शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. प्रेरक व्यक्तित्व
  4. Ambedkar death anniversary
Written By

6 दिसंबर : डॉ. अंबेडकर स्मृति दिवस, जानें भारत के इस महानायक के बारे में

6 दिसंबर : डॉ. अंबेडकर स्मृति दिवस, जानें भारत के इस महानायक के बारे में - Ambedkar death anniversary
जन्म- 14 अप्रैल, 1891 
निधन- 6 दिसंबर, 1951
 
B.R. Ambedkar : डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू में सूबेदार रामजी शकपाल एवं भीमाबाई की 14वीं संतान के रूप में हुआ था। जनता के बीच बाबा साहेब अंबेडकर के नाम से लोकप्रिय रहे अंबेडकर का असली नाम भीमराव रामजी अंबेडकर था। 
 
डॉ. अंबेडकर को बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने मेधावी छात्र के नाते छात्रवृत्ति देकर विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेजा, जहां उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, दर्शन और अर्थ नीति का गहन अध्ययन प्राप्त किया था, जहां उन्हें अमेरिका में एक नई दुनिया के दर्शन हुए। डॉ. अंबेडकर ने अपना समस्त जीवन समग्र भारत की कल्याण कामना में लगा दिया, खास तौर पर भारत के 80 फीसदी दलित सामाजिक एवं आर्थिक तौर से अभिशप्त थे, उन्हें इस अभिशाप से मुक्ति दिलाना ही अंबेडकर का जीवन संकल्प था।
 
डॉ. अंबेडकर के अनुसार, हिन्दुत्व की गौरव वृद्धि में वशिष्ठ जैसे ब्राह्मण, राम जैसे क्षत्रिय, हर्ष की तरह वैश्य और तुकाराम जैसे शूद्र लोगों ने अपनी साधना का प्रतिफल जोड़ा है। उनका हिन्दुत्व दीवारों में घिरा हुआ नहीं है, बल्कि ग्रहिष्णु, सहिष्णु व चलिष्णु है। डॉ. अंबेडकर ने समाज को श्रेणीविहीन और वर्णविहीन करने के लिए बहुत कोशिश की, क्योंकि इसी श्रेणी ने इंसान को दरिद्र और वर्ण ने इंसान को दलित बना दिया था, जिनके पास कुछ भी नहीं है, वे लोग दरिद्र माने गए और जो लोग कुछ भी नहीं है वे दलित समझे जाते थे। लेकिन जब-जब मौका मिला तो वे दलितों, महिलाओं के लिए लड़े और सामाजिक आर्थिक बदलाव के वाहक बनें।
 
डॉ. अंबेडकर का संकल्प था कि वर्गहीन समाज गढ़ने से पहले समाज को जातिविहीन करना होगा तथा समाजवाद के बिना दलित और मेहनती इंसानों की आर्थिक मुक्ति संभव नहीं। अत: संघर्ष का बिगुल बजाकर उन्होंने यह आह्वान किया कि, छीने हुए अधिकार भीख में नहीं मिलते, अधिकार वसूल करना होता है। 
 
भारतीय संविधान की रचना हेतु डॉ. अंबेडकर के अलावा और कोई अन्य विशेषज्ञ भारत में नहीं था। अतः सर्वसम्मति से डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की प्रारूपण समिति का अध्यक्ष चुनकर 26 नवंबर 1949 को डॉ. अंबेडकर द्वारा रचित (315 अनुच्छेद का) संविधान पारित किया गया।
 
वे मधुमेह रोग से पीड़ित थे तथा दिल्ली में उनके आवास पर नींद के दौरान उनका निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ। उन्हें मरणोपरांत सन् 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। 
 
बाबासाहेब अंबेडकर देश की सेवा में पूर्ण रूप से समर्पित थे, जिनकी पुण्यतिथि 6 दिसंबर को मनाई जाती है। वे भारतीय इतिहास के ऐसे महान व्यक्ति हैं जिन्होंने दलितों को सामाजिक अधिकार दिलाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया तथा भारत के पूर्व कानून और न्याय मंत्री
रहे अंबेडकर एक महान भारतीय अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक के रूप में जाने-पहचाने जाते हैं। 
 
डॉ. अंबेडकर को एक महानायक, विद्वान, दार्शनिक, वैज्ञानिक, समाजसेवी एवं धैर्यवान व्यक्तित्व के धनी थे। उनके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति की प्रखरता, बुद्धिमत्ता, ईमानदारी, सच्चाई, नियमितता, दृढ़ता, संग्रामी स्वभाव ये सभी गुण उनकी अद्वितीय प्रतिभा को खास बनाते हैं। 
ये भी पढ़ें
Gym Beginner Guide: जिम जॉइन करने से पहले एक्सपर्ट की ये 5 बातें जान लें