मंगलवार को इंदौर प्रशासन के जिम्मेदार आलाकमान कोर्ट में हाजिर हुए। हार्इकोर्ट ने इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह, निगम आयुक्त शिवम वर्मा, पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह और मेयर पुष्यमित्र भार्गव को तलब किया था। कोर्ट के निर्देश पर चारों कोर्ट में हाजिर हुए और इंदौर के बदहाल ट्रैफिक, सिग्नल, ट्रैफिक कॉन्स्टेबलों की लापरवाही और बीआरटीएस जैसे तमाम मुद्दों पर कोर्ट ने सवाल पूछे। बता दें कि राजलक्ष्मी फाउंडेशन ने जनहित याचिका दायर की है, इसी पर ये सुनवाई हुई।
इंदौर के पास नहीं कोई प्लान : हालांकि सुनवाई के दौरान यह साफ नहीं हो सका कि इंदौर प्रशासन के पास शहर के ट्रैफिक को लेकर कोई फुलफ्रूफ प्लान है। कोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक प्रशासन एबी रोड पर बीआरटीएस नहीं तोड़ पाया है। वहीं लगातार बदहाल होते ट्रैफिक को लेकर भी प्रशासन कोई पुख्ता प्लान नहीं बता पाया।
बता दें कि मंगलवार की सुबह हाईकोर्ट में जज विवेक रुसिया और बिनोद कुमार द्विवेदी की बैंच ने सुनवाई हुई।
पिटिशन के वकील ने कहा: ज्यादातर पुलिसकर्मी चौराहे के एक तरफ खड़े होकर मोबाइल चलाते हैं
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35 लाख जनसंख्या वाले इंदौर में इतने ही वाहन, कैसे होगा प्रबंधन
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भोपाल में ई रिक्शा पर प्रतिबंध, इंदौर क्यों नहीं कर रहा कार्रवाई
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कोर्ट के निर्देश के बाद भी क्यों नहीं टूट रहा बीआरटीएस
महापौर बने न्याय मित्र : बता दें कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा इंदौर शहर से जुड़े यातायात से संबंधित मामलों में महापौर पुष्यमित्र भार्गव को न्याय मित्र (Amicus Curiae) के रूप में नियुक्त किया गया है। महापौर भार्गव मामले की पैरवी करने इंदौर उच्च न्यायालय पहुंचे थे। महापौर ने मंगलवार को अधिवक्ता के रूप में माननीय न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और माननीय न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की डिवीजन बेंच के समक्ष प्रस्तुत होकर पक्ष रखा।
सिर्फ जागरूकता नहीं, सख्ती भी दिखाओ : कोर्ट ने इंदौर प्रशासन को शहर के नागरिकों को जागरुक करने की सलाह के साथ यह भी कहा कि जो लोग नियम तोड़ते हैं, उनके खिलाफ सख्ती भी दिखाना होगी। कोर्ट ने कहा कि जनता को जागरूक करना चाहिए लेकिन सिर्फ जागरूकता से काम नहीं चलेगा।
क्या आपके पास पर्याप्त फोर्स है : कोर्ट ने पूछा कि क्या शहर का ट्रैफिक संभालने के लिए आपके पास पर्याप्त ट्रैफिक कॉन्स्टेबल हैं। इस पर उन्होंने बताया कि ट्रैफिक विभाग के पास 467 ट्रैफिक कॉन्स्टेबल हैं। इस पर पिटिशन के वकील अजय बागड़िया ने कहा कि ज्यादातर पुलिसकर्मी चौराहे के बीच में खड़े होने की बजाय एक तरफ खड़े होकर मोबाइल चलाते रहते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
क्या आपके पास ट्रैफिक के लिए कोई प्लान है : जज विवेक रूसिया और बिनोद कुमार द्विवेदी ने पूछा कि क्या प्रशासन के पास इंदौर के बदहाल होते ट्रैफिक को सुधारने के लिए कोई प्लान है। इस पर कलेक्टर ने जवाब दिया कि तीन से चार महीने में प्रशासन बड़ा ट्रैफिक प्लान लाएंगे। यह योजना प्रक्रिया में है।
