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Written By श्रुति अग्रवाल

जहाँ सोने सी चमकती है रेत...

जहाँ सोने सी चमकती है रेत... -
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दूर-दूर तक फैली रेत सूरज की रोशनी में और भी दमकने लगती है और यह सुनहरी आभा बिखेरने वाला भव्य नजारा है थार मरुस्थल के सबसे खूबसूरत शहर जैसलमेर का, जहाँ बलुआ पत्थरों से तराशे गए विशाल महलों से घिरे इस शहर की खूबसूरती देखते ही बनती है। यही वजह है कि जैसलमेर को ‘गोल्डन सिट’ के नाम से भी जाना जाता है।

सँकरी गलियों वाले जैसलमेर के ऊँचे-ऊँचे भव्य आलीशान भवन और हवेलियाँ सैलानियों को मध्यकालीन राजशाही की याद दिलाती हैं। शहर इतने छोटे क्षेत्र में फैला है कि सैलानी यहाँ पैदल घूमते हुए मरुभूमि के इस सुनहरे मुकुट को निहार सकते हैं। माना जाता है कि जैसलमेर की स्थापना भाटी राजपूत, राव जैसल ने 12 वीं शताब्दी में की थी। इतिहास की दृष्टि से देखें तो जैसलमेर शहर पर खिलजी, राठौर, मुगल, तुगलक आदि ने कई बार आक्रमण किया था। इसके बावजूद जैसलमेर के शाही भवन राजपूत शैली के सच्चे द्योतक हैं।

मुख्य आकर्षणः-

जैसलमेर फोर्ट- सुनहरी आभा बिखेरता जैसलमेर फोर्ट इस शहर की पहचान है। स्कॉटलैंड के खूबसूरत किलों को मात देते इस किले का निर्माण भाटी वंश के राणा जैसल ने 1156 में करवाया था। बलुआ पत्थरों से बने इस भव्य किले में 99 बुर्ज बने हैं। किले के चार प्रवेश द्वार हैं, जिन्हें गणेश पोल, सूरज पोल, भूत पोल और हवा पोल के नाम से जाना जाता है। यह किला राजपूती स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। किले के अंदर न सिर्फ मंदिर, प्रशासनिक भवन, कुएँ, दुकानें हैं, बल्कि यहाँ सँकरी गलियों का जाल-सा बिछा हुआ है।

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हवेलियाँ- पुराने समय के खूबसूरत और बड़े भवनों को हवेलियों के नाम से पहचाना जाता था। जैसलमेर में ऐसी कई हवेलियाँ हैं। इनमें से कुछ 200 सालों से ज्यादा पुरानी हैं, लेकिन इतनी पुरानी होने के बाद भी इनकी चमक देखने लायक है। इन हवेलियों की खासियत इनके नक्काशीदार खिड़की-दरवाजे, छज्जे और चौड़े परिसर हैं।
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इन हवेलियों में पटुवों जी की हवेली, सलीम सिंह की हवेली और नथमल की हवेली देखने लायक हैं। पटुवों की हवेली के बारीक नक्काशीदार झरोखे सैलानियों को खासतौर पर आकर्षित करते हैं। सलीम सिंह की हवेली को जैसलमेर के प्रधानमंत्री सलीम सिंह नबनवाया था। लगभग 300 साल पुरानी इस हवेली की नीली गुंबदाकार छत और नक्काशी किए गए मोर की आकृति के कोष्ठकों को देखकर पर्यटक दाँतो तले उँगली दबा लेते हैं। वहीं नथमल की हवेली की अंदरूनी दीवारें पेंटिंग्स से सजी हैं तो वहीं बाहरी दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है।

गड़सीसर सरोवरः- यह सरोवर कभी पूरे जैसलमेर में पानी की आपूर्ति का साधन था। ठंड के मौसम में यहाँ प्रवासी पंछियों की अठखेलियाँ देखते ही बनती है। माना जाता है कि सरोवर का खूबसूरत मेहराबनुमा मुख्य द्वार एक वेश्या के द्वारा बनवाया गया था। यहाँ आप बोटिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं। यहाँ का नैसर्गिक सौंदर्य आपको अभिभूत कर देगा।

