सभी फोटो : धर्मेंद्र सांगले
केंद्र में सरकार आपकी। राज्य में सरकार आपकी। शहर का महापौर आपका। सांसद और विधायक भी आपके। फिर ये धरना प्रदर्शन किसके खिलाफ था। वो भी सत्ता में बैठी हुई भाजपा के सहयोगी संगठनों द्वारा दिया जाने वाला धरना प्रदर्शन। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ इस प्रदर्शन का इंदौर में क्या औचित्य है। क्या सत्ता में बैठी सरकार के सहयोगी हिंदू संगठन अपनी ही सरकार को यह संदेश दे रहे हैं कि सरकार ठीक से काम नहीं कर रही है? सवाल यह है कि क्या यह धरना प्रदर्शन वाकई में बांग्लादेश में हिंदुओं के प्रति अपना 'सॉलिडिटरी शो' करने के लिए है या उस बात की खीज है कि जिस वक्त बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा की जा रही है, ठीक उसी वक्त भारत के प्रधानमंत्री द साबरमती रिपोर्ट फिल्म देख रहे थे।
बता दें कि 4 दिसंबर को इंदौर में जिस तरह से हिंदू संगठनों का ये धरना प्रदर्शन आम लोगों के लिए मुसीबत बना उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बुधवार को राजवाड़ा से लेकर कलेक्ट्रेट और लालबाग से लेकर केसरबाग तक आने जाने वाले हजारों लोग बेइंतहा परेशान हुए। ऑफिस जाने वाले कामकाजी लोग और कर्मचारियों के अलावा स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों का सफर बुरी तरह प्रभावित हुआ। सैकड़ों लोगों को अपने रूट बदलना पड़े तो हजारों लोग अपने गंतव्य पर पहुंचने में लेट हुए। शहर में आए दिन होने वाले धार्मिक और राजनीतिक प्रदर्शन आम लोगों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। क्या यह नहीं हो सकता कि इस तरह के आंदोलनों और धरना प्रदर्शनों के लिए शहर के बार कोई स्थल तय कर दिया जाए, जहां 2 लाख, 5 लाख लोग जमा होकर यह सब कर सके और आम आदमी अपनी रोजी-रोटी की फिक्र कर सके।
सिर्फ धरना प्रदर्शन में व्यवस्था, पूरे साल क्यों बदहाल रहता है ट्रैफिक : इस धरना और विरोध की वजह से कई जगह ट्रैफिक मैनेजमेंट खराब हुआ। हालांकि कई जगह पर आरएसएस के स्वयंसेवकों और स्थानीय ट्रैफिक प्रशासन ने ट्रैफिक को संभाल रखा था, लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर धरना और विरोध प्रदर्शन और रैलियों के दौरान ही क्यों ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त हो जाती है, जितना अमला इन प्रदर्शनों में लगाया जाता है ऐसी व्यवस्था पूरे सालभर आम लोगों के लिए क्यों नहीं की जाती है। हाल ही में बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कार्यक्रम के दौरान भी शहर का ट्रैफिक बदहाल हो गया था। जिसकी वजह से हजारों लोग परेशान हुए थे।
ज्ञापन राष्ट्रपति को दिया जाना था : सोशल मीडिया में जहां इस धरना प्रदर्शन और ज्ञापन का समर्थन देखने को मिला, वहीं कई लोगों ने इसके खिलाफ अपनी नाराजगी भी दर्ज करवाई। फेसबुक और एक्स पर लोगों ने कहा कि बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया जाना था। उनकी सरकार है, उनके ही मंत्री और सांसद हैं, ऐसे में वे खुद पीएम मोदी से मिलकर अपना विरोध दर्ज करा सकते थे। स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन देने से आखिर क्या हासिल होगा? लोगों ने कहा कि क्या फर्क पड़ता है, पहले भी हम ज्ञापन दे रहे थे, अब भी हम ज्ञापन ही दे रहे हैं। हिन्दू संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा है। क्या ऐसे ज्ञापनों से बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ अत्याचार बंद हो जाएंगे?