भोपाल में ई रिक्शा प्रतिबंधित, इंदौर में क्यों नहीं : बता दें कि हाल ही में राजधानी भोपाल में प्रशासन ने ई रिक्शा पर प्रतिबंध लगा दिया है, ऐसे रिक्शा जो स्कूली बच्चों को भरकर चलते हैं उन पर सख्ती दिखाई है, लेकिन इंदौर में जगह जगह ई रिक्शा बेलगाम होकर पूरे ट्रैफिक को बदहाल कर रहे हैं, सड़कों पर ई रिक्शा चालकों ने कब्जा जमा लिया है, लेकिन प्रशासन इन पर भी कोई काबू नहीं पा सका है।
क्या बोले न्याय मित्र बने महापौर : सुनवाई के बाद महापौर पुष्यूमित्र भार्गव ने कहा कि शहर में नए ब्रिज, सड़कें और मेट्रो जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है, लेकिन ट्रैफिक इंजीनियरिंग के लिहाज से कॉलेज, कोचिंग और हॉस्टल क्षेत्रों की पार्किंग व्यवस्था, ऑन-स्ट्रीट और ऑफ-स्ट्रीट पार्किंग जैसे मुद्दों पर नए नियम बनाना जरूरी है। उसके लिए काम किया जा रहा है।
क्यों नहीं तोड़ रहे बीआरटीएस : बता दें कि कोर्ट ने इंदौर के एबी रोड पर स्थित बीआरटीएस की रेलिंग तोड़ने के लिए बहुत पहले ही प्रशासन को निर्देश दिए थे, लेकिन काफी समय होने के बावजूद प्रशासन रेलिंग नहीं तोड़ पा रहा है। इससे एबी रोड पर वाहन चालक परेशान हो रहे हैं, रोजाना यहां जाम की स्थिति बनती है। लेकिन प्रशासन इसे तोड़ने के लिए टेंडर की प्रक्रिया करना चाहता है। इस पर शहर के नागरिकों और एक्टिविस्ट किशोर कोडवानी ने आरोप लगाया कि नगर निगम चाहे तो अपना ही अमला लगाकर दो दिन में बीआरटीएस की रेलिंग तोड़ सकता है, लेकिन इसमें भी प्रशासन की नीयत ठीक नहीं है।
इन बिंदुओं पर कोर्ट ने मांगी जानकारी
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शहर में प्रमुख चौराहों पर कितनी ट्रैफिक लाइटें लगाई गई हैं और कितनी काम कर रही हैं।
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मार्ग चौड़ीकरण के माध्यम से कितने लेफ्ट टर्न बनाए गए हैं।
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मुख्य और साइड लेन सड़कों पर रोड मार्किंग की गई या नहीं।
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शहर में प्रमुख चौराहों पर यातायात पुलिसकर्मियों की तैनाती।
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दुर्घटना, ब्लैक स्पाट की पहचान के लिए क्या किया।
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पिछले पांच वर्ष के दौरान कितने स्पीड ब्रेकर, पार्किंग जोन, फुट ओवर ब्रिज बनाए।
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दुकानों के बाहर सड़क और फुटपाथ पर सामान रखने वाले दुकानदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई की। ज्यादातर जगह तो दुकानदार दुकान के क्षेत्रफल से ज्यादा फुटपाथ इस्तेमाल कर रहे हैं।
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सार्वजनिक स्थानों पर ठेले, गुमटियों को हटाने के लिए क्या कार्रवाई की और पिछले पांच वर्ष में कितने चालान बनाए।
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हेलमेट नहीं पहनने वाले और लाल लाइट का उल्लंघन करने वाले कितने दोपहिया वाहन चालकों के चालान बनाए।
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ऐसे दो पहिया वाहन जिन पर दो से अधिक यात्री यात्रा करते हैं वह भी बगैर हेलमेट के, उन्हें नियंत्रित करने के लिए क्या योजना है। यह भी बताएं कि पुलिस सख्ती क्यों नहीं बरतती।
Edited By: Navin Rangiyal