पोखरणः- जैसलमेर जोधपुर मार्ग पर स्थित यह शांत शहर भारत की सामरिक क्षमता का परिचायक है। यहाँ भारत ने पहली बार अपनी परमाणु शक्ति को आजमाया था। इस शक्ति स्थल के साथ-साथ 14वीं सदी का बना लाल पत्थर का किला भी दर्शनीय स्थल है।

म्यूजियम फोकलोरः- यह एक निजी संग्रहालय है। यहाँ हैंडीक्राफ्ट की अमूल्य धरोहरें संगृहित हैं। लोगो का मानना है कि यह हैंडीक्राफ्ट राजकुमारी मूमल और राजा महेंद्र की कहानी बयाँ करती हैं। इसके अलावा गवर्नमेंट म्यूजियम और डिजेर्ट कल्चर सेंटर म्यूजियम देखने लायक संग्रहालय हैं।

लोद्रवाः- जैसलमेर से लगभग 15 किलोमीटर दूर लोद्रवा सैलानियों के खास आकर्षण का केंद्र है। यह जगह कभी जैसलमेर की राजधानी हुआ करती थी। खूबसूरत जैन मंदिर और कृत्रिम कल्पवृक्ष यहाँ की खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं।

बड़ा बागः- शहर से सात किलोमीटर दूर उत्तर में यह बेहद खूबसूरत बाग है। इसके पास ही विशाल बाँध है। यह पूरा इलाका नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण हैं। यह बाग यहाँ के राजघरानों से संबंधित स्मारक और पुराने शासकों की दर्शनीय मूर्तियों से भरा हुआ है। सूर्यास्त के समय यहाँ से जैसलमेर का सुनहरा रुप देखना अपने आप में बेहद अनोखा अनुभव है।
कब जाएँ- जैसलमेर जाने का सबसे सही वक्त डिजर्ट फेस्टिवल है। यह उत्सव जनवरी-फरवरी में मनाया जाता है। इस समय मरूभूमी लोक गीत से गूँजती रहती है। लोकननृत्य और पारंपरिक भोजन और क्राफ्ट के मार्केट सजते हैं।

कैसे जाएँ - जैसलमेर भारत के हर बड़े शहर से सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। भारत के प्रमुख शहरों से जेट और इंडियन एयर लाइंस की जैसलमेर के लिए उड़ान सेवाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा जौधपुर है

कहाँ ठहरे- यहाँ आप सस्ते होटलों से लेकर फाइव स्टार होटल तक जो चाहे बुक करा सकते हैं। लेकिन हमारी माने और जेब इजाजत दे तो किसी पुरानी हवेली ( जो अब होटल बन चुकी हैं) में ठहरे। ये आपको राजस्थान के राजसी वैभव का आनंद देंगी

बजट- यदि आप यहाँ के पीक सीजन का आनंद लेना चाहते हैं तो दस हजार से लेकर जितनी आपकी इच्छा हो बजट बना सकते हैं। यदि कम बजट है तो पीक सीजन के शुरू होने से थोड़ा पहले यहाँ आ जाएँ

टिप्स-

· यहाँ का पूरा मजा लेने के लिए सनक्रीम लोशन , एक अदद सन ग्लासेस और छाता हमेशा अपने साथ रखें।

· यहाँ के मेलों से खरीदारी करते समय अपनी बार्गनिंग क्षमता का पूरा उपयोग करें। साथ ही कुछ पारंपरिक चीजे यादगार के रूप में अवश्य करें

· यहाँ के पारंपरिक भोजन का लुत्फ लेना न भूले। आप देश में कहीं भी राजस्थानी भोजन कर लें लेकिन यहाँ जैसा स्वाद कहीं और नहीं मिलेगा

· यहाँ आकर राजस्थान के जहाज की सवारी करना न भूलें। ऊँट की सवारी का सही मजा यहाँ दूर-दूर फैली रेत में ही आता है। लेकिन यदि कमर में दर्द हो तो ऊँट की सवारी से बचें या पेन रिलीफ क्रीम अपने साथ रखें।