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Last Updated : सोमवार, 6 फ़रवरी 2023 (19:26 IST)

क्या चीनी गुब्बारे ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया? क्या कहते हैं इस मामले के विशेषज्ञ?

क्या चीनी गुब्बारे ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया? क्या कहते हैं इस मामले के विशेषज्ञ? - Did the Chinese balloon violate international law?
कैनबरा। अमेरिका के आसमान में पिछले हफ्ते अचानक नजर आया गुब्बारा क्या निगरानी कर रहा था? या फिर यह अनुसंधान कार्य में शामिल था, जैसा कि चीन ने दावा किया है? इन सवालों का जवाब भले ही तत्काल स्पष्ट न हो लेकिन एक बात साफ है कि चीनी गुब्बारे की घुसपैठ ने अंतरराष्ट्रीय कानून की सीमाओं पर प्रश्नचिन्ह जरूर खड़ा किया है।
 
इस घटना ने पहले से ही तनावपूर्ण चल रहे अमेरिका और चीन के रिश्तों में जटिलता को और बढ़ा दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की बीजिंग की निर्धारित यात्रा स्थगित कर दी गई है जबकि चीन ने गुब्बारे के मार गिराए जाने पर कूटनीतिक रोष के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
 
दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में अमेरिकी युद्धपोतों की उपस्थिति पर दोनों पक्षों में लंबे समय से गतिरोध है। चीन इसे अपना जलक्षेत्र मानता है, वहीं अमेरिका के नजरिये से यह अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र है। क्या 2 महाशक्तियों के बीच हवा अब टकराव की अगली वजह होगी?
 
लंबा सैन्य इतिहास : गर्म हवा के गुब्बारों के बारे में आमतौर पर असुरक्षा जैसी अवधारणा नहीं होती। हालांकि इनका एक लंबा सैन्य इतिहास भी है, जो 18वीं शताब्दी में यूरोप में नेपोलियन युग और 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक फैला हुआ है, जब उनका उपयोग निगरानी और बमबारी अभियानों के लिए किया जाता था। युद्ध के शुरुआती कानूनों में सशस्त्र संघर्ष के दौरान गुब्बारों के सैन्य उपयोग के लिए कुछ विशिष्ट उपाय भी शामिल थे।
 
ड्रोन के दौर में गुब्बारों का सैन्य महत्व हालांकि अब बहुत ज्यादा नजर नहीं आता। युद्ध के लिहाज से गुब्बारे अब बहुत कारगर भले ही न हों लेकिन उनमें निगरानी करने की एक अद्वितीय क्षमता कायम है, क्योंकि वे विमान की तुलना में अधिक ऊंचाई पर उड़ते हैं, संवेदनशील इलाके में स्थिर रह सकते हैं, रडार के लिए उनका पता लगाना मुश्किल होता है और वे मौसम का पता लगाने के लिए तैनात गुब्बारे के तौर पर छलावा भी दे सकते हैं।
 
हवा पर किसकी संप्रभुता है? : अन्य देशों के हवाई क्षेत्र में इन गुब्बारों के उपयोग के संबंध में अंतरराष्ट्रीय कानून स्पष्ट है। हर देश का अपने भू-क्षेत्र से 12 समुद्री मील (लगभग 22 किलोमीटर) तक फैले जल पर पूर्ण संप्रभुता और नियंत्रण होता है।
 
अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत प्रत्येक देश के पास 'अपने क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र पर पूर्ण और विशिष्ट संप्रभुता' है। इसका मतलब है कि प्रत्येक देश अपने हवाई क्षेत्र तक पहुंच को पूर्ण रूप से नियंत्रित करता है जिसमें वाणिज्यिक और सरकारी विमान दोनों शामिल हैं। संप्रभु हवाई क्षेत्र की ऊपरी सीमा अंतरराष्ट्रीय कानून में हालांकि स्थापित नहीं है।
 
व्यवहार में यह आमतौर पर अधिकतम ऊंचाई तक फैली हुई है जिस पर वाणिज्यिक और सैन्य विमान संचालित होते हैं, जो लगभग 45,000 फुट (लगभग 13.7 किमी) है। सुपरसोनिक कॉनकॉर्ड जेट हालांकि 60,000 फीट (18 किमी से अधिक) पर संचालित होता है। चीनी गुब्बारे के 60,000 फुट की ऊंचाई पर संचालित होने की भी सूचना मिली थी।
 
अंतरराष्ट्रीय कानून उस दूरी तक विस्तृत नहीं है जिस पर उपग्रह संचालित होते हैं जिसे परंपरागत रूप से अंतरिक्ष कानून के दायरे में आने के रूप में देखा जाता है। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन पर 1944 के शिकागो सम्मेलन जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचे मौजूद हैं, जो किसी देश के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देते हैं। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन ने गर्म हवा के गुब्बारों सहित हवाई क्षेत्र के उपयोग पर अतिरिक्त नियम भी निर्धारित किए हैं लेकिन यह सैन्य गतिविधियों को विनियमित नहीं करते हैं।
 
शीतयुद्ध की विरासत के तौर पर अमेरिका का अपना 'वायु रक्षा पहचान क्षेत्र' भी है। इसके तहत अमेरिकी हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वाले सभी विमानों को अपनी पहचान बताने की आवश्यकता होती है। कनाडा का अपना पूरक क्षेत्र है। चीन, जापान और ताइवान के भी अपने 'वायु रक्षा पहचान क्षेत्र' हैं।
 
निगरानी तंत्र : ऐसे में इन स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय नियमों को देखते हुए चीनी गुब्बारे के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई कानूनी लिहाज से बेहद पुख्ता दिखती है। हवाई क्षेत्र के ऊपर से उड़ान अमेरिका की इजाजत से ही हो सकती थी जिसका साफतौर पर उल्लंघन हुआ। चीन ने शुरू में गुब्बारे में खराबी का संकेत देने का प्रयास किया और दावा किया कि अप्रत्याशित घटना के फलस्वरूप यह अमेरिकी क्षेत्र में दाखिल हुआ।
 
यदि गुब्बारा अपने आप उड़ रहा होता तो यह पूरी तरह से हवा के रुख के साथ चलता। 'साइंटिफिक अमेरिकन' में एक रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि गुब्बारे पर उच्च स्तर का नियंत्रण नजर आता है, खासकर जब यह मोंटाना में संवेदनशील अमेरिकी रक्षा सुविधाओं पर टिका हुआ प्रतीत होता है।
 
अमेरिका ने इस घुसपैठ से निपटने में बेहद संयम दर्शाया है। गुब्बारों की घटना ने स्पष्ट रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन और चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता के प्रति अमेरिका की प्रतिक्रिया की परीक्षा ली है। इसी तरह की घटनाएं दक्षिण चीन सागर में नियमित रूप से होती हैं, जहां अमेरिकी नौसेना चीनी दावे वाले जलक्षेत्र में नौवहन करती है। चीनी नौसेना द्वारा अमेरिकी उपस्थिति को कड़ी चुनौती दी जाती है।
 
गुब्बारे की घटना के बारे में उल्लेखनीय बात यह है कि चीन ने अमेरिका की संप्रभु सीमाओं के भीतर अपनी भौतिक उपस्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाया है। इसके बाद दोनों पक्ष कैसे प्रतिक्रिया देंगे, यह निर्धारित करेगा कि क्या चीन-अमेरिका तनाव और बिगड़ता है? और क्या हम भविष्य में दोनों पक्षों के बीच हवा में साथ ही समुद्र में संभावित उकसावे की उम्मीद कर सकते हैं?(भाषा/द कन्वरसेशन)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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