मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Bringing countries like India and China together is Putin victory?
Written By
Last Updated : गुरुवार, 1 सितम्बर 2022 (17:56 IST)

सैन्‍य अभ्‍यास के बहाने एशिया में रूस की लॉबिंग, भारत-चीन जैसे देशों को एक साथ लाना क्‍या पुतिन की जीत है?

सैन्‍य अभ्‍यास के बहाने एशिया में रूस की लॉबिंग, भारत-चीन जैसे देशों को एक साथ लाना क्‍या पुतिन की जीत है? - Bringing countries like India and China together is Putin victory?
दुनिया के नक्‍शे पर नजर डालें तो भारत और चीन एक दूसरे के खिलाफ नजर आते हैं। चीन और अमेरिका भी आमने- सामने ही हैं। लेकिन रूस की वजह से अगर भारत और चीन एक साथ नजर आए तो यह एक नया समीकरण नजर आता है। इस समीकरण का पूरा श्रेय रूस को दिया जा रहा है और यह पुतिन की कुटनीतिक जीत बताई जा रही है।

दरअसल, रूस में भारत और चीन समेत कई देशों का सैन्य अभ्यास चल रहा है। 1 सितंबर से शुरू हुआ यह अभ्यास 7 तारीख तक चलेगा। जिसमें 50 हजार सैनिक और 5 हजार बड़े हथियार शामिल होंगे। इतना ही नहीं, 140 एयरक्राफ्ट्स और 60 जंगी जहाज भी इसका हिस्सा होंगे। रूस के इस सैन्य अभ्यास को यूक्रेन से छिड़ी जंग के बीच दुनिया की बड़ी ताकतों को अपने पाले में लाने की सफल कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
खासतौर पर इस मिलिट्री ड्रिल में भारत और चीन का एक साथ शामिल होना उसके लिए बड़ी कामयाबी है। माना जा रहा है कि रूस इस अभ्यास के जरिए एशिया में अमेरिका के अकेले पड़ने का संकेत देना चाहता है। बता दें कि यूक्रेन मसले पर भारत और चीन दोनों ने ही रूस की आलोचना नहीं की थी।
भारत की चुप्पी को लेकर तो अमेरिका और यूरोपीय देशों ने सवाल उठाया था और लोकतंत्र की दुहाई देते हुए समर्थन की मांग की थी। वोस्टोक-2022 वॉर गेम्स के नाम से होने वाली मिलिट्री ड्रिल ने अमेरिका की चिंताओं में इजाफा भी कर दिया है। पिछले दिनों ही अमेरिका ने कहा था कि रूस के साथ किसी भी देश का सैन्य अभ्यास में शामिल होना चिंता की बात है। इस मिलिट्री ड्रिल में शंघाई कॉपरेशन ऑर्गनाइजेशन और रूस के नेतृत्व वाले संगठन एसटीओ में शामिल देश हिस्सा ले रहे हैं। अमेरिका ने बीते कुछ सालों में भारत के साथ अपनी रक्षा साझेदारी बढ़ाई है, लेकिन उसके बाद भी भारतीय सेना का रूस जाना उसके लिए चिंता का सबब हो सकता है।
भारत के नजरिए से बात करें तो पाकिस्तान और चीन के साथ निरंतर चल रहे सीमा विवाद और हथियारों के सप्लायर के तौर पर रूस की भूमिका अहम है। रूस के साथ भारत एस-400 मिसाइल डील को पूरा किया है और एक बार फिर से 30 फाइटर जेट्स की खरीद करने जा रहा है। इसके अलावा चीन का कहना है कि उसने अपनी थल, वायु और नौसेना को ड्रिल के लिए भेजा है। चीन ने कहा कि यह ड्रिल खासतौर पर पैसिफिक महासागर में अमेरिकी खतरे से निपटने पर फोकस करेगी। बता दें कि यूक्रेन पर रूसी हमले की एक बार भी चीन ने निंदा नहीं की है। इसके अलावा रूस ने भी ताइवान के मसले पर चीन का ही समर्थन किया है। इस तरह व्लादिमीर पुतिन ने मिलिट्री ड्रिल के बहाने एशिया में एक बड़ी लॉबिंग करने में सफलता पाई है। खासतौर पर भारत और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों को एक साथ लाना व्लादिमीर पुतिन की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
ये भी पढ़ें
Moodys Rating 2022 : मूडीज ने घटाया भारत की GDP ग्रोथ रेट का अनुमान, जारी किए आंकड़े...