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Last Updated : बुधवार, 1 अगस्त 2018 (23:18 IST)

क्या पाकिस्तान को कंगाली की गर्त से निकाल पाएंगे इमरान खान?

क्या पाकिस्तान को कंगाली की गर्त से निकाल पाएंगे इमरान खान? - Imran Khan Pakistan cricketer politician
भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की नजरें इस वक्त पाकिस्तान पर लगी हैं कि आने वाले समय वह किस दौर से गुजरने जा रहा है...क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान क्या पाकिस्तान को कंगाली की गर्त से निकाल पाएंगे? सैन्य शासन ने उन्हें 'मोहरा' बनाकर पाकिस्तान की अवाम के सामने पेश किया और 11 अगस्त को प्रधानमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी भी होने जा रही है। ऐसे कई सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं कि आखिर क्रिकेट की पिच का यह ऑलराउंडर अपने सपनों के पाकिस्तान को किस तरह दुनिया के सामने पेश करेगा?
 
22 सालों का संघर्ष रंग लाया : जो खिलाड़ी रहते हैं, वो कभी हार नहीं मानते। ऐसा ही कुछ इमरान के साथ हुआ है। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने राजनीति के अखाड़े में छलांग लगाई तो लोगों ने समझा वे अपना शौक पूरा कर रहे हैं और जल्दी आउट हो जाएंगे।
 
शुरुआती चुनाव में उन्हें बुरी तरह शिकस्त मिली लेकिन 22 साल के संघर्ष के बाद इमरान की पार्टी पाकिस्तान  तहरीक-ए-इंसाफ 116 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई। प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के साथ ही इमरान के सामने चुनौतियों की शुरुआत हो जाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन चुनौतियों से कैसे निपटते हैं।
 
 
शानो-शौकत से रहे हैं इमरान खान : इमरान खान का जन्म 5 अक्टूबर 1952 को इकरमुल्लाह खान नियाजी के घर हुआ, जो लाहौर में पेशे से सिविल इंजीनियर थे। संपन्न परिवार में जन्म लेने के कारण इमरान का बचपन और जवानी ऐशो-आराम से रही। इमरान की जवानी भी रंगीनी भरी रही। इमरान खान लड़कियों में टॉम बॉय रहे हैं। न केवल दुनिया में बल्कि भारतीय लड़कियां भी इमरान पर दिल न्योछावर करती थीं। जब भी वे भारत दौरे पर आते थे, लड़कियों का हुजुम इमरान के आसपास ऑटोग्राफ के लिए उमड़ पड़ता था। 1992 में पाकिस्तान को क्रिकेट में विश्व विजेता बनाकर वे हीरो बन गए, लेकिन राजनीति में आने के बाद जब वे पाकिस्तान की अवाम से रूबरू हुए, तब उन्हें अहसास हुआ कि गरीबी किस चिड़िया का नाम है।
 
 
इमरान ने कई सालों पहले जब पत्रकार राजीव शुक्ला (अब आईपीएल के चेयरमैन) को इंटरव्यू दिया था, तब खुलकर अपने दिल की बातें दुनिया के सामने रखीं कि वे किस तरह राजनीति के जरिए पाकिस्तान की हालत सुधारना चाहते है। बरसों बाद जब इमरान की सत्ता पर काबिज होने जा रहे हैं, तब भी उन्होंने अपनी उन्हीं बातों को दोहराया, जो उन्होंने अपने इंटरव्यू में कही थी। उनके दिल में अपने वतन की छवि सुधारने की कई योजनाएं हैं।
 
 
बारूद के ढेर पर बैठा है पाकिस्तान : पाकिस्तान में भले ही चुनाव हो गए हो, वहां के चुनाव आयोग ने सेना के दबाव में जो भी तिकड़में लगाई हो, भले ही संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों ने निष्पक्ष चुनाव पर सवाल खड़े किए हो, भले ही नवाज शरीफ को सत्ता में आने से रोकने के लिए जेल के हवाले किया हो लेकिन अब आने वाले वक्त में जो कुछ भी भुगतना है, वो पाकिस्तान की अवाम को ही भुगतना है।
 
भारत के लिहाज से देखें तो पाकिस्तान में चाहे परवेज मुशर्रफ हो या नवाज शरीफ या फिर अब इमरान, इन सभी चेहरों के लिए 'कश्मीर मुद्दा' एक ऐसा हथकंडा है, जिस पर वे अपनी रोटियां सेकते आए हैं। पाकिस्तान का नया हुक्मरान भी इसी को भुनाने की कोशिश करेगा। इसके साथ ही आतंकी गतिविधियों पर आगे कैसे काम करना है, यह सेना तय करेगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इमरान खान दिल की सुनते हैं या दिमाग का इस्तेमाल करेंगे?
 
 
20 अरब डॉलर की भीख : मीडिया खबरों में बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद वे पाकिस्तान का कायाकल्प करने की गरज से 20 अरब डॉलर की भीख मांगेगे। भीख मांगने की वजह ये भी है कि पाकिस्तान अब तक सिर्फ बारूद की खेती करते हुए आया है। यहां गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा पर बहुत काम करना बाकी है।