इसराइल के खिलाफ UN में मतदान से दूर रहा भारत, फिलिस्तीन के समर्थन में वोटिंग  
					
					
                                       
                  
				  				 
								 
				  
                  				  United Nations Human Rights Council: भारत शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में उस प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा, जिसमें गाजा में तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया गया और यह भी मांग की गई कि इजराइल गाजा पट्टी से अपनी अवैध नाकाबंदी तुरंत हटा ले।
				  																	
									  
	 
	परिषद द्वारा 'पूर्वी यरूशलम सहित अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति और जवाबदेही एवं न्याय सुनिश्चित करने के दायित्व' पर मसौदा प्रस्ताव को स्वीकार किया गया, जिसके पक्ष में 28 मत पड़े। इसके खिलाफ 6 मत पड़े और 13 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया।
				  
	 
	13 देश अनुपस्थित रहे : भारत, फ्रांस, जापान, नीदरलैंड और रोमानिया सहित 13 देश प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे। प्रस्ताव के फिलाफ मतदान करने वालों में अर्जेंटीना, बुल्गारिया, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं।
				  						
						
																							
									  
	 
	प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले देशों में बांग्लादेश, बेल्जियम, ब्राजील, चीन, इंडोनेशिया, कुवैत, मलेशिया, मालदीव, कतर, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और वियतनाम भी शामिल हैं। प्रस्ताव में गाजा में तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया गया और यह भी मांग की गई है कि इजराइल गाजा पट्टी से अपनी अवैध नाकाबंदी तुरंत हटा ले।
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	 
	फिलिस्तीन के पक्ष में मतदान : दूसरी ओर, भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के उस मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जिसमें फलस्तीनी लोगों के स्वतंत्र फलस्तीन देश के अधिकार समेत आत्म-निर्णय के अपरिहार्य अधिकार की पुष्टि की गई है। जिनेवा स्थित परिषद ने फिलिस्तीनी लोगों के आत्म-निर्णय के अधिकार पर मसौदा प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भारत समेत 42 सदस्य देशों ने उसके पक्ष में मतदान किया।
				  																	
									  
	 
	परिषद के 47 सदस्यों में से दो देशों अमेरिका और पराग्वे ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया जबकि अल्बानिया, अर्जेंटीना और कैमरून मतदान से दूर रहे। प्रस्ताव में स्वतंत्रता, न्याय और सम्मान से रहने के फिलिस्तीनी लोगों के अधिकार और स्वतंत्र फिलिस्तीन देश के अधिकार समेत उनके आत्म-निर्णय के अपरिहार्य, स्थायी और पूर्ण अधिकार की पुष्टि की गई है। प्रस्ताव में फिलिस्तीन और इजराइल के शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से रहने के द्विराष्ट्र समाधान का भी समर्थन किया गया है। (भाषा/वेबदुनिया)
	Edited by: Vrijendra Singh Jhala