Awareness program on World Heart Day : अनुचित खानपान और जीवनशैली से लगातार समस्याएं बढ़ रही हैं और लोग तरह तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो काफी गंभीर हैं, इनमें से एक है हृदय रोग। दुनियाभर में हर साल करीब पौने दो करोड़ लोग ह्रदय रोग की वजह से मृत्यु के शिकार हो जाते हैं।
पहले आमतौर पर यह माना जाता था कि यह समस्या सामान्यतः 40 से अधिक वर्ष के लोगों में होती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हृदय रोग युवाओं और यहां तक कि किशोरों में भी तेजी से फैल रहा है। इसके प्रति लोगों में जाकरूकता फैलाने के लिए हर साल 29 सितंबर को 'वर्ल्ड हार्ट डे' मनाया जाता है।
मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने वर्ल्ड हार्ट डे पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां हृदय रोग में समय के महत्व को दर्शाया, कैसे अगर समय पर रोगी को इलाज मिल जाए तो न केवल जान बचाई जा सकती है बल्कि व्यक्ति को सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है।
वर्ल्ड् हार्ट डे का इतिहास
दुनियाभर में हृदय की बीमारियों से मौत की संख्या बढ़ती देख वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से पहली बार 1999 में विश्व हृदय दिवस की स्थापना की गई। इस साल की वर्ल्ड हार्ट डे की थीम दिल से दिल को जानें है, जिसका उद्देश्य है लोगों को दिल से यानी हर तरीक़े से अपने दिल की सेहत का ध्यान रखने और अपने दिल के बारे में जानने के लिए प्रेरित किया जा सके, ताकि लोग दिल ठीक रखने के उपायों को समझकर खुद को सतर्क एवं सुरक्षित रख सकें।
वर्ल्ड हार्ट डे पर मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर एवं डायरेक्टर कार्डियक साइंस डॉ. संदीप श्रीवास्तव ने कहा, युवाओं एवं किशोरों में हार्टअटैक की समस्या अब चिंताजनक विषय बन गया है। आजकल 20-30 आयु वर्ग में हार्टअटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हृदय रोग का एक महत्वपूर्ण कारण आनुवांशिकता भी है, अगर माता-पिता को हार्टअटैक की समस्या हुई है तो बच्चों में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।
तनाव, अपर्याप्त नींद, शारीरिक शिथिलता, प्रदूषण, मोटापा भी हृदय को प्रभावित करते हैं, इसके अलावा ख़राब जीवनशैली, धूमपान और शराब की लत के कारण भी हर साल इसके मरीजों की संख्या का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। अनियमित लाइफस्टाइल और कम सोने का असर भी सीधे दिल पर पड़ता है, इसके अलावा युवाओं में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल भी इसका कारण है।
धूम्रपान, तंबाकू का उपयोग, मादक द्रव्यों के सेवन जैसी बुरी आदतों से हृदय से जुड़ी समस्या और भी ज्यादा बढ़ रही है। इसको दूर रखने के लिए एक बैलेंस लाइफस्टाइल का पालन करना महत्वपूर्ण है।युवा अगर ये सोचकर लापरवाह हैं कि उनकी उम्र कम है और वे शारीरिक श्रम कर रहे हैं और उन्हें हार्टअटैक से कोई खतरा नहीं है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है, कभी भी, कहीं भी मेजर हार्टअटैक या स्ट्रोक आ सकते हैं, इसलिए इस समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
वर्ल्ड हार्ट डे के मौके पर एसोसिएट डायरेक्टर कार्डियक सर्जन डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव ने कहा, हार्ट वाल्व ख़राब होने के बहुत सारे कारण होतें हैंI किसी भी उम्र में और किसी भी लिंग में हार्ट के वाल्व ख़राब हो सकते हैंI एशियाई देशों में रूमेटिक हार्ट डिसीज़ काफी फैली हुई है, जिसमें रूमेटिक फीवर के कारण हार्ट वाल्व स्थाई रूप से खराब हो जाता है। ये बीमारी बच्चों, बुजुर्गों, महिला, पुरुष और सभी उम्र में देखने को मिलती हैI
इनके इलाज के लिए बड़े ऑपरेशन कर वाल्व बदलना पड़ता है। हमारी कोशिश होती है कि हम वाल्व को बदलने की जगह उसे रिपेयर करें, इसके लिए मेदांता पूरे मध्यभारत में जाना जाता हैI इसमें मरीज़ अपने नेचुरल वाल्व को बचा पाते हैं और आर्टिफिशियल वाल्व से होने वाली समस्याओं भी निज़ात पा सकते हैं।
खून पतला करने की दवाइयां अक्सर गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे शिशु को हानि पहुंचाती हैं, ऐसे में हार्ट वाल्व रिपेयर उनके लिए भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। साथ ही हम अपनी मिनिमली इनवेसिव वाल्व सर्जरी के लिए भी जाने जाते हैं, जहां केवल एक छोटा सा चीरा लगाकर हार्ट की सर्जरी की जाती है।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. भारत रावत ने कहा कि यदि शाम 7 बजे तक खाने-पीने से रात्रि 10 बजे तक मोबाइल टीवी और सबेरे 6 बजे तक बिस्तर से मुक्त हो जाएं तो हम हृदय रोग जैसी बीमारियों से स्वतः ही मुक्त हो जाएंगे। डॉ. रावत ने एक स्वस्थ दिल के लिए M.A.D.E. का फार्मूला दिया, जहां एम का अर्थ है मेंटल रिलेक्सेशन यानी कि ख़ुश रहें और ध्यान/योग करें, ए का अर्थ है अवॉयड एडिक्शन मतलब तंबाकू और शराब का सेवन न करें, डी का अर्थ है डाइट कंट्रोल यानी कि जीने के लिए खाएं, न की खाने के लिए जिएं और ई का अर्थ एक्सरसाइज यानी कि नियमित व्यायाम। इसका पालन कर हम गंभीर बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं।