उनके साथ खड़े रहेंगे।
रहमान ने कहा, जमात के कार्यकर्ताओं ने पांच अगस्त के बाद हिंदुओं के मंदिरों और घरों की रखवाली की ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। ये निराधार आरोप हैं। जमात के कार्यकर्ता और नेता हिंदू समुदाय की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, पिछले 16 साल में आप एक भी ऐसा उदाहरण नहीं दिखा सकते, जहां जमात ने हिंदुओं की संपत्ति पर कब्जा किया या उसे लूटा हो।
रहमान ने कहा, अवामी लीग के नेताओं ने ऐसा किया है और इसका आरोप हम पर लगाया है। जमात का मानना है कि बांग्लादेश के नागरिक के रूप में सभी समुदायों के सदस्यों को इस देश में समान अधिकार हैं। हमारा संविधान इसकी गारंटी देता है। हमने अपने हिंदू भाइयों पर कभी अत्याचार नहीं किया। वे हमारे भाई और मित्र हैं।
रहमान ने जमात-ए-इस्लामी की नकारात्मक छवि के लिए दुर्भावनापूर्ण मीडिया अभियान को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, यह धारणा कि हम उग्रवादी संगठन हैं, पूरी तरह गलत है। समय आ गया है कि इस धारणा को बदला जाए। हम किसी देश के खिलाफ नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि अगर भारत जमात द्वारा किसी भी भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधि का सबूत दे सकता है, तो उनकी पार्टी माफी मांगने के लिए तैयार है। उन्होंने सवाल किया, अगर हम अपने पड़ोसी को परेशान करने की कोशिश करते हैं, तो क्या हम शांतिपूर्वक रह सकते हैं? (भाषा)
Edited By : Chetan Gour