शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. China bowed down to India's pressure, stopped energy project on Sri Lankan islands
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021 (22:09 IST)

भारत के दबाव में झुका चीन, श्रीलंकाई द्वीपों पर रोकी ऊर्जा परियोजना

भारत के दबाव में झुका चीन, श्रीलंकाई द्वीपों पर रोकी ऊर्जा परियोजना - China bowed down to India's pressure, stopped energy project on Sri Lankan islands
कोलंबो। चीन ने किसी तीसरे पक्ष द्वारा जताई गईं सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए श्रीलंका के 3 द्वीपों में हाइब्रिड ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की परियोजना रोक दी है। इन परियोजना स्थलों को लेकर भारत की तरफ से चिंता व्यक्त किए जाने की खबर है। गौरतलब है कि 2021 की शुरुआत में भारत ने डेल्फ्ट, नगादीपा और अनलथीवु में नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण कार्य चीनी कंपनी को सौंपे जाने पर श्रीलंका के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

‘न्यूजफर्स्टडॉटएलके’ समाचार वेबसाइट में बृहस्पतिवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, चीनी कंपनी ‘साइनो सोर हाइब्रिड टेक्नोलॉजी’ को जाफना के तट के पास डेल्फ्ट, नगादीपा और अलनथिवु द्वीपों में हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने के लिए जनवरी में ठेका दिया गया था। ये तीनों द्वीप तमिलनाडु के निकट स्थित हैं।

श्रीलंका में चीन के दूतावास ने भारत का नाम लिए बगैर बुधवार को एक ट्वीट में इस बात की पुष्टि की। उसने ट्वीट किया, साइनो सोर हाइब्रिड टेक्नोलॉजी को तीसरे पक्ष की ओर से सुरक्षा संबंधी चिंताएं जताए जाने के कारण तीन उत्तरी द्वीपों में हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली विकसित करने से रोक दिया गया है।

उसने बताया चीन ने इसके बजाय मालदीव में 12 सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए माले के साथ 29 नवंबर को एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। ‘न्यूजफर्स्टडॉटएलके’ की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 की शुरुआत में भारत ने डेल्फ्ट, नगादीपा और अनलथीवु में नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण कार्य चीनी कंपनी को सौंपे जाने पर श्रीलंका के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

उसने कहा कि यह अनुबंध ‘सहायक विद्युत आपूर्ति विश्वसनीयता सुधार परियोजना’ का हिस्सा था, जिसे सीलोन विद्युत बोर्ड (सीईबी) कार्यान्वित कर रहा है और यह एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा वित्त पोषित है।

श्रीलंका सरकार ने पिछले महीने कोलंबो बंदरगाह के पूर्वी कंटेनर टर्मिन विकसित करने के लिए चीन सरकार द्वारा संचालित चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी को ठेका दिया था। इससे कुछ महीनों पहले उसने गहरे समुद्र में कंटेनर बंदरगाह बनाने के लिए भारत और जापान के साथ किए गए एक त्रिपक्षीय सौदा रद्द कर दिया था।

चीन ने विवादास्पद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत श्रीलंका में विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है और वह श्रीलंका की विभिन्न योजनाओं में निवेश करने वाले सबसे बड़े निवेशकों में से एक है, लेकिन बीआरआई पहल की स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई है और इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि चीन ने श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसा लिया है।

श्रीलंका ने 1.2 अरब डॉलर कर्ज के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हम्बनटोटा बंदरगाह को 99 वर्षों के लिए एक चीनी कंपनी को 2017 में पट्टे पर दे दिया था।(भाषा)
ये भी पढ़ें
यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने किसे कहा 'लुंगी वाले' गुंडे