ब्रिटेन ने भी खोला चीन के खिलाफ मोर्चा, अमेरिका, भारत और जापान के बाद ड्रेगन से सीधे मुकाबले को तैयार पश्चिमी देश
कोरोनावायरस (Coronavirus) के बाद से ही चीन के प्रति पश्चिमी देशों का रवैया सख्त होता जा रहा है। भारत के सीमा विवाद पर उलझे चीन को अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान के बाद अब ब्रिटेन ने भी तीखे तेवर दिखाए हैं।
सूत्रों के अनुसार अब ब्रिटेन चीन द्वारा हांगकांग में थोपे गए नए सुरक्षा कानून और वीगर मुसलमानों की प्रताड़ना को लेकर चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।
बताया जा रहा है कि ब्रिटेन हांगकांग के साथ 30 वर्ष पुरानी प्रत्यर्पण संधि खत्म कर सकता है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब इस संबंध में संसद में घोषणा कर सकते हैं।
इसके अलावा ब्रिटेन हांगकांग वासियों को अपने यहां आने का प्रस्ताव दे चुका है। ब्रिटेन ने साढ़े तीन लाख ब्रिटिश ओवरसीज नेशनल पासपोर्ट धारकों को ब्रिटेन में आने का न्योता दिया और ये भी कहा कि आगे चलकर इन्हें नागरिकता भी दी जा सकती है। इनके अलावा करीब 26 लाख अन्य नागरिकों को भी ब्रिटेन आने का प्रस्ताव दिया गया है।
ब्रिटेन ने मानवाधिकार के मुद्दे पर भी चीन के शिनजियांग प्रांत में वीगर मुसलमानों की प्रताड़ना का मुद्दा फिर उठाया है और कहा है कि वहां वीगर मुसलमान महिलाओं की ज़बरन नसबंदी की जा रही है।
इसके अलावा चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून को लेकर अमेरिका ने कई कड़े फैसले किए हैं, इनमें से सबसे अहम है हांगकांग को व्यापार में प्राथमिकता का दर्जा वापस लेना।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले ब्रिटेन ने चीनी कंपनी हुवावे से 5 जी में लिए जाने वाली टेक्नोलॉजी करार को खत्म कर दिया था। ब्रिटिश सरकार के नए फ़ैसले के मुताबिक देश के मोबाइल प्रोवाइडरों पर 31 दिसंबर के बाद से चीनी कंपनी हुवावे से कोई उपकरण ख़रीदने पर पाबंदी लगा दी गई है। साथ ही 2027 तक ब्रिटिश मोबाइल प्रोवाइडर अपने नेटवर्क से हुआवे के सभी 5जी किट हटाने होंगे।
चीन भी इस मुद्दे पर सख्त तेवर दिखाते हुए कई बार कह चुका है कि अमेरिका और ब्रिटेन उसके आंतरिक मामलों में दखल दे रहे हैं। चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर कई देशों से चीन के संबंध कटु होते जा रहे हैं। कोरोनावायरस के संक्रमण को लेकर भी पश्चिमी देश चीन पर प्रयोगशाला में वायरस पैदा करने और लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं।