रविवार, 29 सितम्बर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. संत-महापुरुष
  4. Sant Kabir Jayanti 2024
Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 21 जून 2024 (15:22 IST)

कबीरदासजी के बारे में 13 रोचक बातें जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

संत कबीर जयंती पर जानिए उनके बारे में खास बातें

kabir das
Sant Kabir Jayanti 2024 : ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन संत कबीर की जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 22 जून को कबीरदासजी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। ओशो रजनीश में संत कबीर पर बहुत ही खूबसूरत प्रवचन दिए हैं। उनके प्रवचनों पर ही आधारित कई पुस्तकों का निर्माण हुआ। जैसे 'कहे कबीर दिवाना', 'सुनो भाई साधो', 'लिखा लिखी की है नहीं', 'गूंगे केरी सरकरा', 'कहै कबीर मैं पूरा पाया' 'कबीर वाणी' आदि कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। आओ जानते हैं संत कबीर के बारे में 13 रोचक बातें।ALSO READ: ओशो की नजर में कबीर : कबीर आग है एक घूंट भी पी लो तो अग्नि भभक उठे
 
1. संत कबीर का पहनावा कभी सूफियों जैसा होता था तो कभी वैष्णवों जैसा। लोगों को समझ में नहीं आता था कि वे हिंदू हैं या मुसलमान। कबीर हिंदू थे या मुसलमान यह सवाल आज भी जिंदा है। इसीलिए उन्हें सबसे अलग माना जाता है। 
 
2. संत कबीर राम की भक्ति करते थे। कुछ कहते हैं कि वे दशरथ पुत्र राम की नहीं बल्कि निराकार राम की उपासना करते थे। लेकिन यह तय थाकि वे भक्ति करते थे। रामानंदजी श्रीराम के भक्त थे तो कहते हैं कबीर भी उन्हीं के भक्त थे।
 
3. वैष्णव आचार्य रामानंद ने संत कबीर को चेताया तो उनके मन में वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया और उन्होंने उनसे दीक्षा ले ली।
 
4. कबीर का पालन-पोषण नीमा और नीरू ने किया जो जाति से जुलाहे थे। यह दोनों उनके माता पिता नहीं थे। कुछ लोग उन्हें हिन्दू दलित समाज का मानते थे।
 
5. कबीरजी का विवाह वैरागी समाज की लोई के साथ हुआ था जिससे उन्हें दो संतानें हुईं। लड़के का नाम कमाल और लड़की का नाम कमाली था।
 
6. संत कबीर रामानंद अर्थात रामानंदाचार्य के 12 शिष्यों में से एक थे। 12 शिष्यों के नाम- अनंतानंद, भावानंद, पीपा, सेन नाई, धन्ना, नाभादास, नरहर्यानंद, सुखानंद, कबीर, रैदास, सुरसरी, पदमावती। मीरा को भी रामानंदजी का शिष्य माना जाता है।
 
7. दरअस, संत कबीर ने जो मार्ग अपनाया था वह निर्गुण ब्रह्म की उपासना का मार्ग था। निर्गुण ब्रह्म अर्थात निराकार ईश्‍वर की उपासना का मार्ग था। संत कबीर भजन गाकर उस परमसत्य का साक्षात्कार करने का प्रयास करते हैं। वे वेदों के अनुसार निकाराकर सत्य को ही मानते थे।
 
8. ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के बाद उनके शव को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था। हिन्दू कहते थे कि उनका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति से होना चाहिए और मुस्लिम कहते थे कि मुस्लिम रीति से। इसी विवाद के चलते जब उनके शव पर से चादर हट गई, तब लोगों ने वहां फूलों का ढेर पड़ा देखा। बाद में वहां से आधे फूल हिन्दुओं ने ले लिए और आधे मुसलमानों ने। मुसलमानों ने मुस्लिम रीति से और हिंदुओं ने हिंदू रीति से उन फूलों का अंतिम संस्कार किया। मगहर में कबीर की समाधि है और दरगाह भी।
 
9. संत कबीर के भजन : संत कबीर का काव्य या भजन रहस्यवाद का प्रतीक है। यह निर्गुणी भजन है। वे अपने भजन के माध्यम से समाज के पाखंड को उजागर करते थे। ऐसे कितने ही उपदेश कबीर के दोहों, साखियों, पदों, शब्दों, रमैणियों तथा उनकी वाणियों में देखे जा सकते हैं, जो धर्म और समाज के पाखंड को उजागर करते हैं। इसी से कबीर को राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता मिली और वे लोकनायक कवि और संत बने। आज भी उनके भक्ति गीत ग्रामीण, आदिवासी और दलित इलाकों में ही प्रचलित हैं। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के गांवों में कबीर के गीतों की धून आज भी जिंदा है।
 
10 कबीरदासजी के अवतार : कहते हैं कि संत कबीरदासजी ने अक्कलकोट स्वामी या साईं बाबा के रूप में फिर से जन्म लिए था। कई सूत्रों और तथ्‍यों से यह ज्ञात होता है कि संत कबीर एक हिन्दू थे।
 
11. काशी से मगहर : कबीर को इसलिए भी सबसे अलग माना जाता है क्योंकि जहां लोग काशी में देह त्यागने की इच्छा रखते हैं वहीं उन्होंने मगहर में देह त्यागने का तय किया था क्योंकि ऐसी समाज में ऐसी मान्यता प्रचलित थी कि जो काशी में देह त्यागता है वह स्वर्ग और मगहर में त्यागता है वह नरक क जाता है।
 
12. शरीर हो गया गायब : ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के बाद उनके शव को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था। हिन्दू कहते थे कि उनका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति से होना चाहिए और मुस्लिम कहते थे कि मुस्लिम रीति से। इसी विवाद के चलते जब उनके शव पर से चादर हट गई, तब लोगों ने वहां फूलों का ढेर पड़ा देखा। बाद में वहां से आधे फूल हिन्दुओं ने ले लिए और आधे मुसलमानों ने। मुसलमानों ने मुस्लिम रीति से और हिंदुओं ने हिंदू रीति से उन फूलों का अंतिम संस्कार किया। मगहर में कबीर की समाधि है और दरगाह भी।
 
13. परंपरा और मान्यताओं के खिलाफ : संत कबीर ने समाज में फैले धार्मिक पाखंड और अंध विश्‍वास पर चोट की। उन्होंने हिन्दू ही नहीं मुस्लिम धर्म की कुरितियों पर भी चोट कर समाज के लोगों को जगाया। इसलिए भी वे सभी संतों से अलग थे। जैसे वे कहते थे कि पाथर पूजे हरि मिले तो में पूजूं पहाड़। कंकर पत्थर जोड़ कर मस्जिद बना ली और उसके उपर चढ़कर मुल्ला जोर जोर से चीख कर अजान देता है। कबीर दास जी कहते हैं  कि क्या खुदा बहरा हो गया है?
ये भी पढ़ें
जगन्नाथ रथयात्रा के बारे में 25 खास बातें जानिए