ना पोहा ना चाय बांग्लादेश हाय-हाय : बता दें कि सकल हिंदू समाज के बैनर तले इंदौर समेत उज्जैन और भोपाल में भी यह धरना प्रदर्शन किया गया। जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। इंदौर के छप्पन दुकान व्यापारी संघ भी इस विरोध में शामिल हुआ और उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार के विरोध में 'ना पोहा ना चाय, बांग्लादेश हाय-हाय' के नारे लगाए।
व्यापारिक संगठन और साधु-संत हुए शामिल : बता दें कि बुधवार को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में इंदौर में लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे। व्यापारिक संगठन, शहर की संस्थाएं और कई संगठनों ने इसमें हिस्सा लिया। सुबह 7 बजे से ही इंदौर की सभी सड़कों पर बड़ी संख्या में लोग नजर आने लगे। कोने-कोने से आए इन लोगों ने इंदौर के कलेक्टर के कार्यालय पर धरना दिया और ज्ञापन दिया कि इंदौर में बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जल्द से जल्द बंद होना चाहिए। इसमें साधु-संत, व्यापारिक संगठन, रहवासी संघ विभिन्न संस्थाएं सामाजिक संगठन सभी शामिल हुए।
RSS और हिंदू संगठनों ने झोंकी ताकत : इस प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए आरएसएस, बीजेपी, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और सभी हिंदू संगठनों ने पूरी ताकत झोंक दी। लगभग एक हफ्ते तक इंदौर में 5000 से अधिक बैठक गली-मोहल्ले और कॉलोनी में की गई और उसका परिणाम यह रहा कि यह इंदौर का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन बन गया। बड़ी संख्या में लोग एक दिन पहले ही इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए तैयार हो चुके थे। प्रदर्शन में प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, शहर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक उषा ठाकुर और भाजपा के अन्य नेता भी शामिल हुए। ठाकुर ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर अत्याचारों को लेकर गुस्सा जताते हुए कहा, अगर वे (बांग्लादेशी नागरिक) अपने देश के संविधान का पालन नहीं करते और मनुष्यों की तरह जीवन जीना नहीं चाहते, तो ऐसे लोगों के साथ न तो व्यापार किया जाना चाहिए न ही हमें उनके साथ खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होना चाहिए।
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बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ विरोध में आम जनता क्यों हो परेशान
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आपकी सरकार, आपकी पार्टी तो ये नाराजगी किसके खिलाफ
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इंदौर में हुए व्यापक धरना प्रदर्शन में हजारों लोग बुरी तरह परेशान
ये हाल हुआ इंदौर का
बुधवार सुबह 8.30 बजे से कलेक्ट्रेट से महू नाका की तरफ, महू नाका से कलेक्टर कार्यालय की तरफ आने जाने वालों को भारी परेशानी हुई।
कलेक्टर कार्यालय से महू नाका की तरफ जाने वाले वाहन चालकों को पलसीकर चौराहे से माणिक बाग या चोइथराम मंडी होते हुए जाना पड़ा।
धरना प्रदर्शन की वजह से पाटनीपुरा और मालवा मिल क्षेत्र से ही वाहन चालक और ट्रैफिक प्रभावित हुआ।
सुदामा नगर फूटी कोठी की तरफ से आने वालों को गंगवाल और बड़ा गणपति की ओर जाने वालों को चंदन नगर होकर जाना पड़ा। इंदौर अनाज तिलहन व्यापारी संघ ने भी बुधवार को छावनी अनाज मंडी बंद रखी।
अहिल्या चैंबर के क्लार्थ मर्चेन्ट्स एसोसिएशन, स्कूटर पार्ट्स विक्रेता संघ, पाइप एंड सैनिटरी व्यापारी संघ, सियागंज किराना होल सेल मर्चेंट्स, सीतला माता बाजार, खजूरी बाजार, न्यू सियागंज, टी मर्चेंट्स एसोसिएशन, इंदौर टाइल्स मर्चेंट एसोसिएशन आदि व्यापारी संगठनों ने बुधवार दोपहर 1 बजे तक अपने संस्थान बंद रखे। यहां काम से आने वालों को भारी परेशानी झेलना पड़ी।
Report and Edited by Navin Rangiyal