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Last Updated : शनिवार, 5 नवंबर 2022 (18:07 IST)

Vaikunth Chaturdashi : बैकुंठ धाम कहां और कितने हैं, अन्य लोकों से कैसे है यह भिन्न?

Vaikunth Chaturdashi : बैकुंठ धाम कहां और कितने हैं, अन्य लोकों से कैसे है यह भिन्न? - Vaikuntha dhaam kahan hai
Vaikunth dham kaisa hai : हिन्दू सनातन धर्म में बैकुंठ धाम की चर्चा बहुत होती है। शिव लोक, गोलोक, ब्रह्म लोक, पाताल लोक, विष्णु लोक, स्वर्ग लोक और यमलोक होते हैं उसी तरह वैकुंठ लोक भी होता है। यह वैकुंड धाम या लोक कहा पर स्थि‍त है और कैसे है यह लोक। कौन वहां जा सकता है और क्या है इस लोक की खासियत। 
 
वैकुंठ का शाब्दिक अर्थ है- जहां कुंठा न हो। कुंठा यानी निष्क्रियता, अकर्मण्यता, निराशा, हताशा, आलस्य और दरिद्रता। इसका मतलब यह हुआ कि वैकुण्ठ धाम ऐसा स्थान है जहां कर्महीनता नहीं है, निष्क्रियता नहीं है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कहते हैं कि मरने के बाद पुण्य कर्म करने वाले लोग स्वर्ग या वैकुंठ जाते हैं।
 
वैकुंठ धाम कहां है : हिन्दू धर्म के अनुसार कैलाश पर महादेव, ब्रह्मलोक में ब्रह्मदेव बसते हैं। उसी तरह भगवान विष्णु का निवास वैकुंठ में बताया गया है। वैकुंठ लोक की स्थिति तीन जगह बताई गई है। धरती पर, समुद्र में और स्वर्ग के ऊपर। बैकुंठ को विष्णुलोक और वैकुंठ सागर भी कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के बाद इसे गोलोक भी कहने लगे। चूंकि श्रीकृष्ण और विष्णु एक ही हैं इसीलिए श्रीकृष्ण के निवास स्थान को भी वैकुंठ कहा जाता है।
 
पहला वैकुंठ धाम : धरती पर बद्रीनाथ, जगन्नाथ और द्वारिकापुरी को भी वैकुंठ धाम कहा जाता है। बद्रीनाथ में देव आत्म हिमालय के क्षेत्र को वैकुंठ कहा गया है। सतयुग में बद्रीनाथ, त्रेता में रावेश्‍वरम, द्वापर में द्वारिका और कलयुग में जगन्नाथ पुरी को वैकुंठ का महत्व है। पुराणों में धरती के बैकुंठ के नाम से अंकित जगन्नाथ पुरी का मंदिर समस्त दुनिया में प्रसिद्ध है। 
 
दूसरा वैकुंठ धाम : दूसरे वैकुंठ की स्थिति धरती के बाहर बताई गई है। इसे ब्रह्मांड से बाहर और तीनों लोकों से ऊपर बताया गया है। यह धाम दिखाई देने वाली प्रकृति से 3 गुना बड़ा है। इसकी देखरेख के लिए भगवान के 96 करोड़ पार्षद तैनात हैं। हमारी प्रकृति से मुक्त होने वाली हर जीवात्मा इसी परमधाम में शंख, चक्र, गदा और पद्म के साथ प्रविष्ट होती है। वहां से वह जीवात्मा फिर कभी भी वापस नहीं लौटती। यहां श्रीविष्णु अपनी 4 पटरानियों श्रीदेवी, भूदेवी, नीला और महालक्ष्मी के साथ निवास करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इसी वैकुंठ धाम और एकपाद विभूति के मध्य विरजा नामक एक नदी बहती है। इस नदी से ही त्रिपाद विभूति शुरू होती है, जो वैकुंठ लोक है। इसी एकपाद विभूति में हमारा संपूर्ण ब्रह्मांड और सारे लोक अवस्थित हैं। इस एकपाद विभूति की सीमा के बाद शुरू होता है वैकुंठ धाम। इसी वैकुंठ के बारे में कहा जाता है कि मरने के बाद विष्णु भक्त पुण्यात्मा यहां पहुंच जाती है।
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तीसरा वैकुंठ धाम : भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारिका के बाद एक ओर नगर बसाया था जिसे वैकुंठ कहा जाता था। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक अरावली की पहाड़ी श्रृंखला पर कहीं वैकुंठ धाम बसाया गया था, जहां इंसान नहीं, सिर्फ साधक ही रहते थे। भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। भू-शास्त्र के अनुसार भारत का सबसे प्राचीन पर्वत अरावली का पर्वत है। माना जाता है कि यहीं पर श्रीकृष्ण ने वैकुंठ नगरी बसाई थी। राजस्थान में यह पहाड़ नैऋत्य दिशा से चलता हुआ ईशान दिशा में करीब दिल्ली तक पहुंचा है।
 
वैकुंठ और परमधाम में अंतर :- 
परमधाम:- कहते हैं कि परमधाम में जाने के बाद जीवात्मा सदा के लिए जीवन और मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है। यह धाम सबसे ऊपर अर्थात सर्वोच्च है। यहां निरंतर अक्षय सुख की अनुभूति होती रहती है। यह धाम स्वयं प्रकाशित है। यहां न सुख है और न दुख, यहां बस परम आनंद ही है।
 
वैकुंठ धाम:- मान्यता है कि इस धाम में जीवात्मा कुछ काल के लिए आनंद और सुख को प्राप्त करती है, लेकिन सुख भोगने के बाद उसे पुन: मृत्युलोक में आना होता है। इस स्थान को स्वर्ग से ऊपर बताया गया है। वैकुंठ के ऊपर कैलाश पर्वत है। वैकुंठ को सूर्य और चन्द्र प्रकाशित करते हैँ। यहां गौर करें तो यह विष्णु का बद्रीनाथ धाम हो सकता है जहां पर देवात्म हिमालय है। यहीं पर पुण्यात्माएं निवास करती हैं।