बारिश या वर्षा का मजा तो भारत में ही है, क्योंकि भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है और एक तरफ इसके हिमालय है। तीनों ओर के समुद्र में मॉनसून सिस्टम बनता है और बादल गहरा कर भारत में बरसते हैं। दूसरी ओर हिमालय से निकलने वाली नदियां उफान पर होती हैं। आओ जानते हैं बारिश के संबंध में 15 रोचक तथ्य।
	 
				  																	
									  
	 
	1. वर्षा एक प्रकार का संघनन है। पृथ्वी की सतह, समुद्र या हिमालय जैसे ग्लेशियर से पानी वाष्पित होकर ऊपर उठता है। उपर आकाश में जल की सूक्ष्म बूंदे एक-दूसरे से टकराकर आकार में बढ़कर बादल का रूप ले लेती है। जब जल की ये बूंदे इतनी भारी हो जाती हैं कि हवा में स्थिर न हो सकें तब यह धरती पर पानी या हिम के रूप में बरसती हैं। इसे ही वर्षा कहते हैं।
				  
	 
	2. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय राज्य केरल में रंगीन बारिश होती है। इस बारिश में पर्याप्त धूल होती है जिसके कारण यह रंगीन नजर आती है। केरल के कोट्टयम क्षेत्र में दुनिया के किसी भी अन्य हिस्से की तुलना में लाल वर्षा सबसे अधिक होती है। 5 जुलाई 2021 को लाल बारिश हुई थी। 
				  						
						
																							
									  
	 
	3. अगर रेगिस्तान में बारिश होती है, तो यह जानना मुश्किल होता है कि वहां क्या बारिश हुई है या नहीं, क्योंकि बूंदें गर्म हवा के प्रभाव के कारण मिट जाता है। इस बारिश को फंटम बारिश कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि इस बारिश में आप भीगते नहीं हो।
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	 
	4. बारिश की एक बूंद घरेलू मक्खी के बराबर हो सकती है और यह आप पर 30 किलोमीट प्रति घंटे की रफ्तार से गिरती है। बारिश गिरने की अधिकतम गति 18 से 22 मील प्रति घंटे होती है। 
				  
				  
	5. बारिश की बूंदों का आकार 0.1 से 9 मिमी व्यास के मध्य हो सकता है। सबसे कम बारिश के बादलों को बादल की बूंदें कहा जाता है और उनकी आकृति गोल होती है। बड़ी बुंदें पैराशूट की तरह आकार वाली होती है। धरती पर सबसे बड़ी वर्षा बूंदें ब्राजील और मार्शल आइलैंड्स में 2004 में दर्ज की गई थी जो कि करीब 10 मिमी के बराबर थी।
				  																	
									  
	 
	5. अधिकांश को लगता है कि बारिश की बूंदें आंसू की बूंदों की तरह दिखती हैं; लेकिन वे वास्तव में चॉकलेट चिप की तरह होते हैं।
				  																	
									  
	 
	6. भारत में ही मेघालय एक ऐसा राज्य है जहां के कुछ स्थानों पर 12 माह बारिश होती रहती हैं। मेघालय के एक गांव ने सालाना लगभग 11,873 मिलीलीटर बारिश के साथ पृथ्वी पर सबसे अधिक बारिश वाले स्थान के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का खिताब जीता है। दुनिया में ऐसी कई जगहे हैं जहां पर सालों भर बारिश होती हैं, जैसे हवाई के कुछ क्षेत्र में और कऊए देश में 350 दिन बारिश होती हैं। 
				  																	
									  
	 
	7. ओले तो सभी ने गिरते हुए देखे होंगे परंतु धरती पर कुछ ऐसे हिस्से हैं जहां पर बरसात होने के साथ ही आसमान से मछलियां और सांप भी भूमि पर गिरते देखे गए हैं। 
				  																	
									  
	 
	8. धरती की सतह पर जो बारिश के समय टिप-टिप की आवाज आती हैं, वे ढंकते हुए पानी के बुलबुले द्वारा निर्मित होती है। बारिश के बाद मिट्टी से खुशबू आती है। 
				  																	
									  
	 
	9. बारिश के वास्तविक गैर-अलंकारिक वजन बहुत बड़ा है; एक एकड़ जमीन पर वर्षा का एक इंच, मोटे तौर पर 226,000 पाउंड होता है। इस तरह हर मिनट में धरती पर 1 अरब टन बारिश होती है।
				  
				  
	10. बारिश के दौरान लगभग 500,000 बिजली के हमले होते हैं। दो बादलों के टकराने से बिजली उत्पन्न होती है। 
				  																	
									  
	 
	11. समुद्र की बारिश भयानक होती है जहां से चक्रावत तूफान उठते हैं और धरती पर तबाही मचाते हैं। समुद्र में बारिश और तूफान उठता है तो मछुआरों के समुद्र में जाने के लिए मना किया जाता है। 
				  																	
									  
	 
	12. बादल फटना बारिश का एक चरम रूप है। इस घटना में भारी बारिश के साथ कभी-कभी गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं। मौसम विज्ञान के मुताबिक जब बादल भारी मात्रा में आर्द्रता यानी पानी लेकर आसमान में चलते हैं और इस दौरान उनकी राह में कोई अवरोध उत्पन्न हो जाता है तो वे अचानक फट जाते हैं। बादल फटने के कारण बहुत ही कम समय में इतनी बारिश होती है कि संबंधित इलाके में बाढ़ जैसी उत्पन्न हो जाती है। आमतौर पहाड़ी और समुद्री इलाकों में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। बादल फटने की घटना आमतौर पर पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर घटती है। इसके कारण घंटे भर में 100 मिलीमीटर तक बारिश हो जाती है। इसके कारण भारी तबाही होती है।
				  																	
									  
	 
	13. धरातल से ऊंचाई के आधार पर बादलों को प्रकार निर्धारित किए जाते हैं। पक्षाभ मेघ (Cirrus clouds), पक्षाभ-स्तरी मेघ (Cirrus clouds), पक्षाभ-कपासी मेघ (Cirrus clouds), स्तरीमध्य मेघ (Alto-stratus clouds), कपासी मध्य मेघ (Alto-cumulus clouds), स्तरी कपासी मेघ (Strato-cumulus clouds), स्तरी मेघ (Strato clouds) आदि।
				  																	
									  
	 
	14. अधिकतर बादलों की ऊंचाई 1800 मीटर से 5500 मीटर तक होती है परंतु तड़ित झंझा और बारिश के लिए उत्तरदायी कुछ बादल धरती से 15,000 मीटर ऊंचाई तक भी पहुंच जाते हैं। 
				  																	
									  
	 
	15. बारिश में कोहरा छाना, बिजली चमकना, ओले गिरना, बादल फटना, बाढ़ आना, इंद्रधनुष दिखाई देना, गर्जन होना, तूफानी बारिश होना, रिमझिम बारिश होना और हिपपात होना आदि कई तरह की घटनाएं होती हैं।