World Earth Day 2024 : हमारा शरीर पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश इन पञ्चभूतों से बना है। पंचभूतों में प्रथम स्थान पृथ्वी तत्व का है। संस्कृत में संपूर्ण विश्व को प्रपंच कहा जाता है। यह संपूर्ण संसार कुछ इस तरह से बना है कि ईश्वर, पृथ्वी तत्व में सर्वाधिक प्रधानता से उपस्थित हैं।
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पर्यावरण हमारा पहला शरीर है जहां से हमें अन्न मिलता है। हमारी पांचों इन्द्रियों का भोजन हमें हमारे वातावरण से मिलता है। हमारा पूरा जीवन भोजन, स्वच्छ जल, शुद्ध हवा और अग्नि पर निर्भर है। ये सभी हमें पृथ्वी तत्व, जल तत्व, वायु तत्व और अग्नि तत्व से मिलता है। ये सभी चार तत्व आकाश तत्व में रहते हैं। इसलिए हमें इन पांचो भूतों को सम्मान करना चाहिए और इन्हें शुद्ध रखना चाहिए। तभी हम जीवन में सुखी रह सकते हैं और तभी यह दुनिया टिक सकती है।
हमारे पास है एक ही पृथ्वी, इसे बचाना हमारी ज़िम्मेदारी
हमें इस बात के प्रति सजग रहना चाहिए कि हमारे पास केवल एक ही पृथ्वी है। हम यहीं बड़े हुए हैं और हमारा यह शरीर पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर है। आज आप दुकानों जो में देखते हैं, कल जब आप उन्हें खाएंगे तो वही आपके शरीर का अंश बन जाएगा।
जब हम इस ग्रह पर आये, तब हम केवल 4 या 5 किलो के थे और अभी आपके शरीर का जो भी वजन है वह सब इसी पृथ्वी तत्व से ही आया है। इसलिए आप ऐसा नहीं कह सकते कि 'मैं अपने शरीर की तो देखभाल करूंगा लेकिन हवा, मिटटी और पानी की गुणवत्ता की ज़िम्मेदारी मेरी नहीं है।'
खेतों में न डालें रासायनिक खाद
आज हम देखते हैं कि पिछले कई दशकों से कई तरह की रासायनिक खाद डाल कर हम अपनी ज़मीन को निर्वीर्य कर दे रहे हैं। हमें पृथ्वी की उर्वरा शक्ति को बचाने के लिए रासायनिक खादों का उपयोग पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए और नैसर्गिक खेती की ओर बढ़ना चाहिए। आज आर्ट ऑफ लिविंग के हजारों स्वयंसेवकों के प्रयासों द्वारा, भारत में लाखों किसान नैसर्गिक खेती कर रहे हैं। नैसर्गिक खेती से न केवल किसानों जीवन स्तर उपर उठा है बल्कि रासायनिक खेती से ज़मीन को होने वाले नुकसान में भी कमी आई है।
बहुत से लोगों को ये भ्रम है कि नैसर्गिक खेती से उनको मुनाफा नहीं होगा। ये गलत है, ऐसा नहीं है। नैसर्गिक खेती द्वारा हमारे किसान आज आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में हैं। तो यह आवश्यक है कि ज़मीन पर ऎसी कोई भी ऐसी चीज़ न डालें जिससे ज़मीन खराब हो। इसलिए आपको ऑर्गेनिक चीज़ों का उपयोग करना चाहिए।
जमीन में पानी का स्तर बढ़ाना है तो पेड़ लगाने होंगे
हमारी परंपरा में यह एक पुरातन प्रथा है कि हर एक व्यक्ति को अपने जीवन में पांच बड़े-बड़े वृक्ष लगाने चाहिए। तो हर व्यक्ति आज यह संकल्प ले कि हम अपने जीवन में कम से कम पांच वृक्ष लगाएंगे। वृक्ष लगाने से भूमिगत जल के स्तर में बढ़ोत्तरी होती है।
इसके साथ साथ हमें जल के स्रोत की सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए। यदि हमें नदियों और तालाबों को बचाना है तो उन्हें साफ़ रखना बहुत ज़रूरी है। जो नदियां और तालाब सूख गए हैं उनको पुनर्जीवित करना भी बहुत आवश्यक है।
पृथ्वी पर प्रदूषण कम करने की ज़रूरत
प्रदूषण से पृथ्वी को बहुत हानि पंहुच रही है। पृश्वी पर प्रदूषण कम करने लिए हमें सौर ऊर्जा और हवा की ऊर्जा को ईंधन के रूप में प्रयोग करने पर बढ़ावा देना चाहिए। हवा को शुद्ध रखने के लिए प्लास्टिक जलाना बंद करें; खेतों को जलाना भी बंद करना चाहिए। इस तरह से एक प्रगतिशील उद्देश्य के साथ काम करें ताकि हम पर्यावरण का संरक्षण कर पाएं।
पृथ्वी माता है; वह भूदेवी है। भगवान विष्णु के एक तरफ श्रीदेवी (लक्ष्मी) हैं और एक तरफ भूदेवी हैं। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यदि हम भूमि का संरक्षण नहीं करेंगे तो न श्री रहेंगी, न जीवन रहेगा और न नारायण ही रहेंगे।