Jagannath festival 2025 puja steps: पुरी की विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। 2025 में, यह शुभ पर्व शुक्रवार, 27 जून 2025 को मनाया जाएगा। जगन्नाथ रथयात्रा में शामिल होना या भगवान के रथ को खींचना बहुत पुण्यकारी माना जाता है, लेकिन अगर आप पुरी जाकर यात्रा में शामिल नहीं हो सकते हैं, तो आप घर पर भी पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से प्रभु श्री जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की पूजा कर सकते हैं।
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जगन्नाथ रथयात्रा का महत्व: जगन्नाथ रथयात्रा का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इसे चार धाम यात्रा में से एक माना जाता है और मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। यदि आप पुरी नहीं जा पा रहे हैं, तो मानसिक रूप से रथयात्रा का ध्यान करें और टीवी या ऑनलाइन माध्यम से उसका सीधा प्रसारण देख सकते हैं। यह पर्व श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। अतः सच्ची निष्ठा और पवित्र मन से की गई पूजा ही सबसे अधिक फलदायी होती है।
आइए यहां जानते हैं पूजन का शुभ मुहूर्त और घर पर पूजा करने की विधि...
जगन्नाथ रथयात्रा 2025: पूजा के शुभ मुहूर्त : Puri Rath Yatra 2025 Shubh Muhurat
• आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि प्रारंभ: गुरुवार, 26 जून 2025, दोपहर 01 बजकर 24 मिनट से,
• द्वितीया तिथि का समापन: शुक्रवार, 27 जून 2025, सुबह 11 बजकर 19 मिनट पर।
• उदया तिथि के अनुसार रथयात्रा का दिन : 27 जून 2025, शुक्रवार।
घर पर प्रभु श्री जगन्नाथ की पूजा कैसे करें: पढ़ें विधि : Puja method of Lord Jagannath
घर पर जगन्नाथ रथयात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की पूजा करने के लिए आप इन चरणों का पालन कर सकते हैं:
1. स्वच्छता और तैयारी:
- रथयात्रा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
- स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- हो सके तो पीले वस्त्र पहनें, क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय है।
- पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें और गंगाजल छिड़क कर उसे पवित्र करें।
2. मूर्ति/चित्र स्थापना:
- पूजा स्थल पर एक चौकी/ पाट पर पीला या लाल वस्त्र बिछाएं।
- यदि उपलब्ध हो तो भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। यह तीनों एक साथ हों तो उत्तम है।
3. संकल्प:
- हाथ में थोड़ा जल, अक्षत/ चावल और पुष्प लेकर भगवान का ध्यान करते हुए पूजा का संकल्प लें कि आप अपनी मनोकामना पूर्ति और भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए यह पूजा कर रहे हैं।
4. पूजन आरंभ:
- सबसे पहले, भगवान को पवित्र जल/ गंगाजल मिश्रित से स्नान कराएं। यदि मूर्तियां हों तो उन्हें स्नान कराएं, अन्यथा चित्र पर जल के छींटे लगाएं।
- उन्हें वस्त्र से पोंछ कर साफ करें।
- धूप और दीप प्रज्वलन: घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती जलाएं। शंख और घंटा बजाकर पूजा का आरंभ करें।
- तिलक और माला: भगवान को चंदन, रोली और अक्षत का तिलक लगाएं। उन्हें फूलों की माला अर्पित करें, तुलसी भगवान जगन्नाथ को अत्यंत प्रिय है, अत: विशेष रूप से तुलसी दल का पूजा में प्रयोग करें। ध्यान दें कि एकादशी को तुलसी पत्र तोड़ना वर्जित होता है, लेकिन रथयात्रा द्वितीया को होती है।
5. षोडशोपचार पूजन (संक्षेप में):
- यदि संभव हो, तो आप 16 प्रकार की सामग्री अर्पित करते हुए षोडशोपचार पूजन कर सकते हैं।
- मुख्य सामग्रियां:
* पुष्प: ताजे और सुगंधित फूल अर्पित करें।
* नैवेद्य/भोग: भगवान को विशेष भोग अर्पित करें। भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी, गुड़, घी, ताजे फल, मालपुआ और नारियल की मिठाई बहुत प्रिय है। आप अपनी श्रद्धा अनुसार घर में बने शुद्ध सात्विक व्यंजन अर्थात् बिना प्याज, लहसुन के चढ़ा सकते हैं। खीर या मीठे चावल भी चढ़ा सकते हैं।
जल: पीने के लिए शुद्ध जल अर्पित करें।
सुगंधित द्रव्य: चंदन, इत्र आदि अर्पित करें।
6. मंत्र जाप:
- पूजा के दौरान भगवान जगन्नाथ के मंत्रों का जाप करें। कुछ प्रमुख मंत्र:
* 'ॐ नमो भगवते जगन्नाथाय नम:'
* 'नीलाचल निवासाय नित्याय परमात्मने, बलभद्र सुभद्राभ्यां जगन्नाथाय ते नम:'
* 'ॐ विश्वमूर्तये जगन्नाथाय नम:'
* आप 'जय जगन्नाथ' का जाप भी कर सकते हैं।
- आप चाहें तो गीता के ग्यारहवें अध्याय/ विश्व रूप दर्शन योग का पाठ या गजेंद्र मोक्ष का पाठ भी कर सकते हैं।
- 'हरि बोल-हरि बोल' का कीर्तन करें।
7. आरती:
- भोग लगाने के बाद, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की आरती उतारें। कपूर से आरती करना विशेष शुभ माना जाता है।
8. प्रसाद वितरण:
- पूजा पूर्ण होने के बाद, सभी उपस्थित लोगों और परिवार के सदस्यों को प्रसाद वितरित करें।
उपरोक्त सरल विधि से आप घर पर ही भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और रथयात्रा के पुण्य में भागीदार बन सकते हैं।
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