छोटे कंकड़ की तरह दिखने वाले हींग की गंध तेज होती है और इसकी बहुत थोड़ी सी मात्रा भी खाने का स्वाद बदल देती है। हींग कहां से आई है इस पर सोशल मीडिया में बहस छिड़ी हुई है। आओ जानते हैं कि सचाई क्या है।
1. हींग का इस्तेमाल पूरे भारत में बड़े पैमाने पर होता है। हींग हर भारतीय घरों की रसोई में पाया जाने वाला जरूरी मसाला है। दक्षिण भारत में हींग को पकाया जाता है और इन पके हुए हींग के पाउडर का उपयोग किया जाता है।
2. कहते हैं कि दुनिया में पैदा होने वाले हींग का 40 प्रतिशत हिस्सा भारत में उपयोग किया जाता।
3. हींग की लगभग 130 किस्में हैं और फेरुला एसाफोइटीडा इनमें से कुछ किस्में पंजाब, कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में उपजाई जाती है।
4. वर्तमान में भारत में हींग ईरान, बलूचिस्तान, अफगानिस्तान, कज़ाख़स्तान और उज़्बेकिस्तान जैसे देशों से आता है लेकिन सबसे ज्यादा हींग की पैदावार अफगानिस्तान में होती है और भारत में भी यहीं से मंगाई जाती है।
5. यदि हम वृहत्तर भारत की बात करें तो अफगानिस्तान पहले भारत का ही हिस्सा हुआ करता था। हींग के उपयोग का प्रचलन ज्यादातर पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और कश्मीर में होता है।
6. कुछ लोगों का कहना है कि हींग मुगल काल के दौरान भारत आया था लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि मुगलों के पहले भी भारत में हींग का उपयोग होता रहा है।
7. हींग को संस्कृत में हींगू के नाम से जाना जाता है। सुश्रुत संहिता जो 800 ईसा पूर्व लिखी गई थी उसमें हींग का उल्लेख मिलता है। संहिता के अध्याय 46 में इसका उल्लेख मिलता है।
8. आयुर्वेद में सबसे पुरानी पुस्तक चरक संहिता है जिसमें भी हींग का उल्लेख मिलता है।
8. आयुर्वेद में हींग को लेकर कई उल्लेख मिलते हैं। अष्टांगहृदय में वाग्भट्ट लिखते हैं, "हिंगु वातकफानाह शूलघ्नं पित्त कोपनम्। कटुपाकरसं रुच्यं दीपनं पाचनं लघु।।" अर्थात हींग वात और कफ को ठीक करता है परंतु यह शरीर में पित्त के स्तर को बढ़ाता है। यह गर्म होता है और भूख को बढ़ाता है। हींग एक पाचक है, ये पाचन में सहायक है।
9. हींग का पौधा गाजर और मूली के पौधों की श्रेणी में आता है। ठंडे और शुष्क वातावरण में इसका उत्पादन सबसे अच्छा होता है।
10. ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि हींग प्राचीन काल में रामठ नाम की जगह पर उत्पन्न होती थी जो उत्तर प्रदेश में है। वाह्यीक नामक हींग वाह्यीक प्रदेश में उत्पन्न होती है।
11. हींग मूल रूप से ईरान और अफगानिस्तान में पाया जाने वाला पौधा है। प्राचीन काल में ईरान को फारसदेश या आर्याना कहा जाता था और अफगानिस्तान भारत का ही हिस्सा था।