रविवार, 28 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. होली
  4. How many types of Holi
Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 21 मार्च 2024 (18:15 IST)

Holi 2024 Date: कितने तरीके से खेली जाती है होली?

Holi Colours Side Effects
How many types of Holi 2024: फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है, दूसरे दिन होली का पर्व मनाया जाता है और उसके बाद पंचवें दिन रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। होली के दिन रंगों से खेलने या उत्साह मनाने के साथ ही पकोड़े और ठंडाई का आनंद लिया जाता है। इसी के साथ ही अलग अलग राज्यों में होली मनाने के तरीके भी भिन्न है। आओ जानते हैं कि कितने तरीके से होली खेली जाती है।
धूल किचड़ की होली : होली के त्योहार से रंग जुड़ने से पहले लोग एक दूसरे पर धूल और किचड़ चुपड़ते थे इसीलिए इसे धुलैंडी कहा जाता था। हालांकि आज भी हुड़दंगी लोग यह कार्य करने से चूकते नहीं है।
 
लड्डूफेंक होली : होलाष्टक जब प्रारंभ होता है यानी अष्टमी के दिन बरसाने का एक-एक व्यक्ति जिसे पंडा कहते हैं वह नंदगांव जाकर होली खेलने का निमंत्रण देता है और जब वह पुन: श्रीजी मंदिर लौटता है तब उसके स्वागत में लड्डूफेंक होली खेलते हैं। मंदिर प्रांगण में भक्त एक दूसरे पर होली खेलते हुए लड्डू फेंकते हैं। कई सौ किलो लड्डुओं के साथ बरसाना के लाडली मंदिर में गुलाल उड़ाकर होली खेली जाती है।
लट्ठ मार होली : ब्रजमंडल में खासकर बरसाना में लट्ठमार होली खेली जाती है। यहां पर महिलाएं पुरुषों को लट्ठ मारती हैं और पुरुषों को इससे बचना होता है। भी राधारानी मंदिर के दर्शन करने के बाद लट्ठमार होली खेलने के लिए रंगीली गली चौक में जमा होते हैं। इस दिन कृष्ण के गांव नंदगांव के पुरुष बरसाने में स्थित राधा के मंदिर पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं लेकिन बरसाने की महिलाएं एकजुट होकर उन्हें लट्ठ से खदेड़ने का प्रयास करती हैं।
holi 2024
holi 2024
होरी गीत : राधा-कृष्ण के वार्तालाप पर आधारित बरसाने में इसी दिन होली खेलने के साथ-साथ वहां का लोकगीत 'होरी' गाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। मिठाइयां बांटते हैं। भांग का सेवन करते हैं। नृत्य करते हैं। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति रंगों से सराबोर हो जाता है।
गोविंद होली : महाराष्ट्र में गोविंदा होली अर्थात मटकी-फोड़ होली खेली जाती है। इस दौरान रंगोत्सव भी चलता रहता है।
 
तमिल होली : तमिलनाडु में लोग होली को कामदेव के बलिदान के रूप में याद करते हैं। इसीलिए यहां पर होली को कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा-दाहानाम कहते हैं। कर्नाटक में होली के पर्व को कामना हब्बा के रूप में मनाते हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगना में भी ऐसी ही होली होती है।
 
आदिवासियों की होली : आदिवासी क्षेत्र में होली के साथ ताड़ी और डांस जुड़ा हुआ है। आदिवासियों अलग अलग क्षेत्र में होली का रंग भी अलग ही होता है। जैसे झाबुआ में होली के पूर्व भगोरिया उत्सव और मेला प्रारंभ होता है। होली पर इसमें बहुत ही धूम रहती है।
 
रासलीला : होली के त्योहार में रंग कब से जुड़ा इसको लेकर मतभेद है परंतु इस दिन श्रीकृष्ण ने पूतना का वध किया था और जिसकी खुशी में गांववालों ने रंगोत्सव मनाया था। यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रासलीला रचाई थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था।  संस्कृत साहित्य में होली के कई रूप हैं. जिसमें श्रीमद्भागवत महापुराण में होली को रास का वर्णन किया गया है। महाकवि सूरदास ने वसन्त एवं होली पर 78 पद लिखे हैं। 
होली नृत्य और संगीत : शास्त्रीय संगीत का होली से गहरा संबंध है। हालांकि ध्रुपद, धमार और ठुमरी के बिना आज भी होली अधूरी है। होली पर नृत्य, संगीत और गीत का खास महत्व है। कई लोग गीले रंगों की होली नहीं खेलकर ठंडाई, नाच और गान का आयोजन करते हैं।
ये भी पढ़ें
22 मार्च 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त