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Last Modified: शुक्रवार, 15 सितम्बर 2023 (18:44 IST)

ओजोन परत क्या होती है, जानिए यह क्यों जरूरी है धरती के लिए

ओजोन परत क्या होती है, जानिए यह क्यों जरूरी है धरती के लिए - 16 September World Ozone Day 2023
Ozone day 2023 : 19 दिसंबर 1994 को संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा द्वारा 16 सितंबर को 'ओजोन दिवस' घोषित किया था। इसके बाद से ही प्रतिवर्ष पूरी दुनिया में 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस या ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाया जाता है। आओ जानते हैं कि ओजोन परत क्या है और क्यों जरूरी है यह धरती के लिए।
 
ओजोन परत क्या है?
सन् 1957 में ओजोन की खोज ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर 'गॉर्डन डॉबसन' ने की थी। ओजोन लेयर धरती के वायुमंडल की एक परत है। जो सूरज से सीधे आने वाली किरणों को रोकती है।
 
क्यों जरूरी है धरती के लिए ओजोन : ओजोन लेयर धरती के वायुमंडल में सूर्य की खतरनाक किरणों को आने से रोककर एक बेहतर वातारवण बनाती है। सूरज से सीधे आने वाली किरणों से सबसे अधिक कैंसर का खतरा रहता है। इससे स्किन कैंसर भी हो सकता है। वहीं ओजोन परत सूरज की किरणों को एक प्रकार से छनकर धरती पर पहुंचती है। अत: ओजोन परत का बहुत महत्‍व होने के कारण यह दिन मनाया जाने लगा। अत: हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए जिससे ज्यादा ऑक्‍सीजन का निर्माण हो और ओजोन अणु निर्मित हो सकें। 
 
कैसे होता है ओजोन को नुकसान : ओजोन परत को मानव द्वारा निर्मित प्रदूषण के कारण नुकसान होता है। प्‍लास्टिक कंटेनर, एयरोसोल या स्‍प्रे जिसमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन हो, उनका बहुत अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए। हमें पर्यावरण के अनुकूल उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। वाहनों से ज्यादा धुंआ निकलना, प्‍लास्टिक, टायर, रबर आदि को नहीं जलाना चाहिए, क्योंकि यह ओजोन परत को खत्‍म करने का सबसे बड़ा कारण है। 
 
ओजोन परत पृथ्वी और पर्यावरण के लिए एक सुरक्षा कवच का कार्य करती है, लेकिन प्रदूषण और गैसों के कारण ओजोन परत का छिद्र बढ़ता जा रहा है। इस परत के कारण ही पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी अर्थात अल्ट्रा वॉयलेट किरणें नहीं आप पाती है और जिसके चलते ही जीवन उत्पत्ति और प्राणियों के रहने लायक वातावरण बना था। वैज्ञानिकों के अनुसार धरती शीर्ष से पतली होती जा रही है, क्योंकि इसके ओजोन लेयर में छेद नजर आने लगे हैं। सभी वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विडंबना ही है कि जीवन का समापन co2 की कमी से होगा।
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