• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. हिन्दू धर्म
  4. Love marriage also happened in ancient India
Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 2 मई 2024 (13:23 IST)

Love marriage: प्राचीन भारत में भी होती थी लव मैरिज, ये थे हिंदू नियम

प्राचीन भारत में प्रेम विवाह के भी होते थे हिंदू नियम

Love marriage: प्राचीन भारत में भी होती थी लव मैरिज, ये थे हिंदू नियम - Love marriage also happened in ancient India
Love marriage: आजकल लव मैरिज की जगह लिव इन रिलेशनशिप में रहने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। सोशल मीडिया के दौर में लव होना और ब्रेकअप हो जाना अब आम बात हो चली है। अब लड़के और लड़कियां एक दूसरे को जाने बगैर भी प्यार कर सकते हैं और लव मैरिज करने के बाद तलाक भी ले सकते हैं, लेकिन प्राचीन भारत में भी ऐसा होता था? 
हिन्दू विवाह भोगलिप्सा का साधन नहीं, एक धार्मिक-संस्कार है। इसलिए इसमें लव मैरिज या अन्य तरह के विवाह को सही नहीं माना जाता है। प्राचीनकाल में भारत में भी प्रेम विवाह या लिव इन रिलेशनशिप में रहने का प्रचलन था लेकिन उन्हें धार्मिक मान्यता कभी नहीं मिली। इन्हें मुख्य विवाह से अलग विवाह का दर्जा प्राप्त था लेकिन समाज में इसे स्वीकार्यता कभी नहीं मिली।
 
लव मैरिज : प्राचीन भारत में लव मैरिज को गंधर्व विवाह कहते थे। परिवार वालों की सहमति के बिना वर और कन्या का बिना किसी रीति-रिवाज के आपस में विवाह कर लेना 'गंधर्व विवाह' कहलाता है। गंधर्व नाम की एक जाति प्राचीनकाल में हिमालय के उत्तर में रहा करती थी। उक्त जाति नृत्य और संगीत में पारंगत थी। वे सभी इंद्र की सभा में नृत्य और संगीत का काम करते थे। पौराणिक साहित्य में गंधर्वों का एक देवोपम जाति के रूप में उल्लेख हुआ है। गंधर्वों का प्रधान चित्ररथ था और उनकी पत्नियां अप्सराएं हैं। गंधर्वों में प्रेम विवाह का खास प्रचलन था।
गंधर्व विवाह में महिला अपना पति खुद चयन है। हिंदू नियम के अनुसार किसी श्रोत्रिय के घर से लाई अग्नि से हवन प्रज्वलित करके युवक और युवति हवन कुंड के 3 फेरे लेते हैं। दोनों एक दूसरे को वरमाला पहनाते हैं और इस प्रकार से विवाह संपन्न होता है। अग्नि को साक्षी मान कर किया गया विवाह भंग नहीं किया जा सकता था। इसके बाद वर-वधु अपने विवाह की अपने अपने अभिभावकों को औपचारिक सूचना देते थे। यदि दोनों पक्ष इस विवाह को स्वीकार कर लेते हैं तो फिर दोनों एक दूसरे के परिवार में आना जाना प्रारंभ हो जाता है। किंतु इस प्रकार का विवाह जातिगत-पूर्वानुमति या लोकभावना के विरुद्ध समझा जाता था। वैदिक नियम इसे अनुमति नहीं देता है। शकुंतला-दुष्यंत, पुरुरवा-उर्वशी, वासवदत्ता-उदयन, मेनका भारद्वाज आदि के विवाह गंधर्व-विवाह के उदाहरण हैं।
 
लिव इन रिलेशनशिप : प्राचीनकाल में इसे गंधर्व विवाह और पैशाच विवाह की श्रेणी में रखा जाता था। मात्र यौन आकर्षण, आधुनिक बनने का दिखावा और धन तृप्ति हेतु साथ में रहने की प्रक्रिया को लिव इन रिलेशनशिप का नाम दे दिया गया है। 
ये भी पढ़ें
गंगा सप्तमी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें पूजा के शुभ मुहूर्त