शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. प्रेरक व्यक्तित्व
  4. 5 important works of Atal Bihari Vajpayee
Written By

अटल बिहारी वाजपेयी जी के वो 5 महत्वपूर्ण कार्य जिससे बदल गई देश की दशा और दिशा

अटल बिहारी वाजपेयी जी के वो 5 महत्वपूर्ण कार्य जिससे बदल गई देश की दशा और दिशा - 5 important works of Atal Bihari Vajpayee
1. पोखरण में परमाणु परीक्षण
2. कारगिल युद्ध
3. मोबाइल क्रांति
4. स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना
5. ग्रामीण रोजगार सृजन योजना एवं एनआरआई के लिए बीमा योजना

Atal Bihari Vajpayee : आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि है। उनका जन्‍म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था और निधन 93 वर्ष की उम्र में 16 अगस्त 2018 को हुआ। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कई बड़े फैसले लिए और कई महत्वपूर्ण कार्य किए जि‍ससे कि देश की दशा और दिशा दोनों बदल गई। 
 
 
आइए यहां आपके लिए प्रस्तुत हैं अटल जी के 5 उल्लेखनीय कार्य- 
 
1. सन् 1957 में जब पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी जी सांसद हो गए थे। एक बार नेहरू ने जनसंघ की आलोचना की तो जवाब में अटल ने कहा, 'मैं जानता हूं कि पंडित जी रोज़ शीर्षासन करते हैं, वह शीर्षासन करें, मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मेरी पार्टी की तस्वीर उल्टी न देखें. इस बात पर नेहरू भी ठहाका मारकर हंस पड़े।' 
 
2. लखनऊ में 5 दिसंबर 1992 को अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बड़ी रैली को संबोधित किया था- सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उस पर मैं कहना चाहता हूं कि वो कारसेवा रोकता नहीं है। सचमुच में सुप्रीम कोर्ट ने हमें अधिकार दिया है कि हम कार सेवा करें। रोकने का तो सवाल ही नहीं। कल कारसेवा करने अयोध्या में सर्वोच्च न्यायालय के किसी निर्णय की अवहेलना नहीं होगी। कारसेवा करने सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान किया जाएगा। पराक्रम किया जाएगा।...अयोध्या में कारसेवा से ठीक एक दिन पहले उस रैली में उन्होंने कहा था, ‘वहां (अयोध्या) नुकीले पत्थर निकले हैं। उन पर तो कोई बैठ नहीं सकता तो जमीन समतल करना पड़ेगा। बैठने लायक करना पड़ेगा।'’
 
3. 1996 में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का उत्तर देते हुए- 'यदि मैं पार्टी तोड़ू और सत्ता में आने के लिए नए गठबंधन बनाऊं तो मैं उस सत्ता को छूना भी पसंद नहीं करूंगा।’ 31 मई 1996 में विश्वास प्रस्ताव पर भाषण के दौरान अटल जी ने कहा था- देश आज संकटों से घिरा है और ये संकट हमने पैदा नहीं किए हैं, जब-जब कभी आवश्यकता पड़ी संकटों के निराकरण में हमने उस समय की सरकार की मदद की है...सत्ता का खेल तो चलेगा, सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी…मगर ये देश रहना चाहिए..इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए।
 
4. जब 1998 में परमाणु परीक्षण पर संसद में संबोधन के दौरान कहा कि- ‘पोखरण-2 कोई आत्मश्लाघा के लिए नहीं था, कोई पुरुषार्थ के प्रकटीकरण के लिए नहीं था। लेकिन हमारी नीति है, और मैं समझता हूं कि देश की नीति है यह कि न्यूनतम अवरोध (डेटरेंट) होना चाहिए। वो विश्वसनीय भी होना चाहिए। इसलिए परीक्षण का फैसला किया गया।’
 
5. अटल जी ने 28 दिसंबर 2002 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन अवसर पर कहा कि- ‘शिक्षा अपने सही अर्थों में स्वयं की खोज की प्रक्रिया है। यह अपनी प्रतिमा गढ़ने की कला है। यह व्यक्ति को विशिष्ट कौशलों या ज्ञान की किसी विशिष्ट शाखा में ज्यादा प्रशिक्षित नहीं करती, बल्कि उनके छुपे हुए बौद्धिक, कलात्मक और मानवीय क्षमताओं को निखारने में मदद करती है। शिक्षा की परीक्षा इससे है कि यह सीखने या सीखने की योग्यता विकसित करती है कि नहीं, इसका किसी विशेष सूचना को ग्रहण करने से लेना-देना नहीं है।’ 
 
अटल बिहारी वाजपेयी के ऐति‍हासिक फैसले : 
 
• वाजपेयी जी के कार्यकाल में ही 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का अभियान शुरू किया गया था, जिसे उन्होंने सन् 2000-01 में इस स्कीम को लागू करके पैसे के अभाव के पढ़ाई छोड़ देने वाले बच्चों को फायदा पहुंचाया तथा 'स्कूल चले हम' थीम की लाइन लिखकर प्रमोट किया। इस तरह सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा मिला। 
 
• भले ही राजीव गांधी को भारत में संचार क्रांति का जनक माना जाता हो, लेकिन उसे आम लोगों तक पहुंचाने का श्रेय वाजपेयी की सरकार ने किया था, जब सन् 1999 में वाजपेयी जी ने भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के एकाधिकार को समाप्त करते हुए नई टेलिकॉम नीति लागू की और लोगों को सस्ती दरों पर फोन कॉल्स करने का फायदा मिला। 
 
• इन सबके अलावा भी प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने सड़कों के माध्यम से भारत को जोड़ने की योजना बनाई थी, जिसमें उन्होंने प्रमुख रूप से चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना लागू की, साथ ही ग्रामीण सड़क योजना के उनके फैसले ने देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया, जिसे भारतीय राजनीति में सबसे ज्यादा अहम कार्य माना जा सकता है। 
 
• उन दिनों जब 13 दिसंबर, 2001 को वाजपेयी के कार्यकाल का दौर था, तब 5 चरमपंथियों ने भारतीय संसद पर हमला कर दिया था, वो दिन भारतीय संसदीय इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है। उस समय वाजपेयी सरकार ने पोटा कानून बनाया, जो बेहद सख्त आतंकवाद निरोधी कानून था, जिसे 1995 के टाडा कानून के मुकाबले बेहद कड़ा माना गया था।
 
• इसके अलावा वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में 4 दशकों तक सक्रिय रहे। वे लोकसभा में 9 बार और राज्यसभा में 2 बार चुने गए और एक कीर्तिमान स्थापित किया। वे 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने 13 अक्टूबर 1999 को लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। इसके अलावा विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई। इसीलिए वे अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं।