चीन से आए दिन उइगर मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार की खबरें आती रहती हैं। लेकिन अब जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें बताया गया कि चीन में इस समुदाय के लोगों पर जो जुल्म ढहाया जा रहा है, उसने मानवता को भी ताक में रख दिया है। लाखों लोग कैंप में कैद हैं, तो लाखों का पता नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन के इन जुल्मों को साफतौर से 'मानवता के खिलाफ अपराध' बताया गया है।
दरअसल, चीन के शिनजियांग में मुस्लिम अल्पसंख्यक मुसलमानों से जुड़ी एक रिपोर्ट सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट की तरफ से जारी इस रिपोर्ट में उइगर समुदाय पर चीन सरकार के अत्याचार और जुल्म का लेखा-जोखा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने आतंकवाद विरोधी रणनीतियों के नाम पर अल्पसंख्यक मुसलमानों के मानवाधिकारों का 'गंभीर' रूप से उल्लंघन किया है। चीन की इस करतूत को 'मानवता के खिलाफ अपराध' बताया है। एक अन्य रिपोर्ट में बताया जा चुका है कि करीब 80 लाख मुस्लिमों को चीन ने अलग-अलग स्थानों पर कैद किया है।
क्या है 48 पन्नों की रिपोर्ट में?
रिपोर्ट में कई विषयों का जिक्र किया गया है। यह रिपोर्ट करीब 48 पन्नों की है। इसे Fight against Terrorism and Extremism in Xinjiang: Truth and Facts नाम से जारी किया गया है। चीन ने जिन नियमों का उल्लंघन किया है उनमें बलात्कार, जबरन नसबंदी और गयाब हो जाने की बातें शामिल हैं। यह सब सरकारी नीतियों के नाम पर किया गया। रिपोर्ट में 'परिवार से अलगाव, बदले और गायब होने', 'रोजगार और श्रम के मुद्दों', 'बच्चों को जन्म देने के अधिकार', 'निजता का अधिकार और घूमने की अजादी', 'धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई पहचान और अभिव्यक्ति' और 'वोकेशनल एजुकेशनल ट्रेनिंग सेंटर्स यानी VETCs में हालात' जैसे वर्गों के जरिए मानवाधिकार के उल्लंघन को बताया गया है।
सबसे क्रूर पक्ष : महिलाओं के साथ दुष्कर्म
रिपोर्ट में खासतौर से महिलाओं के साथ बर्ताव का सबसे क्रूर पक्ष सामने आया है। जिसमें तथाकथित VETCs के अंदर डिटेंशन रूम में महिलाओं के साथ यौन अपराध और बलात्कार का जिक्र है। रिपोर्ट में कहा गया कि VETCs को यातना देने के तरीकों या सजाओं के हिसाब से चिह्नित किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, 'कुछ लोगों ने बलात्कार की कुछ घटनाओं समेत कई तरह के यौन अपराधों के बारे में बात की। इनमें पूछताछ के नाम पर ओरल सेक्स और जबरन कपड़े उतरवाने समेत कई अन्य तरीके शामिल हैं।'
10 लाख लोगों की जिंदगी बनी नर्क
तमाम सवालों और चर्चाओं में बीजिंग इस तरह के कैंप की बात से इनकार करता आया है। हालांकि साल 2017 में चीन ने पहली बार इन तथाकथित ट्रैनिंग कैंप्स की बात को माना था। वहीं न तो केंद्रीय और न ही प्रांतीय स्तर पर यह बताया गया है कि इन कैंप्स में कितने लोगों नर्क सी जिंदगी काट रहे हैं। इसके अलावा बीजिंग पर करीब 10 लाख लोगों को डिटेंशन कैंप में रखने, जबरन मजदूरी कराने, जबरन गर्भपात जैसे आरोप भी लगे हैं। चीन की तरफ से इस रिपोर्ट को प्रकाशित नहीं करने की कोशिश की गई थी। लेकिन इसे खारिज कर दिया गया और बैचलेट ने दफ्तर में अंतिम दिन इसे जारी कर दिया।
क्या कहता है हम्यूमन राइट्स?
हम्यूमन राइट्स वॉच चाइना की निदेशक सोफी रिचर्डसन कहती हैं, 'उच्चायुक्त की आलोचना करती हुई प्राप्तियां बताती हैं कि कैसे चीनी सरकार उनकी शिनजियांग रिपोर्ट को प्रकाशित होने से रोकने की कोशिश कर रहा था, जो चीन के अधिकारों के उल्लंघन का खुलासा कर रही थी।' उन्होंने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को इस रिपोर्ट का इस्तेमाल उइगर और अन्य को निशाना बनाते मानवता के खिलाफ चीनी सरकार के अपराधों की जांच में करना चाहिए और जिम्मेदारों को पता लगाया जाना चाहिए।'
यह है हकीकत
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रिपोर्ट के मुताबिक 2017 से 2019 के बीच जन्मदर में 48.7 फीसदी की गिरावट हुई।
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काशगर और होतान जैसे उइगर बहुसंख्यक इलाकों में हालात बदतर।
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इस दौरान नसबंदी में खास इजाफा दर्ज किया गया।
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चिली की राष्ट्रपति रह चुकी बैचलेट भी 1970 में यातनाओं का शिकार हो चुकी हैं।
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एक दस्तावेज में कहा गया है कि करीब 80 लाख मुस्लिमों को अलग अलग रखा गया है।
कौन हैं उइगर मुस्लिम?
उइगर मध्य एशिया में रहने वाले तुर्क समुदाय के लोग हैं जिनकी भाषा उइगर भी तुर्क भाषा से काफी मिलती-जुलती है। उइगर तारिम, जंगार और तरपान बेसिन के हिस्से में आबाद हैं। उइगर खुद इन सभी इलाकों को उर्गिस्तान, पूर्वी तुर्किस्तान और चीनी तुर्किस्तान के नाम से पुकारते हैं। इस इलाके की सीमा मंगोलिया, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के साथ मिलती है।