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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 11 मई 2024 (15:33 IST)

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Adi Shankaracharya
Adi Shankaracharya:  इतिहास में कई शंकराचार्य हुए हैं लेकिन प्रारंभ में दो ऐसे शंकराचार्य हुए हैं जिनको लेकर भ्रम है। यह कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ईस्वी में हुआ था और 820 में में उनकी मृत्यु हो गई थी। यानी यदि हम यह मान लें कि 15 साल उन्हें समझदार होने में लगे तो बचे 17 साल में उन्होंने बौद्ध धर्म का भारत से बाहर निकाल फेंका। क्या यह संभव है? आओ जानते हैं कि सच क्या है।
 
  • भगवान बुद्ध का जन्म : 623 ईसा पूर्व
  • आदि शंकराचार्य का जन्म: 508 ईस्वी पूर्व 
  • अभिनय शंकराचार्य का जन्म : 788 ईस्वी में
 
1. आदि शंकराचार्य : शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठों की परंपरा और इतिहास के अनुसार उनका जन्म 508 ईस्वी पूर्व हुआ था और उन्होंने 474 ईसा पूर्व अपनी देह को त्याग दिया था। अर्थात वे 32 वर्ष तक ही जीवित रहे थे।
 
शंकराचार्य ने पश्‍चिम दिशा में 2648 में जो शारदामठ बनाया गया था उसके इतिहास की किताबों में एक श्लोक लिखा है। 
युधिष्ठिरशके 2631 वैशाखशुक्लापंचमी श्री मच्छशंकरावतार:।
तदुन 2663 कार्तिकशुक्लपूर्णिमायां....श्रीमच्छंशंकराभगवत्।
पूज्यपाद....निजदेहेनैव......निजधाम प्रविशन्निति।
अर्थात 2631 युधिष्‍ठिर संवत में वैशाख शुक्ल पंचमी को आदि शंकराचार्य का जन्म हुआ था।
 
राजा सुधनवा का ताम्रपत्र आज उपलब्ध है। यह ताम्रपत्र आदि शंकराचार्य की मृत्यु के एक महीने पहले लिख गया था। शंकराचार्य के सहपाठी चित्तसुखाचार्या थे। उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है बृहतशंकर विजय। हालांकि वह पुस्तक आज उसके मूल रूप में उपलब्ध नहीं हैं लेकिन उसके दो श्लोक है। उस श्लोक में आदि शंकराचार्य के जन्म का उल्लेख मिलता है जिसमें उन्होंने 2631 युधिष्ठिर संवत में आदि शंकराचार्य के जन्म की बात कही है। गुरुरत्न मालिका में उनके देह त्याग का उल्लेख मिलता है। केदारनाथ मंदिर के पीछे उनकी समाधी है।
 
यदि हम उपरोक्त के मान से आदि शंकराचार्य के जन्म और मृत्यु को मानते हैं तो भगवान बुद्ध के 100 वर्षों के बाद आदि शंकराचार्य हुए। तब तक देश विदेश में बौद्ध धर्म फैल चुका था। बौद्ध धर्म का वर्चस्व भारत में गुप्त काल के बाद तक रहा। भारत में लिच्छवी, वैशाली आदि करीब 7 से 8 राज्य थे जो बिहार के अलावा पश्‍चिमी भारत तक फैले थे। भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान के हिमालय से लगे क्षेत्रों में ही बौद्ध का प्रचलन था। मैदानी इलाकों में कुछ ही क्षेत्रों में बौद्ध धर्म था। 7वीं सदी तक भारत के दक्षिण हिस्सों में और बाद में बर्मा, थाईलैंड तब बौद्ध धर्म फैलता गया। बौद्ध धर्म ने 6ठी सदी तक भारत में अपनी जड़े जमा ली थी। यानी शंकाराचार्य के होने के 1000 वर्षों तक भी बौद्ध धर्म के भारत में फालने फूलने के सबूत मिलते हैं। 
 
इससे यह सिद्ध होता है कि शंकराचार्य के बाद भी बौद्ध धर्म खूब फला और फैला फिर भारत से बौद्ध धर्म का पतन कैसे हुआ? 
अभिनय शंकराचार्य : कुछ विद्वानों का मानना है कि एक और शंकराचार्य हुए जिन्हें अभिनव या अभिनय शंकाराचर्य कहते थे। इनका जन्म 788 ईस्वी में हुआ और उनकी मृत्यु 820 ईस्वी में हुई थी। अर्थात वे 32 वर्ष तक ही जीवित रहे थे। इन अभिनव शंकराचार्य को ही आदि शंकराचार्य मान लिया गया और इनके साथ पूर्व के शंकराचर्य की कथा भी जोड़ दी और बाद में यह भी आरोप लगाया जाने लगा कि भारत में इनके कारण बौद्ध धर्म लुप्त हो गया।
 
भारत में बौद्ध धर्म के पतन का कारण:
दरअसल 7वीं सदी की शुरुआत में भारत पर मुस्लिम आक्रमण प्रारंभ हो चला था। लगातार के आक्रमण के चलते पेशावर और बामियान के बौद्ध गढ़ को ढहा दिया गया। बामियान बौद्ध धर्म की राजधानी थी। इसके बाद धीरे धीरे सिंध, पंजाब और कश्मीर में कई बौद्ध मंदिर और मूर्तियों को तोड़ा गया। तक्षशिला और नालंदा का विश्व विद्यालय इसका उदाहरण है। बुत परस्ती शब्द बौद्ध धर्म के कारण ही प्रचलन में आया। भारत पर मुस्लिम आक्रमण ने बौद्ध धर्म को लगभग नष्ट कर दिया था। 712 ई. के बाद से, भारत पर उनके आक्रमण अधिक बार और बार-बार होने लगे। इन आक्रमणों के परिणामस्वरूप, बौद्ध भिक्षुओं ने नेपाल, बर्मा, श्रीलंका और तिब्बत में शरण ली है। अंत में, वज्रयान बौद्ध धर्म अपने जन्मस्थान भारत में लुप्त हो गया।
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