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Last Updated : गुरुवार, 1 नवंबर 2018 (15:02 IST)

बिना हाथ के पैदा हो रहे बच्चे, कई मामले सामने आने पर सरकार ने देशव्यापी जांच के आदेश दिए...

बिना हाथ के पैदा हो रहे बच्चे, कई मामले सामने आने पर सरकार ने देशव्यापी जांच के आदेश दिए... - babies born with missing hands or arms France launches inquiry
1950 और 1960 के दशक में दुनिया भर हजारों बच्चे विकृति के साथ पैदा हुए थे, तब दुनियाभर के देशों में भय व्याप्त हो गया था। ऐसा ही डर इस समय फ्रांस में फैला हुआ है जहां बिना हाथ या हाथ की विकृति के साथ पैदा हो रहे बच्चों का मामला काफी चर्चा का विषय बन गया है।
 
फ्रांस के कई इलाकों से जन्मदोष के ये मामले सामने आने के बाद एक डर का माहौल है। इसके मद्देनजर अब फ्रांस की सरकार ने देशव्यापी स्तर पर इस मामले की जांच कराने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि इस जांच के नतीजे 3 महीने में आएंगे।
 
सोमवार को फ्रांस के स्वास्थ्य विभाग ने 11 नए मामलों को रिपोर्ट किया, जिसके बाद फ्रांस की पब्लिक हेल्थ एजेंसी के मुखिया फ्रॉन्स्वा बोदलॉन ने इसकी पुष्टि की है कि पहली बार इस मामले में राष्ट्रव्यापी जांच जारी है। उनके मुताबिक करीब 3 महीने में इस जांच के नतीजे सामने आ जाएंगे।
 
उन्होंने कहा कि नागरिकों से कुछ भी छिपाया नहीं जाएगा। उल्लेखनीय है कि ये मामले 2000 से 2014 के बीच स्विस बॉर्डर के पास एक इलाके के थे, जिन्हें इससे पहले सार्वजनिक नहीं किया गया था। पिछले 15 सालों में फ्रांस के अलग-अलग इलाकों से ऐसे करीब 25 मामले सामने आए हैं।
 
फ्रांस की स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस समस्या को स्वीकार करते हुए टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि ये मामले पर्यावरण, प्रेग्नेट महिलाओं के खान-पान, किसी से भी जुड़े हो सकते हैं। इजाबेल भी इस प्रकार की त्रासदी को झेल चुकी हैं, उनकी बेटी का बायां हाथ नहीं था। उनके मुताबिक जिस तरह से प्रशासन इन मामलों को देख रहा है, वह संदेहास्पद है।
 
उन्होंने बताया कि अपनी बेटी के जन्म के कुछ महीने बाद उन्हें उत्तर-पश्चिमी फ्रांस में ऐसी ही समस्याओं से पीड़ित कुछ परिवार और भी मिले। इजाबेल ने कहा कि उनका अनुमान है कि प्रशासन इस मामले को दबाना चाहता था।
 
पहले भी हो चुका है ऐसा : 1950 और 1960 के दशक में पूरी दुनिया में हजारों बच्चे अंग विकृति के साथ पैदा हुए। तब इस मामले को थालिडोमाइड दवा से जोड़ा गया, जिसका इस्तेमाल गर्भवती महिलाओं की उबकाई जैसी समस्या के इलाज में किया जाता था। 1960 के दशक में इस दवा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। माना जा रहा है कि यह समस्या जैनेटिक भी हो सकती है।