यहां इंसान जानवरों के पिंजरे में हैं रहने को मजबूर....
हांगकांग। दुनिया का सबसे संपन्न शहर है और यह सबसे घना भी बसा है लेकिन यहां कम से कम 50,000 लोग पशुओं की तरह रहने को विवश हैं। यूरोप में तो बेघर लोग सड़कों, फुटपाथों पर पड़े रहते हैं लेकिन हांगकांग के लोहे के बने पिंजरों में इंसान रहते हैं। लेकिन इन इंसानों को देखकर आप हैरान हो जाएंगे, क्योंकि ये सड़कों पर नहीं बल्कि खंडहर इमारतों की छतों या नीचे तहखानों में बने जानवरों के पिंजरे में रहते हैं जिनकी 6 फीट लंबाई होती है और 3 फीट चौड़ाई होती है।
कुछेक वर्षों पहले ब्रिटिश फोटोग्राफर ब्रायन कैसी ने इनकी जिंदगी का जायजा लिया था और डेलीमेल ऑनलाइन में डान ब्लूम में इन लोगों के बारे में लिखा था कि चीन के हांगकांग शहर में लोग किस तरह पिंजरों में रहते हैं। हांगकांग शहर को दुनिया का सबसे महंगा शहर कहा जाता है लेकिन यहां रहने वाले ज्यादातर लोग बेहद गरीबी में जीते हैं। क्या आपको पता है कि हांगकांग में आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं, जो महंगे घरों को खरीदने का सपना भी नहीं देख सकते।
घर के अभाव में ये लोग जानवरों की तरह पिंजरे में रहने को मजबूर हैं। ये पिंजरे लोहे के बने होते हैं। गरीबों को ये पिंजरे भी आसानी से नहीं मिलते हैं। इन पिंजरों के बदले उन्हें अच्छी- खासी कीमत चुकानी पड़ती है। सूत्रों के मुताबिक 1 पिंजरे की कीमत लगभग 11 हजार रुपए बताई जाती है। जगह के अभाव में इन पिंजरों को खंडहर हो चुके मकानों में ही रख दिया जाता है। हांगकांग में ऐसे ही पिंजरों में करीब 1 लाख लोग रहने को मजबूर हैं।
पिंजरों की साइज भी पहले से ही निर्धारित होती है। घर के अभाव में मजबूर ऐसे 100 लोग एक ही अपार्टमेंट में रहते हैं। गरीब लोगों की परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब एक अपार्टमेंट में महज 2 ही टॉयलेट उपलब्ध करवाए जाते हैं और तमाम बुनियादी सुविधाओं का अकाल बना रहता है।
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