शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. दिवस विशेष
  3. आज का दिन
  4. Jyotiba Phule Jayanti 2024
Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 11 अप्रैल 2024 (12:55 IST)

11 अप्रैल : क्रांतिकारी कार्यकर्ता ज्योतिराव गोविंदराव फुले की जयंती

एक महान भारतीय समाजसेवक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती

11 अप्रैल : क्रांतिकारी कार्यकर्ता ज्योतिराव गोविंदराव फुले की जयंती - Jyotiba Phule Jayanti 2024
HIGHLIGHTS
 
• ज्योतिबा फुले की जयंती 11 अप्रैल को।
• भारतीय लेखक थे महात्मा ज्योतिबा फुले।
• वे कहते थे जाति का भेदभाव एक अमानवीय प्रथा है।
 
Jyotiba Phule Jayanti : भारतीय लेखक, महान क्रांतिकारी एवं समाजसेवी महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था। ज्योतिबा कहते थे कि जाति का भेदभाव एक अमानवीय प्रथा है। आइए जानते हैं उनके बारे में रोचक तथ्य- 
 
• उनके पिता का नाम गोविंदराव तथा माता का नाम चिमणाबाई था। 
 
• उनका परिवार कई पीढ़ियों पहले माली का काम करता था। और वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे, इसलिए उनकी पीढ़ी 'फुले' के नाम से जानी जाती थी। 
 
• ज्योतिबा फुले का अध्ययन मराठी भाषा में हुआ था। 
 
• ज्योतिबा बहुत बुद्धिमान थे। वे महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे। 
 
• ज्योतिबा फुले का विवाह 1840 में सावित्रीबाई से हुआ था। 
 
• उस जमाने में स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग बहुत उदासीन थे, अत: ऐसे समय में ज्योतिबा ने समाज को कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। 
 
• ज्योतिबा के कई प्रमुख सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी थे, जिसने सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त करने का कार्य किया था। 
 
• ज्योतिबा ने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा पर जोर दिया तथा छूआछूत प्रथा खत्म का काम आरंभ किया।
 
• उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत की पहला विद्यालय खोला। अत: लड़कियों और दलितों के लिए पहली पाठशाला खोलने का श्रेय ज्योतिबा को ही दिया जाता है। 
 
• उन दिनों महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन जोरों पर था। तब जाति-प्रथा का विरोध करने और एकेश्‍वरवाद को अमल में लाने के लिए ‘प्रार्थना समाज’ की स्थापना की गई थी, उस समय महाराष्ट्र में जाति-प्रथा बड़े ही वीभत्स रूप में फैली हुई थी। प्रार्थना समाज के प्रमुख गोविंद रानाडे और आरजी भंडारकर थे। 
 
• लोगों में नए विचार, नए चिंतन की शुरुआत, और आजादी की लड़ाई में उनके संबल बनने का श्रेय भी ज्योतिबा को ही जाता है। 
 
• उन्होंने किसान और मजदूरों के हकों के लिए भी संगठित प्रयास किया था तथा सत्यशोधक समाज स्थापित किया था। 
 
• ज्योतिराव गोविंदराव फुले को सन् 1888 में 'महात्मा' की उपाधि दी गई। 
 
• उन्होंने अपने जीवन काल में देश से छुआछूत खत्म करने और समाज को सशक्त बनाने के लिए अहम किरदार निभाया था। ऐसे महान क्रांतिकारी ज्योतिबा फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुआ था। वे जीवन भर समाज सेवा में जुटे रहे।