सरल, सहज और सरस भाषा। घरेलू कहानियां। बच्चों के लिए कविताएं। सास, बहू ननद भौजाई, भाई, भाभी, देवर और पति- पत्नी जैसे किरदार। प्रख्यात लेखिका, कहानीकार और कवियत्री मालती जोशी के लेखन के यही कुछ खास केंद्र बिंदू रहे। उनकी कहानी में न कभी किसी किरदार ने सिगरेट पी और न ही शराब पी। न कोई स्त्री किसी बोल्ड किरदार में नजर आई और न ही कोई पुरुष आवारा।
घर परिवार और रिश्तों के तानों-बानों से सजी उनकी घरेलू कहानियां कहने को तो घरेलू थीं, लेकिन उन कहानियों की छाप देश और समाज के हर तबके पर पड़ी। यह कहें कि घरेलू कहानीकार की घरेलू कहानियां पूरे देश में लोकप्रिय हुई तो गलत नहीं होगा। घर घर की कहानी लिखने वाली मालती जोशी को मालवा की मीरा कहा जाता था। हालांकि उनकी ख्याती मालवा के दायरों से बाहर निकलकर देशभर में थी।
स्मृति कल्प के जरिये मालती की याद : हिंदी भाषा की इस बेहद सहज और सरल लेखिका को 4 जून को उनके 91वें जन्मदिवस के मौके पर बेहद आत्मीयता और सादगीपूर्ण तरीके से उनके परिवार और उनके चाहने वालों ने याद किया। उनके बेटे
सच्चिदानंद जी के मार्गदर्शन में मालती जोशी की स्मृति में इंदौर के जाल सभागृह ऑडिटोरियम में 4 और 5 जून को दो दिवसीय स्मृति कल्प नाम से आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में उनके परिवार से लेकर उनके पाठक, मित्र, रिश्तेदारों समेत उनके समकालीन साहित्यकारों ने अपने संस्मरण से उन्हें याद किया और श्रद्धाजंलि दी। इस खास अवसर पर
पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, साहित्यकार सूर्यकांत नागर, सरोज कुमार, ऋषिकेश जोशी और चंद्रशेखर दिघे समेत मालती जोशी के परिवार के सदस्य मौजूद थे।
अपने संस्मरणों से मालती को किया याद : पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने उनके संस्मरण सुनाए और उनके साहित्यिक चरित्र को याद करते हुए कहा कि भले ही वे घरेलू कहानियां लिखतीं थी, लेकिन एक घरेलू महिला ही वो महिला होती है जो पूरी दुनिया को जानती है। साहित्यकार
सूर्यकांत नागर ने अपने संस्मरण साझा किए और मालती जोशी की कहानियों के अंश सुनाए।
कवि सरोज कुमार ने मालती जोशी के साथ अपने संस्मरण साझा किए। उन्होंने कहा कि घर घर की कहानी लिखने वाली मालती को एक समय में मालवा की मीरा भी कहा जाता था। हालांकि वे मालवा की परिधि से भी आगे थीं।
ऋषिकेश जोशी, चंद्र शेखर दिघे और संजय पटेल ने भी अपने मालती जोशी के साथ अपने संस्मरण सुनाए और उनकी कहानियों का पाठ किया। 5 जून को भी यह आयोजन होगा।
सोमनाथ मालती जोशी ट्रस्ट की स्थापना : आयोजन के दौरान सचिदानंद जी के बेटे ने घोषणा की कि उनकी ताई की स्मृतियों को जिंदा रखने और उनके साहित्यिक अवदान को याद करने के लिए सोमनाथ मालती जोशी ट्रस्ट की स्थापना की गई है। इस ट्रस्ट के माध्यम से साहित्य और समाजिक गतिविधियां संचालित की जाएगी और नए लेखक साहित्यकारों का मार्गदर्शन किया जाएगा।
दो नाट्य मंचन का आयोजन : इस कार्यक्रम में इंदौर के ख्यात नाट्यकर्मी के निर्देशन में दो नाटकों का मंचन किया गया। पहले नाटक का नाम चंदन की छांव में था और दूसरा पटाक्षेप नाटक का मंचन किया गया। इन नाटकों को दर्शकों ने जमकर लुत्फ उठाया।
मालती जोशी के नाम पर चले आए उनके चाहने वाले : लेखिका मालती जोशी की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में उनकी कहानियां और कविताएं सुनने के लिए सैंकडों श्रोतागण जाल सभागृह में चले आए। इस सफल आयोजन से मालती जोशी की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मालती जोशी के कहानी संग्रह : मालती जोशी के प्रमुख कहानी संग्रहों में पाषाण युग, मध्यांतर, समर्पण का सुख, मन न हुए दस बीस, मालती जोशी की कहानियां, एक घर हो सपनों का, विश्वास गाथा, आखिरी शर्त, मोरी रंग दे चुनरिया, एक सार्थक दिन आदि शामिल हैं। दादी की घड़ी, जीने की राह, परीक्षा और पुरस्कार, स्नेह के स्वर, सच्चा सिंगार आदि बच्चों के कहानी संग्रह भी उन्होने लिखे हैं। उन्होंने उपन्यास और आत्मकथाएं भी लिखी हैं। उपन्यासों में पटाक्षेप, सहचारिणी, शोभा यात्रा, राग विराग आदि प्रमुख हैं। साथ ही उन्होंने एक गीत संग्रह मेरा छोटा सा अपनापन भी लिखा। उन्होंने इस प्यार को क्या नाम दूं? नाम से एक संस्मरणात्मक आत्मकथ्य भी लिखा है।
कई भाषाओं में लिखा मालती जोशी ने : मालती जोशी के काम का मराठी, उर्दू, बंगाली, तमिल, तेलुगु, पंजाबी, मलयालम और कन्नड़ जैसी अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उनके काम को रूसी, जापानी और अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है। मालती जोशी की कई कहानियां टेलीविजन के लिए रूपांतरित की गईं, जिन्हें दूरदर्शन द्वारा प्रसारित किया गया। दूरदर्शन पर प्रसारित और जया बच्चन द्वारा निर्मित सात फेरे धारावाहिक मालती जोशी की कहानी पर आधारित थी। उनकी कहानी गुलज़ार द्वारा निर्मित टेलीविजन धारावाहिक 'किरादर' में भी दिखाई गई।
फोटो : धर्मेंद्र सांगले